- भारत में आध्यात्मिक आंदोलन की उपदेशिका शिवानी ने ऋषिकेश में किया प्रवचन
जनवाणी ब्यूरो |
ऋषिकेश: ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक वक्ता, भारत में आध्यात्मिक आंदोलन की उपदेशिका बीके शिवानी ने ऋषिकेश में प्रवचन किया। उन्होंने कहा नाम, मान और शान वाली इच्छा भी प्रसन्नता को समाप्त कर देती है। जो नाम के लिए सेवा करते हैं, उनका नाम अल्पकाल के लिए तो हो जाता है, पर सदा के लिए नहीं हो पाता। जहां अभिमान है, वहां प्रसन्नता रह नहीं सकती। सेवा के बदले में मान की इच्छा मान नहीं बल्कि अभिमान है।
ऋषिकेश के हरिद्वार मार्ग स्थित एक वेडिंग पाइंट में शुक्रवार प्रवचन के माध्यम से मार्गदर्शन करते हुए ब्रह्माकुमारी शिवानी ने कहा कि सबसे बड़ा मान है, निस्वार्थ सेवा द्वारा ईश्वर के दिल में स्थान प्राप्त करना। मान और शान चाहिए तो सदा ईश्वर के हृदय में सच्चा स्थान प्राप्त करें। इससे हमारा व्यक्तित्व सदा आनंद व प्रसन्नता वाला बन जाता है। हमारा जीवन उत्तम, संपन्न व सफल बन जाता है।
कहा कि सकारात्मक सोच जीवन में बड़े परिवर्तन लाती है। मन पर नियंत्रण रखना मनुष्य की सबसे बड़ी साधना है। यदि मन को नियंत्रित कर दिया तो समझो जीवन को नियंत्रित कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे वर्तमान के कर्म ही हमारे भविष्य का निर्धारण करते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में सभी से समान व्यवहार करना चाहिए। हमारे कर्म और संस्कार की हमारे प्रारब्ध को तय करते हैं। इंसान कभी खाली हाथ नहीं जाता बल्कि उसके कर्म और संस्कार उसके साथ जाते हैं। इसलिए जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए। इस अवसर पर महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज, महामंलेश्वर दयाराम दास महाराज, योगी कर्णपाल महाराज, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, निवर्तमान महापौर अनीता ममगाईं, ऋषिकेश केंद्र की संचालिका बीके आरती आदि मौजूद रहे।