जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा नेता तरुण चुघ द्वारा उनकी सैन्य पृष्ठभूमि पर की गई टिप्पणी का करारा जवाब देते हुए कहा है कि भाजपा या उसकी लीडरशिप को सेना के सम्मान या राष्ट्रीय ध्वज की अहमियत का क्या पता है। हर दूसरे दिन सरहदों से हमारे पंजाबियों के शव तिरंगे में लिपटकर आते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के बेटों के शरीर हम हर दूसरे दिन राष्ट्रीय झंडे में लिपटे हुए देखते हैं। इसकी पीड़ा का एहसास हम ही जानते हैं। भारत के गौरव और अखंडता की रक्षा के लिए जान न्योछावर कर रहे सैनिकों के प्रति भाजपा को स्पष्ट तौर पर कोई हमदर्दी या संवेदना नहीं है।
न तो चुघ और न ही उनकी पार्टी उन सैनिकों की वेदना को समझ सकती है, जो अपने पिता और भाइयों पर हक मांगने के जवाब में अत्याचार और आंसू गैस के गोले बरसते देखते हैं। बता दें कि भाजपा नेता तरुण ने आरोप लगाया था कि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह लाल किले पर तिरंगे का अपमान करने वालों का साथ दे रहे हैं।
चुघ की टिप्पणी पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा गणतंत्र दिवस के सम्मान की बात करने का नैतिक हक गंवा चुकी है, जिसने पिछले छह वर्षों में खासकर कृषि कानूनों संबंध में संवैधानिक ताने-बाने को सोची-समझी साजिश के तहत चोट पहुंचाई है। कैप्टन ने कहा कि गणतंत्र दिवस के उस सम्मान का क्या हुआ, जब केंद्र सरकार ने बिना किसी से सलाह किए कृषि अध्यादेश लाकर संघीय ढांचे और राज्यों के संवैधानिक हकों को चोट पहुंचाई है।
लाल किले पर तिरंगे के निरादर संबंधी आरोपों का जवाब देते हुए कैप्टन ने कहा कि लाल किले पर हुई हिंसा में किसी का समर्थन करना तो दूर की बात है, वह सबसे पहले आजाद भारत के प्रतीक का निरादर होने और हिंसा की सख्त शब्दों में निंदा करने वालों में से थे। मुख्यमंत्री ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर जरा भी विश्वास नहीं है कि समस्या खड़ी करने वाले किसान थे।
उन्होंने कहा कि शरारती तत्वों में भाजपा के अपने समर्थक शामिल थे, जिनको गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले में गड़बड़ करने के लिए भड़काते हुए देखा गया। उन्होंने कहा कि इस बात का पर्दाफाश होना चाहिए कि किसने साजिश रची और यह पता लगे कि इसमें किसी पार्टी या तीसरे मुल्क का हाथ तो नहीं।