Thursday, July 3, 2025
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माफियाओं का खुल्ला खेल, विभागीय अफसरों की मौन स्वीकृति

  • बेशकीमती से वन जगल से कटने वाली मरोड फली, हादसों से सीख नही ले रहा वन विभाग

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: रक्षक ही भक्षक का काम करने लगे तो बेजुबान जानवरों का क्या होगा कह पाना मुश्किल है ऐसा ही हाल आजकल वन आरक्षित क्षेत्र हस्तिनापुर में देखने को मिल रहा है जहां वन कर्मचारी की वन माफियाओं से मिलीभगत कर बेजुबान जानवरों की राह आवासों को उजाड़ने में लगे हैं।

वन क्षेत्र में प्रतिवर्ष होने वाली बेशकीमती लकड़ी के कटान की शिकायत वन्य जीव प्रेमी कई बार विभागीय अधिकारियों से कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं आई जिसके चलते वन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

बता दें कि बिजनौर बैराज से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक 2073 वर्ग किलोमीटर में फैलने वाले वन आरक्षित जंगल में दुर्लभ प्रजाति के राष्ट्रीय पक्षी मोर, सांभर, पहाड़ा, बारहसिंघा, हिरन, नीलगाय, तेंदुए, खरगोश, जंगली सूअर आदि के आवास है। जिसके कारण वन क्षेत्र में घास और वृक्षों का कटान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है लेकिन, प्रतिवर्ष कुछ वन माफिया कर्मचारियों से मिलीभगत कर वन क्षेत्र में होने वाली प्रतिबंधित बेशकीमती मरोड़ फली की लकड़ी का कटान वन जंगल से करते आ रहे हैं।

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जिसकी शिकायत आसपास के ग्रामीणों सहित वन प्रेमी आला अधिकारियों से सैकड़ों बार कर चुके हैं लेकिन वन माफियाओं की वन कर्मियों पर पकड़ होने के चलते वन कर्मचारी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से डरते हैं आज तक वन सेंचुरी क्षेत्र में इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

प्रतिवर्ष की जाती है कटाई

वन क्षेत्र के जंगलों में होने वाली बेशकीमती मरोड़ फली की फली का प्रयोग जहां देसी दवाइयों में किया जाता है वहीं इसकी लकड़ी भी बेशकीमती होती है वन जंगल में लकड़ी काटने वाले एक वन माफिया ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली मध्य गंग नहर किनारे स्थित वन क्षेत्र इस लकड़ी से गुलजार हैं और वे प्रतिवर्ष वन कर्मियों को लाखों रुपए की मोटी रकम दे लकड़ी का कटान करते आ रहे हैं जबकि मरोड़ फली की लकड़ी वाली व पत्ता बेशकीमती होते हैं।

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दर्जनों प्रजातियों के जीवो के रहवास

वन क्षेत्र में हसनापुर मध्य गंग नहर पुल से रामराज गंगा पुल तक फैले वन क्षेत्र में हो रहे कपासी में दर्जनों दुर्लभ प्रजाति के जंगली जीव अपने घरों के रूप में इस्तेमाल करते हैं और जंगली जीवो के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वन विभाग को है इसके बाद भी कुछ वन कर्मचारी ही प्रतिबंधित मरोड़ फली की लकड़ी का खुलेआम कटान करा रहे हैं ऐसे में वनों में रहने वाले जंगली जीव कितने सुरक्षित हैं कह पाना मुश्किल है।

जंगली जीवों के साथ आए दिन होते हैं हादसे

वन जंगलों के हो रहे अंधाधुंध कटान के कारण कई बार जंगली जानवर रास्ते भटक कर आसपास के गांवों में आ जाते हैं जिसके बाद जंगली जीव या तो ग्रामीणों का शिकार हो जाते या शिकारी कुत्तों का निवाला बन जाते हैं। यह हाल तब है जब हाल ही में सड़क दुर्घटना में दो तेंदुए की मौत हो चुकी है।

क्या कहते है विभागिय अधिकारी

वन जगंल से कटी जा रही मरोड फडी की लकडी का मामला संज्ञान में नही है जानकारी कर लकडी काटने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी मामला सज्ञान में नही है।       -हस्तिनापुर रेंजर अधिकारी नवरत्न सिंह

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