Friday, July 18, 2025
- Advertisement -

सिटी स्टेशन पर हादसों से निपटने के इंतजाम नाकाफी

  • भीषण अग्निकांड से भी रेलवे प्रशासन ने नहीं लिया सबक
  • स्टेशन पर स्थित उत्तर रेलवे स्वास्थ्य केन्द्र मिला बंद

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: हादसे कभी बताकर नहीं होते, लेकिन इनका अंजाम बेहद डरावना होता है। दौराला रेलवे स्टेशन पर शनिवार को सहारनपुर-दिल्ली पैसेंजर ट्रेन में भीषण आग लग गई। गनीमत रही कि इसमे कोई जान नहीं गई। सवारियों ने चलती ट्रेन से कूदकर अपनी जान बचाई। अगर ट्रेन की गति अधिक होती तो न जाने कितनी जाने जा सकती थी, लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी रेलवे प्रशासन ने सबक नहीं लिया।

रविवार को मेरठ के सिटी स्टेशन पर स्थित उत्तर रेलवे स्वास्थ्य केन्द्र बंद मिला। दौराला ट्रेन हादसे में पैसेंजर गाड़ी की तीन बोगियां आग के आगोश में समा गई थी, इनमे सवार यात्रियों की संख्या 250 से अधिक थी। गनीमत यह रही कि कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ, लेकिन अगर आग की चपेट में आकर कोई झुलस जाता तो उसे इलाज कैसे और कहां मिलता इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

18 4

दौराला ट्रेन हादसा एक बड़ा हादसा है, इसकी जांच के लिए डीआरएम ने तीन सदस्यों की टीम बनाई है, जो हादसे की वजह का पता लगाकर अपनी रिपोर्ट देगी। वहीं, हादसे के बाद घायलों के इलाज के लिए रेलवे प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है। रविवार को सिटी रेलवे स्टेशन पर बने उत्तर रेलवे स्वास्थ्य केन्द्र का हाल जानने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

इस अस्पताल में महज तीन लोगो को ही भर्ती करने के लिए बैड उपलब्ध है। इसके साथ ही यहां पर स्टाफ की बात की जाए तो महज छह लोग है जिनमे दो डाक्टर और नर्स व वार्डब्वाय की नियुक्ति शामिल है। स्टेशन प्रशासन के मुताबिक एक डाक्टर 24 घंटे इस अस्पताल में मौजूद रहता है, लेकिन हादसे वाले दिन से अगले ही दिन यानी रविवार को यह अस्पताल बंद मिला।

यहां पर न तो कोई कर्मचारी मौजूद था न ही डाक्टर, अंदर जाकर बेडों व दूसरी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी कैसे ली जाती, जब मेन गेट पर ही ताला लटका था। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल में न तो कोई ब्लड बैंक है और न ही एंबुलेंस की सुविधा है। दौराला जैसे हादसे से सबक नहीं लिया गया, अगर ऐसा ही हादसा यहां हो जाए तो हालातों का कैसे सामना किया जाएगा यह सबसे बड़ा सवाल है।

ट्रेन हादसों में खून की पड़ती है जरूरत

अक्सर देखा गया है कि किसी भी ट्रेन हादसे में मानव शरीर के कटने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में शरीर से खून बहने लगता है और तुरंत ही खून की जरूरत पड़ती है, लेकिन रेलवे के अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं होने पर इलाज के दौरान खून की जरूरत पड़ने पर इसकी पूर्ती कैसे होती है यह अहम् सवाल है।

एंबुलेंस भी नहीं

गंभीर रूप से घायल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन सिटी स्टेशन पर बने अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं है। ऐसे में मरीज को समय रहते अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो सकता है। रेलवे प्रशासन को यहां कम से कम एक एंबुलेंस की व्यवस्था तो करनी ही चाहिए।

दीपिका, स्टेशन मास्टर ने बताया कि कोई भी इमरजेंसी होने पर एंबुलेंस को फोन करके बुलाया जाता है। ब्लड की जरूरत पड़ने पर जिला अस्पताल से संपर्क किया जाता है।

20 4

गंभीर मरीज को जिला अस्पताल में भेजा जाता है। रविवार होने के कारण स्टाफ नहीं आया, लेकिन अगर जरूरत पड़ती है तो उसे बुलाया जा सकता है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
3
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Dipika Kakar: लीवर सर्जरी के बाद अब दीपिका कक्कड़ ने करवाया ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट, जानिए क्यों

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक​ स्वागत...

Sports News: 100वें Test में Mitchell Starcs का धमाका, टेस्ट Cricket में रचा नया इतिहास

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Dheeraj Kumar Death: ‘ओम नमः शिवाय’, ‘अदालत’ के निर्माता धीरज कुमार का निधन, इंडस्ट्री में शोक

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nimisha Priya की फांसी पर यमन में लगी रोक, भारत और मुस्लिम नेताओं की पहल लाई राहत

जनवाणी ब्यूरो |नई दिल्ली: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की...
spot_imgspot_img