Wednesday, July 16, 2025
- Advertisement -

नकली ब्यूटी, दुल्हन के आंसुओं की छुट्टी

  • विदाई पर रोने से कर रही परहेज, ब्यूटी पार्लर संचालिका मेकअप धुलने का देतीं हैं हवाला
  • चाहकर भी रो नहीं पातीं दुल्हन बनी बेटियां

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: बेटी की शादी मां-बाप के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं। क्योंकि जन्म से जवां होने तक जो हाथ बिटिया की परवरिश में लगे वही उसको विदाई के साथ पराई कर रहे होते हैं। यानि मां-बाप के कलेजे का टुकड़ा उनसे हमेशा के लिए दूर हो रहा होता है।

मगर दस्तूर-ए-दुनिया के आगे बेबस हरेक परिवार को जुदाई की टीस भरी सिसकियों के साथ ये रस्म निभानी पड़ती है। इन मार्मिक लम्हों में बिटिया की आंखों से भी परिवार के वात्सल्य का सैलाब अश्रुधारा बन बह निकलता है, लेकिन आर्टिफिशियल ब्यूटी के दौर ने इस पर भी ब्रेक लगा दिया। अब परिवार से बिटियां की विदाई का रुद्न मेकअप धुल जाने के भय की परत में दबकर रह गया है।

शादी मानव समाज की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। शादी के बाद ही व्यक्ति पूर्ण समाजिक बनता है। प्रत्येक समाज में इसकी अलग-अलग मान्यताएं और रीति-रिवाज हैं। हिंदू धर्म में शादी धार्मिक संस्कार है तो मुस्लिमों में ये समाजिक समझौता, लेकिन परिपूर्णता के लिए हरेक धर्म में शादी आवश्यक है। भारतीय समाज भले पुरुष प्रधान समाज माना जाता हो मगर बेटी भी यहां परिवार की मान-मर्यादा का प्रतीक हैं। धर्मग्रंथों में भी नारी को विशेष दर्जा प्राप्त है। व्यस्क बेटी की शीघ्र शादी को पुण्य माना गया है।

20 3

इसलिए यहां बेटे के मुकाबले बेटी की शादी को प्राथमिकता दी जाती है। बेटी की शादी एक मां-बाप और परिवार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती। जन्म के बाद मां के आंचल की गुड़िया और बाप के परिवार रूपी बगिया का बेशकीमती फूल बनी बिटिया जवानी की दहलीज पर पहुंचते-पहुंचते पराए घर की रौनक बन जाती है।

बुढ़ापे की डगर पर बढ़ते कदमों के दरम्यां दस्तूर-ए-दुनिया के लिहाज से मां-बाप को अपने कलेजे के टुकड़े को गहरी टीस की अश्रुधारा के साथ विदा करना पड़ता है। इन मार्मिक लम्हों में बेटियां भी अपने मां-बाप और परिवार से जुदाई का दर्द महसूस कर अश्रुधारा के रूप में अटूट प्रेम (वात्सल्य) का सैलाब बहाती थीं, लेकिन विदाई के वक्त बेटी की आंखों से निकलने वाली अश्रुधारा अब बीते जमाने की बात हो चली है।

कल्चर के साथ बदला कलेवर

बदलते दौर में शादियों का कल्चर और कलेवर दोनों बदल गए। शादियों में बेटियों के दुल्हन बनने के तमाम साजो-सामान में बदलाव आ गया। अब घरेलु मेहंदी नहीं बल्कि ब्यूटी पार्लर का 20-25 हजार का शृंगार बिटिया को दुल्हन बनाता है। यानि रुपयों से आर्टिफिशियल सुंदरता खरीदी जा रही है। मगर आज भी विदाई के वक्त बेटी के मर्म से उठती वात्सल्य की घनघोर घटा के साथ आंखों से बहती अश्रूधारा इस आर्टिफिशियल ब्यूटी को तबाह कर देती है।

यानि बेटी को विदा करते खूबसूरत आंसू आर्टिफिशियल ब्यूटी पर भारी पड़ते हैं। ब्यूटी पार्लर संचालिका शायद नैसर्गिक सौंदर्यता के खोखलेपन को छुपाने के लिए दुल्हन को विदाई के वक्त रोने का परहेज बता देती हैं। इसलिए बेबस बिटिया अब विदाई के वक्त कलेजे में उठने वाले वात्साल्य के दर्द को आर्टिफिशियल ब्यूटी की नाकाम तह में दबाकर ले जाती है और विदाई के समय रो नहीं पाती।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Dipika Kakar: लीवर सर्जरी के बाद अब दीपिका कक्कड़ ने करवाया ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट, जानिए क्यों

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक​ स्वागत...

Sports News: 100वें Test में Mitchell Starcs का धमाका, टेस्ट Cricket में रचा नया इतिहास

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Dheeraj Kumar Death: ‘ओम नमः शिवाय’, ‘अदालत’ के निर्माता धीरज कुमार का निधन, इंडस्ट्री में शोक

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nimisha Priya की फांसी पर यमन में लगी रोक, भारत और मुस्लिम नेताओं की पहल लाई राहत

जनवाणी ब्यूरो |नई दिल्ली: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की...
spot_imgspot_img