Saturday, January 4, 2025
- Advertisement -

जब हनुमान जी मिथिला गए

Sanskar 7


शिवानंद मिश्रा |

अपनी अपनी रुचि के अनुसार सामिष निरामिष व्यंजनों की लंबी तालिका थी और विशिष्ट व्यंजन के रूप में था, कटहल। हनुमान जी को कटहल बहुत भाया विशेषत: अलोने स्वाद की उसकी गुठली। हनुमान जी ने कटहल की गुठली निकालने को उंगलियों से दबाव डाला और गुठली हवा में उछल गई। हनुमान जी के दिमाग में कौंधा, हो गई बेइज्जती। और इज्जत बचाने की खातिर वे उस गुठली को पकड़ने उछल पड़े। अंगद भी उधर देख रहे थे। सीनियर की उछाल को इशारा माना और उन्होंने भी कटहल की गुठली उछाली और उछल पड़े। फिर क्या था। कटहल की गुठलियां हवा में उछलने लगीं और उनके साथ ही वानर भी। धीर गंभीर राम हंस पड़े। राम को हंसता देख उत्साहित हनुमान ने दूसरी गुठली उचकायी और फिर उछल पड़े। फिर क्या था। घमासान धमाचौकड़ी मच गई।

कहते हैं लंका से लौटने के बाद और राज्याभिषेक के बाद माता सुनयना ने जंवाई बेटा को मिथिला आने का सासू मां का लाड़ भरा आग्रह भेजा। राम भला कैसे इन्कार करते। लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न को भी ससुराल जाने का चाव पूरा हुआ। हनुमान उन दिनों वहीं थे, सो उनको भी आने का आग्रह हुआ। सुग्रीव, अंगद, नल, नील आदि ने प्रभु से शिकायत की कि ये तो सरासर पक्षपात है। मंद मंद मुस्कुराते हुए प्रभु ने सबको स्वीकृति दे दी।

वानरों से भलीभांति परिचित डिग्निटी पसंद लक्ष्मण की पेशानियों पर बल पड़ गए कि कहीं संभ्रांत आर्य नागर परंपरा से अनभिज्ञ सरल परंतु उजड्ड वानर ससुराल में भैया के साथ साथ पूरे रघुवंश को हमेशा के लिए हंसी का पात्र न बना दें। लक्ष्मण इस बात से भली भांति परिचित थे कि औपनिषदिक जनक परंपरा के गंभीर राजाओं की श्रृंखला के बावजूद मिथिला वाले किसी की टांग खींचकर मजे लेने से कभी बाज नहीं आते हैं और बुरा मानने पर कविताओं के माध्यम से सदियों तक ताना देने में समर्थ हैं। लेकिन भैया का आदेश टाल भी नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने सुग्रीव, हनुमान, अंगद, नल नील आदि को नागर परंपराओं की ट्रेनिंग देना शुरू किया और बाकी वानरों से कहा कि वे ठीक वैसा ही करें जैसा उनके यूथपति करें। कैसे प्रणाम करना है, कैसे प्रणाम का उत्तर देना है, कैसे बैठना है, उठना है। विशेषत: सामूहिक भोज के राजसी नियम कायदे क्या हैं?

रास्ते भर ये ट्रेनिंग लेते हुए अयोध्या का यह अद्भुत सार्थ मिथिला पहुंचा। सुसंस्कृत कर्मकांडी वशिष्ठ आचार्य, अयोध्या के संभ्रांत श्रेष्ठ, पौरजन, श्रृंगवेरपुर के श्यामल निषाद, सौराष्ट्र से आये ऋक्ष और दक्षिण के वानर। शिव बारात का दृश्य पुन: उपस्थित हो गया।

मिथिला में जवाईयों व उनके मित्रों, सहयोगियों का हार्दिक स्वागत हुआ। खाना पीना, नृत्य संगीत उत्सव के बीच श्रीराम के लौटने के आग्रहों को ठुकराते और मैथिलों के मनुहारों के बीच एक महीना कब बीत गया, पता ही नहीं चला। अंतत: अनासक्त राजर्षि सीरध्वज को भी भाव भरे भारी मन से लौटने की अनुमति देनी पड़ी। विदाई पूर्व संध्या पर भव्य सामूहिक भोज का आयोजन हुआ।

लक्ष्मण बहुत संतुष्ट थे। सबकुछ उनकी ट्रेनिंग व प्लान के हिसाब से ही हुआ व सबकुछ ठीक हुआ। संध्या को भोज में सब पंक्तियों में विराजे। अपनी अपनी रुचि के अनुसार सामिष निरामिष व्यंजनों की लंबी तालिका थी और विशिष्ट व्यंजन के रूप में था, कटहल। हनुमान जी को कटहल बहुत भाया विशेषत: अलोने स्वाद की उसकी गुठली। हनुमान जी ने कटहल की गुठली निकालने को उंगलियों से दबाव डाला और गुठली हवा में उछल गई। हनुमान जी के दिमाग में कौंधा, हो गई बेइज्जती। और इज्जत बचाने की खातिर वे उस गुठली को पकड़ने उछल पड़े। अंगद भी उधर देख रहे थे। सीनियर की उछाल को इशारा माना और उन्होंने भी कटहल की गुठली उछाली और उछल पड़े। फिर क्या था। कटहल की गुठलियां हवा में उछलने लगीं और उनके साथ ही वानर भी। धीर गंभीर राम हंस पड़े। राम को हंसता देख उत्साहित हनुमान ने दूसरी गुठली उचकायी और फिर उछल पड़े। फिर क्या था। घमासान धमाचौकड़ी मच गई। अयोध्या वाले झेंपे जा रहे थे और मिथिला वाले हंस हंस कर मजे लिए जा रहे थे। लक्ष्मण सिर पकडकर बैठ गए और हनुमान जी ने पूरी मासूमियत से आकर पूछा, लक्ष्मण भैया, हम सब ठीक ठाक कर रहे हैं न? इस भोले से प्रश्न को सुनकर रोकते रोकते भी लक्ष्मण की हंसी छूट पड़ी। इधर कभी न देखी गई राम की उन्मुक्त हंसी जारी थी।


janwani address 8

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Kiara Advani: कियारा की टीम ने जारी किया हेल्थ अपडेट, इस वजह से बिगड़ी थी तबियत

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Lohri 2025: अगर शादी के बाद आपकी भी है पहली लोहड़ी, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img