जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जनता से ऐसा वादा कर डाला कि अच्छे-अच्छे अर्थशास्त्रियों के भी कान खड़े हो गए। ऐसा भी नहीं कि राहुल गांधी ने सिर्फ कहने के लिए यह बोला है, बल्कि यह वादा कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी शामिल है। जब इस वादे का विश्लेषण हुआ तो जो आंकड़े सामने आए, वह बेहद चौंकाने वाले हैं। आंकड़े देख आपके मन में भी बरबस यह सवाल उठ खड़ा होगा कि आखिर इस वादे को पूरा करने के लिए इतना पैसा कहां से आएगा, जबकि इसकी कुल लागत देश के मौजूदा बजट से भी ज्यादा दिखाई देती है।
हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल महालक्ष्मी योजना की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि इस योजना के तहत हम देश के गरीब परिवार की एक महिला को सालाना 1 लाख रुपये देंगे। यह पैसा बिना किसी शर्त और नियम के दिया जाएगा, ताकि उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकाला जा सके। जब हमने इस योजना के तहत आने वाले परिवारों की संख्या और उस पर खर्च होने वाली राशि का आंकड़ा निकाला तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
सबसे पहला सवाल ये उठता है कि आखिर देश में कितने गरीब परिवार हैं, जिन्हें राहुल गांधी 1 लाख रुपये सालाना की सहायता मुहैया कराएंगे। इसके लिए हमने नीति आयोग की ओर से जनवरी, 2024 में जारी एक आंकड़े का सहारा लिया। इसमें बताया गया है कि मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में 24.82 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले।
इस तरह, गरीबी में रह रहे लोगों का अनुपात 2013-14 के 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत रह गया। इसी आंकड़े को पकड़कर चलें तो संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक देश की मौजूदा जनसंख्या 1.44 अरब है। इस हिसाब से 16.24 करोड़ लोग अभी गरीबी में जीवन जी रहे हैं। अगर, एक परिवार में औसतन 4 सदस्य हैं तो कुल 4 करोड़ परिवार गरीबी रेखा में जीवन बिता रहे हैं।
अब हमारे सामने गरीब परिवार का एक मोटा-मोटा आंकड़ा है, जो 4 करोड़ आया है. राहुल गांधी के वादानुसार इन परिवारों को सालाना 1 लाख रुपये सीधे बैंक खाते में दिया जाएगा। इस तरह, हर साल का कुल खर्चा आएगा 40 लाख करोड़ रुपये। चौंक गए न, हम भी ऐसे ही चौंक गए थे। सिर्फ एक वादे को पूरा करने के लिए हर साल 40 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जिसका फायदा देश के महज 11 फीसदी लोगों को मिलेगा।
कहां खड़ा है देश
सरकार ने साल 2022 में देश का कुल बजट 39 लाख करोड़ रुपये जारी किया था, जबकि 2023 में संशोधित बजट 41.9 लाख करोड़ रुपये रहा। फरवरी, 2024 में 2024-25 के लिए कुल 47.66 लाख करोड़ रुपये का बजट जारी करने का अनुमान लगाया गया। इसमें साफ कहा गया कि सरकार को टैक्स व अन्य मदों से कुल कमाई 30.80 लाख रुपये की होने का अनुमान है। इसी आंकड़े से देखें तो राहुल गांधी का वादा सरकार की कुल कमाई से भी करीब 9.20 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है।
भरपाई के क्या-क्या रास्ते
अगर हम राहुल गांधी के इस वादे को पूरा करने के लिए पैसों के जुगाड़ का रास्ता देखें तो सबसे पहले सरकार के सबसे बड़े खर्च वाले सेक्टर को पकड़ते हैं। मोदी सरकार ने साल 2020 में नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन योजना तैयार की थी। इसमें वित्त वर्ष 2025 तक 111.30 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रावधान था, यानी हर साल 22 लाख करोड़ रुपये। यानी राहुल गांधी का वादा इस लक्ष्य का भी करीब दोगुना बैठता है। अगर इन्फ्रा के सभी प्रोजेक्ट रोक भी दिए जाएं तो यह पैसा पूरा नहीं पड़ेगा। वैसे हकीकत ये रही कि 2022 से 24 तक 3 साल में सिर्फ 23 लाख करोड़ रुपये ही इन्फ्रा पर खर्च किए जा सके।
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