- एनजीटी ने कहा-नगर निगम नाकाम रहा तो नगर आयुक्त पर सख्त कार्रवाई तय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रदूषण और कैंसर की वाहक बन चुकी काली नदी को सुधारने के प्रयास में लगे लोगों को नगर निगम नाकारा साबित करने पर लगा हुआ है।
एनजीटी के बार-बार कहने के बाद भी काली नदी के तट पर नगर निगम कूड़ा डालने से बाज नहीं आ रहा है। तमाम एनजीओ इस ओर आवाज तक उठा चुके हैं, लेकिन नगर निगम की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इसको देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नगर निगम को काली नदी के तट पर डाला गया, कूड़ा हटाने का निर्देश दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने नगर निकाय को अपनी यह गलती सुधारने के लिये कदम उठाने को कहा और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस सिलसिले में उसके काम की निगरानी करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘न्यायमूर्ति एसवीएस राठौड़ की अध्यक्षता वाले इस अधिकरण द्वारा 16 मार्च 2020 को जारी किये गये आदेश के आलोक में गठित निरीक्षण समिति अगली तारीख से पहले ई मेल के जरिये एक स्वतंत्र रिपोर्ट सौंपे। न्यायमूर्ति राठौड़ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।
याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ के मार्फत अधिकरण के समक्ष तस्वीरें पेश कर कहा कि कूड़ा अब भी वहां पड़ा हुआ है और कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाया गया है।
इससे पहले, अधिकरण ने शहर में ठोस कूड़ा के निपटारे में नाकामी को लेकर मेरठ निगम की आलोचना करते हुए कहा था कि वह अपने सांविधिक कर्तव्यों का पालन करने में नाकाम रहा है और पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिये जिम्मेदार है।
एनजीटी को बताया गया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम को पर्यावरण को पहुंचे नुकसान को लेकर 24 लाख रुपया मुआवजा देने को कहा है।
पीठ ने कहा, ‘हम मेरठ नगर निगम को कानून का अनुपालन करते हुए इस सिलसिले में उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश देते हैं, इसमें नाकाम रहने पर नगर आयुक्त, मेरठ के अभियोजन और कैद करने का निर्देश देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।
अधिकरण मेरठ शहर के निवासी नवीन कुमार एवं अन्य की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि गावड़ी गांव में काली नदी के तट पर अवैधानिक तरीके से ठोस कूड़ा डाल दिया गया है। इससे पहले काली नदी के तट पर कूड़ा डालने को लेकर कई बार विवाद हो चुका है।
गत वर्ष काली नदी की सफाई अभियान के दौरान गांवड़ी के ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि नगर निगम द्वारा डाले जा रहे कूड़े को लेकर उन्होंने लगातार विरोध किया, लेकिन सांसद और विधायक मौके पर नहीं पहुंचे। न ही उन्होंने समस्या का निराकरण कराया।
जबकि वह कई बार विधायक और सांसद से मिलने पहुंचे थे। दरअसल सफाई अभियान के दौरान किठौर विधायक ने कहा था कि उन्होंने काली नदी का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। जिस पर गांवड़ी के ग्रामीणों ने एतराज उठा दिया था। हंगामा होने पर ग्रामीणों और भाजपाइयों में नोकझोंक हो गई।
अभियान भी कुछ देर के लिए रोक दिया गया था। काली नदी पर काम कर रहे नीर फाउंडेशन ने भी इस नदी को जीवन देने का प्रयास किया है लेकिन नगर निगम की तरफ से लगातार लापरवाही बरती जा रही है। माना जा रहा है एनजीटी के आदेश से नगर निगम की आंख खुल जाए।