Thursday, May 8, 2025
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हरिद्वार महाकुंभ से आस थी वो भी टूटी

  • आयोजन की अनिश्चितता के कारण होटल उद्योग और पर्यटन पर बुरा असर
  • कोरोना की आड़ में लगाए जा रहे कड़े प्रतिबंध श्रद्धालु भी घटेंगे

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: धर्म को मुख्य आधार मानने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तराखंड में ऐतिहासिक कुंभ मेले की अवधि घटाकर एक महीने कर दी है। इससे हजारों सालों से चला आ रहा महान कुंभ मेला कोरोना गाइड लाइन की चपेट में आ गया है।

सरकार ने कुंभ मेले की अवधि घटाकर प्रदेश के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। अगर यही रवैया रहा तो एक महीने के कुंभ में भी रिकार्ड भीड़ नहीं जुट पाएगी।

हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है जिसे लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल कुंभ मेले की अवधि को घटा दिया गया है। साथ ही कोरोना को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने जरूरी गाइडलाइन भी जारी की हैं।

इस साल हरिद्वार कुंभ की शुरूआत एक अप्रैल से होगी और समापन 30 अप्रैल को होगा। पहले कुंभ मेले की शुरूआत 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन से होनी थी और समापन 27 अप्रैल को होना था यानी करीब दो माह के लिए। अब कुंभ मेले की अवधि को घटाकर सिर्फ एक माह यानी 30 दिन का कर दिया गया है।

पहले जब भी कुंभ मेले का आयोजन होता था तब महीने भर पहले से हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून के होटल बुक हो जाते थे और श्रद्धालु कुंभ मेले का जमकर आनंद लेते थे। इस बार स्थिति बदल गई है। कुंभ के आयोजन में समय की अनिश्चितता को लेकर होटलों में बुकिंग तक नहीं शुरु हो पाई है।

उत्तराखंड सरकार के लिये मुख्य आय पर्यटन उद्योग से होती है, लेकिन जिस तरह से कुंभ को लेकर हास्यास्पद स्थिति पैदा की गई है उससे पर्यटन उद्योग उत्तराखंड में बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। सरकार ने अब कुंभ मेले की अवधि एक माह घोषित की है ऐसे में होटल उद्योग कैसे पनपेगा यह भविष्य के गर्त में समाया हुआ है।

इसके पीछे एक कारण यह भी है कि सरकार ने कुंभ में आने वालों के लिये कठिन शर्तें रखी हैं। कुंभ मेले में आने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति हरिद्वार आने की तारीख से 72 घंटे पहले तक की रिपोर्ट साथ लेकर आए।

आने वाले प्रत्येक व्यक्ति या यात्री को महाकुंभ मेला, 2021 के वेब पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, केवल रजिस्टर्ड लोगों को ही एंट्री मिलेगी। किसी भी श्रद्धालु/श्रद्धालुओं के जत्थे को पवित्र स्नान के लिए अधिकतम 20 मिनट का समय ही दिया जाएगा। इन सबके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क का हर समय उपयोग अनिवार्य होगा।

कब-कब होंगे शाही स्नान

कुंभ मेले की अवधि कम करने के साथ ही शाही स्नान की संख्या में भी कमी की गई है। पहले जहां कुंभ मेले के दौरान चार शाही स्नान होते थे उसे इस बार घटाकर तीन कर दिया गया है। अप्रैल के महीने में तीन शाही स्नान होंगे। पहला शाही स्नान 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या), दूसरा शाही स्नान 14 अप्रैल (बैसाखी) और तीसरा शाही स्नान 27 अप्रैल (पूर्णिमा के दिन) होगा।

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