Sunday, January 12, 2025
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Lohri 2025: कब है लोहड़ी का पर्व, जानें पूजा का समय और विधि

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। जैसे ही भारत के उत्तरी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड शुरू होती है, लोहड़ी का त्योहार गर्मी और खुशी का प्रतीक बनकर उभरता है। इस वर्ष, लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जा रही है, जो शीतकालीन संक्रांति के समापन और लंबे दिनों के आगमन का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग पारंपरिक पोशाक पहनकर अग्नि देव और मां आदिशक्ति की आराधना करते हैं। इस दौरान गली मोहल्ले से लेकर कॉलोनियों में सभी आग जलाकर उसकी परिक्रमा करते हैं, इतना ही नहीं सभी एक दूसरे के गले मिलकर लोहड़ी के पर्व की शुभकामनाएं भी देते हैं।

धार्मिक ग्रंथों की मानें तो लोहड़ी का त्योहार न केवल सिख समुदाय बल्कि किसान वर्ग के लिए भी बेहद खास है। इस दिन किसान वर्ग के लोग नई फसल को काटकर उसका पहला भोग अग्नि देव को लगाते हैं। वहीं नववर्ष 2025 में 13 जनवरी को लोहड़ी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस तिथि पर कई शुभ योग भी बन रहे है, जो पूजा के लिए बेहद कल्याणकारी है। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि से लेकर शुभ योग और मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कब है लोहड़ी का पर्व?

ज्योतिष गणना के अनुसार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस साल 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।

पूजा का समय

लोहड़ी के शुभ दिन पर पूजा के लिए मुहूर्त शाम 05 बजकर 34 मिनट से रात 08:12 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में आप परिवार के साथ भगवान सूर्य, अग्नि देव, मां दुर्गा और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं।

शुभ योग

पंचांग के अनुसार लोहड़ी पर वैधृति योग बन रहा है जिस पर आर्द्रा नक्षत्र बनेगा। इस दौरान विष्टि व बव करण का योग भी रहेगा। बात अगर दिन के अभिजीत मुहूर्त की करें तो वह दोपहर 12:09-12:50 तक रहेगा। वहीं राहुकाल सुबह 08:34-09:52 मिनट तक है।

लोहड़ी पूजन सामग्री

  • आदिशक्ति की प्रतिमा
  • सिंदूर
  • तिल
  • तेल
  • दीपक
  • सूखा नारियल
  • कपूर
  • रेवड़ी
  • कज्जक
  • मक्का
  • मूंगफली
  • लकड़ी

लोहड़ी पूजा विधि

लोहड़ी के दिन सुबह की स्नान कर लें और साफ वस्त्रों को धारण करें।

अब श्रीकृष्ण जी, मां आदिशक्ति और अग्नि देव की पूजा के लिए सामग्री एकत्रित कर लें।

पूजा के लिए सबसे पहले घर की पश्चिम दिशा में मां आदिशक्ति की तस्वीर स्थापित कर लें।

इसके बाद सरसों के तेल का दीया जलाएं।

भगवानों का तिलक करें।

रेवड़ी और तिल के लड्डू का भोग लगाएं।

अग्नि जलाकर उसमें तिल के लड्डू, मक्का और मूंगफली अर्पित करें।

अब अग्नि की 7 या 11 बार परिक्रमा कर लें।

अंत में पूरे परिवार के साथ सुख-समृद्धि की कामना करें और प्रसाद का वितरण करें।

लोहड़ी पर्व का महत्व

लोहड़ी सिख समुदाय का मुख्य पर्व है, जो मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। माना जाता है कि इस पर्व के बाद रात छोटी और दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं। लोहड़ी रबी की फसल की कटाई का प्रतीक है, इस दिन कृषि समाज के लोग घर के आगे आग जलाकर अग्नि देव की पूजा करते हैं। इस दौरान अग्नि में मूंगफली अर्पित करके सभी फसलों की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं, साथ ही घर-घर जाकर सभी एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए गजक, रेवड़ी, मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू का प्रसाद भी देते हैं।

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