काली नदी से ज्यादा प्रदूषित है ये नाला
मनोज राठी |
गंगानगर: लोग काली नदी को मेरठ का अभिशाप कहते हैं, लेकिन न नगर निगम और न ही प्रशासन का ध्यान कसेरूखेड़ा नाले की ओर नहीं जाता है।
ये नाला काली नदी से ज्यादा प्रदूषित और केमिकल की दुर्गंध से भरा हुआ है। जिस कारण करोड़ों की कोठियों में रहने वाले लोगों का जीवन दूभर हो रहा है।
मवाना रोड से मीनाक्षीपुरम से लेकर खटकाना पुल कसेरूखेड़ा वार्ड नंबर-20 तक की सड़क पर गहरे-गहरे गड्ढे हो गए हैं। जिससे नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उसकी सड़क किनारे कूड़े का ढेर लगा है। जिससे काफी बदबू फैल रही है और भयंकर बीमारी होने का खतरा बना हुआ है। पास में ही डिफेंस कॉलोनी व कसेरूखेड़ा क्षेत्र भी है। जिससे आने-जाने वाले नागरिकों को दुर्गंध का सामना करना पड़ता है।
नाला निर्माण कार्य होने के कारण नाले की मिट्टी सड़क किनारे ही पड़ी हुई है। जिससे सड़क चार मीटर के स्थान पर दो मीटर की होकर रह चुकी है और मिट्टी के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे हुए हैं। जिससे कभी भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है।
वहीं, नागरिकों की मांग है कि चार मीटर के स्थान पर कम से कम सात मीटर की सड़क होनी चाहिए। उधर, नागरिकों की मांग है कि कसेरूखेड़ा मेन बाजार और मवाना रोड मीनाक्षीपुरम से खटकाना पुल तक सड़क निर्माण कराने व नाले किनारे से खत्ता हटवाने के आदेश पारित किया जाए। इसके लेकर नागरिकों ने एक प्रार्थना पत्र डीएम अनिल ढींगरा को सौंपा है।
नाले में ही कूड़ा-कचरा सड़-गल रहा है, लेकिन इस दिशा में न तो लोग अपने सिविक सेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं और न ही जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है। नालों की गंदगी और बदबू से कई इलाकों में बीमारियां दस्तक देने को तैयार है।
नालों में गंदगी, सड़कों पर कूड़ा
शहर के बीचोबीच बने नाले गंदगी से लबालब है। नालों की गंदगी मुंह चिढ़ा रही है। शहर के विभिन्न हिस्सों में नालियों व नालों की बुरी दशा है। शहर में फैली गंदगी के चलते लोग कपड़े से मुंह ढककर निकलने को मजबूर हैं। शहर के बीचोबीच स्थित इस नाले की बिगड़ती दशा के चलते दुकानदारों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। गंदगी से लबालब नाले से दिन में मक्खियां नाक में दम कर देती हैं और रात के समय मच्छरों का कोहराम मच जाता है। बदबू से डिफेंस कालोनीवासियों का हाल तो बेहाल ही है।
नागरिकों का दर्द आया जुबां पर, लोग अपनी जिम्मेदारी समझें
विनोद सोनकर, मुख्य संगठक मेरठ महानगर का कहना है कि नालों में कचरा फेंका जाना दुर्भाग्य की बात हैं। शहर के लोगों को जिम्मेदार बनने की आवश्यकता है। नालों का पानी कहीं न कहीं नदी में जाकर मिलता हैं। जहां कचरे फेंके जाते हैं वहां आक्सीजन की कमी हो जाती है। कचरे को नाले में फेंकने से आर्गेनिक वेस्ट तथा पॉलीथीन का टॉक्सिक पानी को जहरीला बना देता हैं।
कचरा जलाने से जहरीली गैस
लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी निवासी मीनाक्षीपुरम का कहना है कि कचरा जमाकर आग के हवाले करने से हवा में जहर घुल रहा है। वहीं, कचरे में प्लास्टिक जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं, जिसका सीधा असर लोगों की आंख, स्किन और लंग्स पर पड़ता है। इसके बावजूद मेरठ नगर निगम के अधिकारियों को ये चीजें दिखाई नहीं देती हैं। उल्टा ये शहर के स्वच्छ होने का दावा करते हैं।
कभी भी फैल सकती है महामारी
दलवीर सिंह पूर्व सैनिक निवासी ईशापुरम का कहना है कि कसेरूखेड़ा नाले की हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कभी भी महामारी फैल सकती है। कालोनियों में सफाई पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। इससे बीमारी फैल रही है।
नहीं सुनते आलाधिकारी
आलोक माहेश्वरी, संरक्षक श्रीरामलीला दशहरा कमेटी निवासी कसेरूखेड़ा का कहना है कि अधिकारियों से बार-बार शिकायत की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। अब लोगों ने शिकायत भी करना बंद कर दिया है।
नाला बना अभिशाप
पंकज चौहान फ्रेंडस मेडिकल स्टोर निवासी रक्षापुरम का कहना है कि हमारा इलाका शहर के पॉश इलाके में शुमार है, फिर भी हमारे वार्ड का गंदा नाला वार्ड के लिए अभिशाप बना हुआ है। नाले से उठने वाली दुर्गंध ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है।
खुले नाले से खतरा
अधिवक्ता सतेंद्र वर्मा निवासी न्यू मीनाक्षीपुरम का कहना है कि कालोनीवासियों से गृहकर वसूला जा रहा है, लेकिन मूलभूत सुविधाएं देने के नाम पर प्रशासन जीरो है। नाला खुला होने के कारण बच्चों के गिरने का भय रहता है। शिकायत करने के बावजूद कोई अधिकारी गौर नहीं करता। सिखेड़ा गांव के जाने वाले रास्ते पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नाले से उठती जहरीली गैस से घरों के एसी, फ्रिज, कूलर व अन्य विद्युत उपकरण अनायास ही समय से पहले खराब हो रहे हैं।
सांस लेने में होती है तकलीफ
विजयपाल कश्यप, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य समाजवादी पार्टी, निवासी अम्हेड़ा रोड का कहना है कि सफाईकर्मी के न आने के कारण लोग नाले किनारे खत्ते में गंदगी गिरा रहे हैं। कूड़े से भयंकर दुर्गंध आ रही है। इस कारण बुर्जुगों और बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
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