- न नगर निगम और न डूडा के अधिकारियों को ज्ञान
- ठेले वालों से वसूली के लिए पर्ची काट रहा ठेकेदार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लापरवाही की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी कि अपना मेरठ स्मार्ट सिटी है, लेकिन इसके स्मार्ट होने के लिए अधिकारियों ने उदासीन रवैया अपना रखा है। जिनको जिम्मेदारी दी गई है, वही अधिकारी इस ओर विमूख हैं। केन्द्र व राज्य सरकार ने स्ट्रीट वेंडरों के लिए खास सौगात दी है।
शहरी क्षेत्र में कोरोना काल में सबसे ज्यादा नुकसान झेल चुके ठेले वाले और रेहड़ी-पटरीवालों को सरकार ने खास सौगात दे रखी है। उन्हें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अलावा दूसरी केंद्रीय व राज्य योजनाओं का भी लाभ आसानी से मिल सकेगा। इन योजनाओं को दिलाने का दायित्व नगर निगम व डूडा के जिम्मे है। लेकिन इन दोनों ही विभागों के अधिकारी इस ओर मौन साधे हैं।
लॉकडाउन के चलते स्ट्रीट वेंडर्स का कामकाज ठप हो गया था। दो जून की रोटी जुटाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया था। ऐसे लोगों को राहत देने एवं दोबारा अपनी आजीविका का इंतजाम करने के मकसद से सरकार ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत की थी। इसमें उन्हें सरकार की ओर से पहले 10 हजार तक का बिना गारंटी के लोन दिया जाता था, लेकिन अब 20 हजार तक के लोन की व्यवस्था हो गई है। साथ ही लोन चुकाने के लिए रेहड़ी-पटरीवालों को अतिरिक्त समय भी देने की व्यवस्था है।
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थियों और उनके परिवार के सदस्यों की एक प्रोफाइल तैयार की जाएगी और डेटा के आधार पर उन्हें अलग-अलग आठ सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और कमाई का जरिया भी बढ़ेगा। जिले के शहरी क्षेत्रों के 20 हजार पथ विक्रेताओं को इसका लाभ दिये जाने का प्रावधान है। इधर नगर निगम ओर डूडा के अधिकारी स्ट्रीट वेंडर स्कीम को लेकर बिल्कुल अंजान बने हुए हैं।
नगर निगम की अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने साफ कहा कि यह योजना डूडा द्वारा ही संचालित हो रही है। इसलिए वहीं से इसकी प्रगति रिपोर्ट मिल सकती है। वहीं डूडा के परियोजना अधिकारी हर्ष अरविन्द का स्पष्ट कहना है कि हमारे यहां स्ट्रीट वेंडरों के लिए कोई योजना नहीं है तथा न ही हमारे पास स्ट्रीट वेंडरों का कोई रिकार्ड ही है।
केन्द्रीय रिपोर्ट में हुई खामियां उजागर
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और एक थिंकटैंक द्वारा जारी एक प्रोग्रेस रिपोर्ट में स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के अनुपालन से संबंधित अनेक खामियों को उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एक्ट को पास हुए छह वर्ष बीत जाने के बाद भी देश के कई राज्यों तथा उन राज्यों के अन्तर्गत आने वाले जिलों ने अब तक अपने यहां इस स्कीम को नोटिफाइ नहीं किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों ने रेहड़ी पटरी पर जीवन गुजार देने वाले व्यवसायियों को सुरक्षा और सुविधा देने के बजाय उनके जीवन को और कठिन बना दिया है।
रिपोर्ट में राज्यों द्वारा गठित शहरी स्थानीय निकायों की संख्या और उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें नंबर दिए गए हैं। कई जिलों में जिम्मेदारों द्वारा वेंडर्स से डोमिसाइल प्रूफ और वोटर आईडी दिखाने जैसे प्रावधान अलग से शामिल कर लिए गए हैं तो कई जिलों ने वेंडर्स के खराब व्यवहार के आधार पर वेंडिंग सर्टिफिकेट को निरस्त किए जाने का प्रावधान किया है। जबकि ऐसे प्रावधान मूल कानून का हिस्सा ही नहीं हैं।