Friday, January 3, 2025
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पैरालंपिक खेलों का दिलचस्प इतिहास

Samvad 49

832024 के पैरालंपिक खेल इस समय पेरिस में चल रहे हैं, जिनका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित होने वाले ओलंपिक खेलों के कुछ ही दिनों बाद होता है। टोक्यो पैरालंपिक-2020 का आयोजन कोविड-19 के कारण 2020 के बजाय 2021 में हुआ था और उन खेलों में कुल 162 देशों ने हिस्सा लिया था। पैरालंपिक खेलों में इस बार कुल 549 पदक स्पर्धाओं में 184 देशों के करीब 4400 एथलीट 22 खेलों में हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें भारत के भी 84 खिलाड़ी 12 भाग ले रहे हैं। भारतीय पैरा-एथलीट इस बार के पैरालंपिक खेलों में अपने अदम्य हौसले और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। 30 अगस्त को पेरिस पैरालंपिक में भारत ने केवल दो घंटे में ही चार पदक (निशानेबाजी में तीन और ट्रैक इवेंट में एक) जीतकर इतिहास रच दिया था, जिनमें अवनी लेखरा ने स्वर्ण पदक, मनीष नरवाल ने रजत और मोना अग्रवाल तथा प्रीति पाल ने कांस्य जीता।

वैसे पैरालंपिक खेलों का इतिहास काफी दिलचस्प है। पैरालंपिक का अर्थ है ओलंपिक के समानांतर खेल, जो यह दर्शाता है कि किस प्रकार दोनों आंदोलन एक साथ मौजूद हैं। माना जाता है कि इस तरह के खेलों की बुनियाद वर्ष 1948 में ब्रिटेन में उस समय रखी गई थी, जब द्वितीय विश्वयुद्ध में अनेक सैनिक बुरी तरह घायल हुए थे और उनमें से कई को अपने शरीर के विभिन्न अंग भी गंवाने पड़े थे। खासतौर से रीढ़ की हड्डी की चोटों से पीड़ित ऐसे ही मरीजों के पुनर्वास के लिए तब सर लुडविग गुटमैन नामक एक विख्यात न्यूरोलॉजिस्ट ने अलग-अलग अस्पताल के साथ इस प्रकार के खेलों का आयोजन शुरू किया था। इसीलिए उन्हें ही पैरालंपिक खेलों और संपूर्ण पैरालंपिक आंदोलन की स्थापना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का श्रेय दिया जाता है।

सर गुटमैन जर्मनी में द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्टों में से एक थे, जो ब्रेस्लाउ में यहूदी अस्पताल में काम करते थे लेकिन 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने पर उन्हें इंग्लैंड भागने पर मजबूर होना पड़ा था। विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद 1944 में ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर उन्होंने युद्ध में हताहत हुए और रीढ़ की हड्डी की चोटों से जूझ रहे ब्रिटिशों को मेडिकल सेवाएं मुहैया करने के लिए स्टोक मैंडविले अस्पताल में ‘राष्ट्रीय स्पाइनल इंजरी सेंटर’ स्थापित किया। गुटमैन जीवन बदलने के लिए खेल की शक्ति में बहुत विश्वास करते थे और उनका मानना था कि खेल शारीरिक अक्षमता वाले लोगों के लिए चिकित्सा का एक उत्कृष्ट तरीका है, जो उन्हें शारीरिक शक्ति और आत्म-सम्मान बनाने में भी मदद करता है। अपनी इसी सोच के चलते उन्होंने 29 जुलाई 1948 को रीढ़ की हड्डी की चोटों वाले द्वितीय विश्वयुद्ध के ब्रिटिश मरीजों के लिए व्हीलचेयर पर ‘स्टोक मैंडविले गेम्स’ नामक एक पहली खेल प्रतियोगिता आयोजित की, जिसका आयोजन 1948 के लंदन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के उद्घाटन के साथ ही किया गया था। उस प्रतियोगिता में 16 घायल सैनिक और महिलाएं शामिल थी, जिन्होंने तीरंदाजी में भाग लिया था। हालांकि वह खेल प्रतियोगिता ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं थी।

1948 में पहली बार आयोजित हुए उन्हीं खेलों से पैरालंपिक आंदोलन का जन्म हुआ। 1952 में स्टोक मैंडविले गेम्स फिर से उसी स्थान पर आयोजित किए गए और तब उन खेलों में ब्रिटिश प्रतिभागियों के अलावा पूर्व डच सैनिकों ने भी भाग लिया। इस प्रकार 1952 में स्टोक मैंडविले गेम्स अपनी तरह की पहली अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक खेल प्रतियोगिता बन गई। स्टोक मैंडविले गेम्स का आगामी कुछ वर्षों में विकास जारी रहा, जिसने ओलंपिक अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को इस कदर प्रभावित किया कि 1956 में सर गुटमैन को प्रतिष्ठित ‘फर्नले कप’ से सम्मानित किया गया, जो ओलंपिक आदर्श में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार था। इस प्रकार 1948 में घायल सैनिकों के लिए शुरू किए गए ये खेल व्यापक रूप से प्रसिद्ध हो गए और 1960 में रोम में ओलंपिक खेलों के बाद ये खेल बड़े स्तर पर आयोजित किए गए। तब तक इन खेलों को स्टोक मैंडविले खेलों के रूप में ही जाना जाता था।

1960 में आयोजित हुए स्टोक मैंडविले खेलों को पहला आधिकारिक
पैरालंपिक खेल आयोजन माना जाता है, हालांकि उसमें शामिल एकमात्र विकलांगता रीढ़ की हड्डी की चोट ही थी। 1960 में रोम में आयोजित किए गए इन खेलों को ही पहले पैरालंपिक के तौर पर जाना जाता है, जिसमें कुल 23 देशों के 400 व्हीलचेयर एथलीटों ने 8 खेल स्पधार्ओं में 57 पदकों के लिए मुकाबला किया था। उन खेलों को अब ह्यरोम पैरालंपिक खेलह्ण कहा जाता है। तभी से ये खेल प्रत्येक चार वर्ष में एक बार आयोजित किए जाते हैं। हालांकि उस समय इन खेलों में भाग लेने वाले एथलीटों के लिए सुविधाओं की भारी कमी थी, बाद के वर्षों में धीरे-धीरे उनके लिए सुविधाओं की व्यवस्था की जाती रही।

ओलंपिक खेलों के बराबर मान्यता पाने के लंबे संघर्ष के बाद पैरालंपिक खेल अब ओलंपिक के चंद दिनों बाद उसी शहर में ही आयोजित होते हैं, जहां ओलंपिक खेलों का आयोजन होता है और पैरालंपिक खेलों में किसी भी खेल को दूसरे से कम या ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माना जाता। 1976 में पैरालंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार शीतकालीन खेल स्वीडन में आयोजित किए गए थे। ग्रीष्मकालीन खेलों की ही तरह ये शीतकालीन खेल भी हर चार साल में आयोजित किए जाते हैं और इनमें पैरालंपिक उद्घाटन समारोह तथा पैरालंपिक समापन समारोह भी शामिल होते हैं।

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