- शामली जनपद की तीन चीनी मिलों पर 489.879 करोड़ रुपये
- वर्तमान पेराई सत्र का 422.79 और गत सत्र का 66.99 करोड़
- थानाभवन मिल पर पिछले सत्र का 46.28 करोड़ रुपये बकाया
जनवाणी संवाददाता |
शामली: विधानसभ चुनाव में भाजपा द्वारा विपक्षी दलों पर हमलावर होते हुए कैराना पलायन के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम और बदमाशों को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों को लगातार हवा दी जा रही है। यहां तक की गन्ना हमारा और जिन्ना उनका जैसे शब्दबाण चलाकर विपक्ष के घातक तीरों को निस्तेज करने की कोशिश की जा रही है लेकिन क्या वास्तव में गन्ना उलट भाजपा खेमों को घायल कर सकता है। गन्ना भुगतान पश्चिमी उप्र में बड़ा मुद्दा रहा है। 2018 के कैराना लोकसभा उप चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा के जिन्ना के मुद्दे की हवाला निकाल दी थी। गन्ने की मिठास का स्वाद सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी की जीत के रूप में चखा था।
सुप्रीम कोर्ट का 14 दिन के अंदर किसानों को गन्ना भुगतान का आदेश है। गन्ना एक्ट में भी 14 दिन के अंदर गन्ना भुगतान के निर्देश चीनी मिल मालिकों को दिए गए हैं। 14 में भुगतान न होने पर ब्याज का प्रावधान भी है लेकिन यह मामला वर्तमान में हाईकोर्ट में विचाराधीन है। सरदार वीएम सिंह ने वर्ष 2011 से किसानों को बकाया गन्ना भुगतान पर ब्याज की मांग करते हुए रिट दायर कर रखी है। इसलिए जिला स्तर पर गन्ना विभाग द्वारा ब्याज का लेखा-जोखा तक तैयार नहीं किया गया है। विभाग को हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है। उसके बाद किसानों का चीनी मिलों पर कितना ब्याज किसानों का निकलता है, इसका हिसाब-किताब तैयार किया जाएगा।
अगर बात शामली जनपद में बकाया गन्ना भुगतान की करें तो गत वर्ष के पेराई सत्र 2021 का बकाया गन्ना भुगतान 66.99 करोड़ रुपये है। इसमें सर्वाधिक 46.28 करोड़ रुपये बजाज ग्रुप की थानाभवन चीनी मिल पर है जबकि शामली चीनी पर 20.71 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान है। इस तरह से वर्तमान पेराई सत्र की तो छोड़िए अभी तक पिछले पेराई सत्र का भुगतान भी फाइनल नहीं हुआ है।
हालांकि गन्ना मंत्री सुरेश राणा थानाभवन सभा क्षेत्र में प्रदेश में रिकार्ड गन्ना भुगतान की बात जरूर करते हैं। इसी तरह वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 का 422.79 करोड़ रुपये बकाया है जबकि पेराई सत्र प्रारंभ हुए करीब ढाई माह का समय बीत चुका है लेकिन तीन चीनी मिलों में से सिर्फ ऊन मिल ने ही वर्तमान सत्र का 4 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान किया है। ऐसे में सरकार की चीनी मिलों पर लगाम लगातार ढ़ीली पड़ी है। बता दें, कि गत पेराई सत्र का 50 करोड़ रुपये का भुगतान तो चीनी मिलों ने 21 जनवरी को तब किया था जब प्रदेश सरकार ने 50 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने दिए थे।
वहीं, गन्ना किसानों की नजर में आज भी भुगतान बड़ी समस्या बना हुआ है। अगर गन्ना भुगतान उनकी नजर में बड़ी समस्या नहीं होता तो वर्तमान पेराई सत्र के 466.79 करोड़ रुपयों में से अब तक 300 करोड़ रुपये का भुगतान नियमानुसार हो जाना चाहिए था। इसलिए गन्ना भुगतान का मुद्दा जनपद शामली की थानाभवन के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अन्य विधानसभा सीटों पर भी अपना रंग दिखा सकता है, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहंीं है।
भाजपा सरकार नहीं करा पाई वक्त पर गन्ना भुगतान
उप्र की वर्तमान भाजपा सरकार में गन्ना किसानों की कोई सुनने वाला नहीं रहा है। शामली जनपद के गन्ना मंत्री होते हुए भी पिछले साल पेराई सत्र का दो माह भुगतान बकाया है। वर्तमान में पेराई सत्र को प्रारंभ हुए लगभग 3 माह का समय बीतने जा रहा है लेकिन चीनी मिलों ने इस सत्र का कोई पैसा गन्ना किसानों को अभी तक नहीं दिया है। पिछली सरकारों में खासतौर पर मायावती सरकार का कार्यकाल गन्ना किसान के लिए बहुत अच्छा रहा है। इसके अलावा वर्तमान सरकार द्वारा गन्ना फसल का सही लाभकारी मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है। इसलिए इस चुनाव में भाजपा सरकार का जाना गन्ना किसान के हित में रहेगा।
-चौधरी अनिल मलिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय गन्ना किसान संघ, प्रदेश सचिव भारतीय किसान यूनियन, उ.प्र.