- कलम और पुस्तकों की जगह पर छोटे-छोटे बच्चों को हाथों में देखा जा रहा ‘भीख का कटोरा’
- डीएम ने भिक्षावृत्ति को लेकर समाज कल्याण विभाग और प्रोबेशन अधिकारी को दिए थे निर्देश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा पर नन्हें-मुन्ने बालक-बालिकाओं का भविष्य अंधकार में है, क्योंकि उनके हाथों में कलम और पुस्तकों की जगह भीख मांगने का कटौरा दे दिया गया है। इसको लेकर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने हाल ही में जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारी और प्रोबेशन विभाग को पत्र लिखकर दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन जनवाणी समाचार पत्र की पड़ताल में यह आदेश हवा-हवाई नजर आए। चौराहों, बाजारों और बस अड्डों पर बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते नजर आए।
मेरठ को बाल भिखारी मुक्त करवाने को लेकर लगातार अभियान चलाने और बाल कल्याण समिति की ओर से काम करने का बड़े-बड़े दावे किए जाते है, लेकिन यह दावे हकीकत से परे होते है। यह बात हम यूं ही नहीं बोल रहे, बल्कि मेरठ शहर के तमाम चौराहों, मार्गों, बाजारों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर भ्रमण करने के बाद हकीकत बयां कर रहे है। जनवाणी समाचार पत्र के कैमरे में बेगम पुल, आबूलेन, भैंसाली बस स्टैंड समेत अन्य जगहों से कैद हुई इन तस्वीरों में भी बखूबी देखा जा सकता है कि इन छोटे-छोटे बच्चों का झुंड किस तरीके लोगों के सामने हाथ फैला रहे है।
कड़ाके की ठंड के बीच इनके पैरों में जूते तो बहुत दूर की बात…चप्पल तक भी नहीं है। बस इनका लक्ष्य एक ही रहता है कि कोई इन्हें भीख के रूप में पैसे दे दें। इसमें इनकी कोई गलती नहीं है, क्योंकि जिन हाथों में कलम और पुस्तक होनी चाहिए थी, उन हाथों में कटौरा देकर इनके बचपन की हत्या कर दी गई। हैरानी की बात तो यह है कि इनके मां-बाप तो लापरवाही करते ही है, सरकार के अफसर भी हवाओं में अभियान चलाकर कागजों में वाहवाही लूटते है। जब उनसे सवाल किया जाता है तो वह केवल बच्चों के रस्क्यू के आंकड़ों को बताकर पल्ला झाड़ लेते है।
मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने एक अधिवक्ता की शिकायत का संज्ञान लेते हुए हाल ही में जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह और प्रोबेशन अधिकारी अतुल सोनी को पत्र लिखकर ऐसे लोगों के रेस्क्यू करने के निर्देश दिए थे, जो चौराहों पर भीख मांगते है। उन्होंने कहा था कि जो भिखारी जिस जिले का है, उनकी जांच पड़ताल कराकर उन्हें उनके शहर में ही भिजवाया जाए। इसके अलावा अन्य भिखारियों के रहने और खाने की व्यवस्था के आदेश दिए गए थे। इस आदेश को लेकर मंगलवार को पड़ताल की गई तो सब ज्यों का त्यों ही मिला। चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या बिल्कुल भी कम नहीं हुई। हालांकि माना जा रहा है कि मेरठ महोत्सव के कारण अधिकारियों की व्यस्थता बढ़ गई है, ऐसे में 25 दिसंबर के बाद इनके लिए अभियान चलाया जाएगा।