जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रोहटा रोड पर अवैध निर्माण चरम पर है। अवैध तरीके से 20 दुकानों को निर्माण कर दिया गया। इस पर एमडीए इंजीनियर पहले सील लगा चुके थे, लेकिन इसके बाद सील को तोड़कर फेंक दिया तथा एक के बाद एक लिंटर गिराते हुए निर्माण पूरा कर दिया, लेकिन एमडीए इंजीनियरों की नींद नहीं टूटी।
आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी है? जब बिल्डिंग पर सील लगी थी तो फिर निर्माण किसके आदेश पर हुआ? अवैध निर्माणकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई? बड़ा अवैध निर्माण हो गया, जिससे एमडीए को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। गॉडविन पब्लिक स्कूल से ठीक पहले करीब 20 दुकानों का अवैध निर्माण कर दिया गया है।
इन दुकानों पर एमडीए इंजीनियरों की टीम पहले सील लगा चुकी थी, मगर निर्माणकर्ता ने सील तोड़कर फेंक दी तथा निर्माण फिर से चालू कर दिया गया था। वर्तमान में कई लिंटर डाल दिये गए। सील कहीं दिखाई नहीं दी। अवैध निर्माण चलता रहा, लेकिन एमडीए के इंजीनियरों ने इसको कैसे क्लीन चिट दे दी?
इसके लिए किसकी जवाबदेही बनती है। एमडीए इंजीनियर पहले तो अवैध निर्माण चालू कराते हैं। बेसिक स्तर पर जब नींव भरी जा रही होती है, तभी एमडीए के इंजीनियरों को निर्माण रोक देना चाहिए,मगर ऐसा नहीं किया जाता। अवैध निर्माण को इंजीनियरों के स्तर से बढ़ावा दिया जाता है, जिसके बाद अवैध निर्माण चलता रहता है।
जब एमडीए इंजीनियरों ने इन अवैध दुकानों पर सील लगाई थी तो फिर सील टूटने के बाद भी एमडीए इंजीनियरों की नींद क्यों नहीं टूटी? यही नहीं, अब तक एमडीए के अधिकारी नींद में है, जिसके चलते इस तरह के अवैध निर्माण बढ़ते ही जा रहे हैं। रोहटा रोड के अवैध निर्माणों के मामलों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर भी शिकायत की है, मगर फिर भी एमडीए के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
यही नहीं, इसके अलावा भी रोहटा रोड पर करीब दो दर्जन से ज्यादा अवैध निर्माण चल रहे हैं, जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई एमडीए की तरफ से नहीं की गई।
इस तरह से अवैध निर्माण की रोहटा रोड पर बाढ़ आ गई है, लेकिन एमडीए के इंजीनियरों व अवैध निर्माणकर्ताओं के बीच सेटिंग-गेटिंग का खेल चल रहा है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी कोरोना से पीड़ित चल रहे हैं, जिसके चलते इंजीनियरों व अवैध निर्माणकर्ता बेलगाम हो गए हैं।