Saturday, April 20, 2024
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आप विधायकों ने छठ घाटों पर तैयारियों का संभाला जिम्मा

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: छठ पूजा के आयोजन को लेकर आप विधायक व मंत्रियों ने कमान संभाल ली है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भलस्वा झील पर छठ तैयारियों का निरीक्षण किया।

छठ घाटों पर किसी प्रकार की कमी मिलने पर तत्काल सुधार के निर्देश दिए। कालकाजी से विधायक आतिशी ने गिरी नगर, तिलक खंड, गुरुद्वारा पार्क, प्रवासी पार्क, आस्था कुंज पार्क, कर्पुरी ठाकुर कैंप स्थित छठ घाटों का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के बाद गोपाल राय ने बताया कि जिस तरह की तैयारी दिल्ली सरकार कर रही है, उस तरह की कोई भी दूसरी राज्य सरकार नहीं कर रही है।

केजरीवाल सरकार की ओर से दिल्ली के अंदर करीब 800 जगहों पर छठ पूजा की सारी तैयारियां की जा चुकी हैं।  टेंट, सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। मोबाइल शौचालय की व्यवस्था की जा रही है।

भलस्वा झील पर हजारों लोगों की पूजा की तैयारी हो चुकी है। पूरी दिल्ली के लोगों से अपील है कि सभी पूर्वांचलवासी पूरे उत्साह के साथ कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए छठ पूजा मनाएं। सेहत का भी ख्याल रखे।

उन्होंने कहा कि पानी की सभी जगह पर सफाई की जा चुकी है। पूरी दिल्ली में लाखों पूर्वांचल के लोग रहते हैं। जिस तरह की तैयारी दिल्ली सरकार कर रही है उस तरह की कोई भी राज्य सरकार नहीं कर रही है।

सरकार ने नहीं उपराज्यपाल ने यमुना किनारे पूजा नहीं करने पर रोक लगाया

गोपाल राय ने इस मौके पर भाजपा पर भी निशाना साधा। कहा कि भाजपा कह रही है कि यमुना में पूजा करके दिखाएंगे। हमारा कहना है कि खूब पूजा करें। यमुना किनारे पूजा पर रोक उपराज्यपाल ने लगाई है।

पुलिस और उपराज्यपाल भाजपा के है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रोक नहीं लगाई है। उपराज्यपाल यदि अनुमति दे रहे हैं और पुलिस उनके साथ खड़ी है तो खूब पूजा करें, दिक्कत क्या है।

हरियाणा पर भी साधा निशाना

गोपाल राय ने कहा कि यमुना का पानी दिल्ली के लोग नहीं भेजते हैं। हरियाणा से जहरीला पानी यमुना में आ रहा है। हरियाणा में भाजपा की सरकार है।

भाजपा का काम है राजनीति करना है और आम आदमी पार्टी की सरकार का काम छठ पूजा करना और कराना है। हम अपना काम कर रहे हैं और भाजपा अपना काम कर रही है।

पराली जलाने का मामला किसानों का नहीं सरकारों का है

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पराली जलाने का मसला किसानों का नहीं सरकारों का मसला है। दिल्ली सरकार अगर दिल्ली के अंदर अपने खर्चे पर पराली गलाने का छिड़काव कर सकती हैं तो पंजाब, हरियाणा सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार क्यों नहीं कर सकती है।

पराली का समाधान सरकारों को पेश करना है। सरकार समाधान पेश नहीं कर रही हैं। दिल्ली में हमने करके दिखाया है। यदि इच्छाशक्ति हो तो हर राज्य में पराली को खत्म किया जा सकता है।

यमुना की झाग पर केंद्र व दिल्ली सरकार की भिड़ंत

यमुना नदी की मौजूदा हालत पर केंद्र व दिल्ली सरकार आमने-सामने हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसके लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि दिल्ली सरकार का कहना है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश अशोधित पानी यमुना में गिराए जाने से यह हालात बने हैं।

गजेंद्र सिंह शेखावत के मुताबिक, यह कहना कि दूसरे राज्यों से गंदा पानी आकर यमुना में गिरता है, असल में अपनी जिम्मेदारी से भागने वाली बात है। मुख्यमंत्री को बताना चहिए कि यमुना में रोज गिरने वाली दिल्ली की गंदगी को रोकने के लिए उन्होंने क्या किया है?

शेखावत ने बताया कि यमुना की दिल्ली क्षेत्र में गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की है।

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत लगभग 1385 एमएलडी के सीवेज शोधन की कुल 13 परियोजनाओं में केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

इनकी कुल लागत लगभग 2419 करोड़ रुपए है, लेकिन खेद की बात यह है कि अभी भी राज्य सरकार की प्राथमिकता इन परियोजनाओं को पूरा करने में नहीं है।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि यमुना एक्शन प्लान-तीन के तहत रिठाला, कोंडली और ओखला में एसटीपी बनने थे। इनका टेंडर फाइनल करने में ही दिल्ली सरकार को 25-27 महीने का समय लगा।

इसी तरह कुछ परियोजनाओं की योजना 7-8 साल पहले बनी, इसे मंजूर करने में दो साल लग गए। उनमें भी राज्य सरकार की दूसरी एजेंसी जैसे वन विभाग की मंजूरी अभी तक नहीं हुई है।

शेखावत ने तंज कसा कि दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों को प्रदूषण नियंत्रण के विषय पर पूरा ज्ञान देती है, उन्हें उच्चतम न्यायालय में खींचा है, लेकिन अपने गिरेबां में झांकने की फुरसत नहीं है।

दिल्ली सरकार बोली, यूपी और हरियाणा से यमुना में डाला जा रहा अशोधित पानी

यमुना नदी की झाग पर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और आम आदमी पार्टी विधायक राघव चड्ढा ने यूपी और हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया है। राघव चड्ढा के मुताबिक, यमुना में झाग ओखला बैराज क्षेत्र में है, जो यूपी सिंचाई सरकार के अधीन है। यह यूपी सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार हर साल की तरह इस साल भी फेल हुए। उन्होंने कहा कि प्रदूषित पानी दिल्ली का नहीं, यूपी, हरियाणा सरकार का दिल्ली को दिया ‘उपहार’ है।

राघव चड्ढा ने बताया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा से जो धारा यमुना में छोड़ी जाती है उसमें केमिकल, और डिटर्जेंट होता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा से लगभग 105 एमजीडी अपशिष्ट जल और यूपी से लगभग 50 एमजीडी अपशिष्ट जल ओखला बैराज में मिलता है। इस पानी में औद्योगिक कचरा, डिटर्जेंट और अमोनिया है, जिससे झाग बनता है।

राघव चड्ढा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने हरियाणा और उत्तरप्रदेश की सरकार से कई बार अपील की है कि पानी को शोधित करके ही साफ पानी यमुना में बहाया जाए।

लेकिन इसका अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। राघव चड्ढा ने कहा कि साल दर साल हमने यूपी सरकार को सिंचाई प्रौद्योगिकी, जैव कृषि पद्धति का उपयोग करने के लिए लिखा है। लेकिन भाजपा सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। आज तक बीजेपी सरकार ने समस्या का समाधान नहीं निकाला है।

डीपीसीसी रिपोर्ट, करीब 13.42 मिग्रा प्रति लीटर तक है नदी में फॉस्फेट

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति का कहना है कि यमुना में फॉस्फेट की मात्रा 6.9 मिलीग्राम प्रति लीटर से लेकर 13.42 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तापमान कम होने से इस समय झाग ज्यादा बन रहा है।

डीपीसीसी नियमित तौर पर अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करता है। हालांकि, उनका मानना है कि घरों से निकलने वाले वेस्ट से सबसे ज्यादा फॉस्फेट निकलता है। ओखला बैराज को खोलने से झाग इस वक्त दिख भी रहा है।

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