जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कुछ समय पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव हिस्से पर सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रच दिया था। जिसके बाद (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने के बेहद करीब है। बता दे भारत ने अपना पहला सूर्य अध्ययन अभियान 2 सितंबर 2023 में आदित्य एल-1 के नाम से लॉन्च किया था। तो वही अब आदित्य एल-1 शनिवार शाम चार बजे अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंचने के साथ अंतिम कक्षा में स्थापित हो जाएगा। यहां आदित्य 2 वर्ष तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा।
मीडिया से बात करते हुए आदित्य इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया की एल-1 15 लाख किमी के लंबे सफर के आखिरी पड़ाव में पहले ही पहुंच चुका है यह बेहद महत्वपूर्ण है। शनिवार शाम आदित्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा। थ्रस्टर्स की मदद से आदित्य एल-1 को हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, ताकि अलग-अलग कोण से सूर्य को देखा जा सके। एल-1 बिंदु पर रहने से यह पृथ्वी के लगातार संपर्क में रहेगा।
शुक्रवार को आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। अपनी यात्रा शुरू करने के 16 दिन बाद यानी 18 सितंबर से आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करना और सूर्य की इमेजिंग शुरू कर दी थी। वैज्ञानिकों को अब तक एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे, फुल सोलर डिस्क इमेज मिल चुके हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण फिलहाल सक्रिय हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।