Friday, January 24, 2025
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महामारी से उपजा मेडिकल कचरा चिंताजनक

 

Nazariya 11


Ali khanआज वाकई यह बेहद चिंताजनक है कि कोरोना महामारी का खतरा लगातार कम हो रहा है, मगर इससे पैदा हुआ मेडिकल कचरा पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चिकित्सा उपकरणों से इंसान और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा पैदा हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान जमा हुए हजारों टन अतिरिक्त कचरे ने कचरा प्रबंधन प्रणाली या कचरा निपटान प्रणाली पर गंभीर दबाव डाला है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मौजूदा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों और कार्य में सुधार की सख्त जरूरत है। जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में दशार्या गया है कि कोरोना महामारी के कारण मेडिकल कचरे में बेतहाशा इजाफा हुआ है। इसके मुताबिक, कोरोना महामारी के परिणामस्वरूप मेडिकल कचरा 2 लाख टन से भी अधिक जमा हो गया है। इसमें से अधिकांश प्लास्टिक कचरे के रूप में है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मार्च 2020 से नवंबर 2021 तक लगभग 1.5 अरब पीपीई किट का निर्माण और वितरण चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए किया गया था। इनका वजन लगभग 87,000 टन है। गौर करने वाली बात यह है कि यह मात्रा केवल संयुक्त राष्ट्र की एक प्रणाली के तहत वितरित उपकरणों के लिए है जबकि वास्तविक मात्रा और संख्या इससे कहीं अधिक है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस उपकरण और सुरक्षात्मक किट का अधिकांश भाग कचरे का हिस्सा बन गया। इसके अलावा दुनिया भर में 14 करोड़ परीक्षण किट प्रदान की गई हैं, जिसमें 2600 टन प्लास्टिक और 731000 लीटर केमिकल अपशिष्ट जमा होने का जोखिम है। निजी इस्तेमाल के लिए फेस मास्क अनुमानों में शामिल नहीं हैं।

विदित होगा कि कोरोना महामारी के शुरूआती दौर में देश और दुनिया के कोने-कोने से स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाहियां भी सामने आई थीं। देश में स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही कोरोना सैंपल लेने के बाद वीटीएम के वैस्टेज के निस्तारण के बजाए इसे लैब के बाहर खुले में फैंकने के रूप में सामने आई थी। यह सचमुच हमारी चिंताओं को बढ़ाने वाली थी। जैसा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड-19 की जांच में करोड़ों की संख्या में सैंपल लिए गए। इसके सैंपल में इस्तेमाल होने वाली वीटीएम का निस्तारण नहीं किया गया। या तो इसे खुले में फैंका गया या फिर कूड़े के ढेर में डाल दिया गया। जबकि इसका उचित निस्तारण किया जाना बेहद जरूरी था। बता दें कि कि वीटीएम उस तकनीक का नाम है, जो कोरोना सैंपल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम करता है। कोरोना के सैंपल को आमतौर पर वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम यानी वीटीएम नामक लिक्विड में रखे जाते हैं। इसके रिसाव से बचने के लिए अच्छी तरह से पैक किया जाता है। इसके उपयोग के बाद मजबूत प्लास्टिक बैग के साथ निस्तारण किया जाना जरूरी होता है। दरअसल, वीटीएम का निस्तारण बायोवेस्ट की तर्ज पर करना होता है, लेकिन इसमें अधिकारियो की उदासीनता के चलते समुचित निस्तारण नहीं हो पाया। दरअसल, महामारी से पहले भी डब्ल्यूएचओ ने चेताया था कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों का एक तिहाई अपने कचरे का निपटान करने में सक्षम नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ ने पीपीई के अधिक विचारशील उपयोग, कम पैकेजिंग, इसके निर्माण में बायोडिग्रेडेबल सामग्री के इस्तेमाल और कई अन्य उपायों का आह्वान किया है जो इकट्ठा किए गए कचरे की मात्रा को कम करेंगे।

डबल्यूएचओ ने बताया कि हजारों टन अतिरिक्त चिकित्सा कचरे ने अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को प्रभावित किया है। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है। यह खतरा इन प्रणालियों में सुधार करने और इसमें सरकारों व लोगों दोनों के सहयोग की सख्त आवश्यकता की ओर इशारा करता है। साथ ही जनता की जागरूकता पर भी बल देता है। डबल्यूएचओ की जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य इकाई की तकनीकी अधिकारी डॉ. मार्गरेट मोंटगोमरी ने कहा कि जनता को जागरूक उपभोक्ता भी बनना चाहिए, मात्रा के लिहाज से यह बहुत अधिक वेस्ट है। मोंटगोमरी ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई किट) का जिक्र करते हुए कहा कि हमें लगता है लोग अत्यधिक पीपीई किट पहन रहे हैं। डबल्यूएचओ का कहना है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए मार्च 2020 से नवंबर 2021 तक प्राप्त किए गए इस तरह के लगभग 87,000 टन मेडिकल किट बेकार हो गए हैं। इस प्रकार से देखा जाए तो कोरोना महामारी के फलस्वरूप मेडिकल कचरा बढ़ा है। जैसा कि दुनिया के हर कोने से संक्रमण की रोकथाम के लिए मास्क, पोशाक, टीके, टेस्ट उपकरण, सेनिटाइजर आदि का अभूतपूर्व मात्रा में उत्पादन हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड से संबंधित अतिरिक्त कचरा चिकित्साकर्मियों और लैंडफिल के आसपास रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जोखिम पैदा करता है। लिहाजा, दुनियाभर में मेडिकल कचरे के सुरक्षित निपटारे और उसे रिसाइकिल करने के लिए नयी तकनीकों एवं संसाधनों में निवेश की आवश्यकता है। अस्पतालों और प्रशासन के स्तर पर सक्रियता के साथ नागरिकों को जागरूक करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। जिससे कि मेडिकल कचरे में हो रहे लगातार इजाफे पर अंकुश लगाया जा सके।

अली खान


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