पटना, वार्ता |
बिहार के गया जिले के कुजापी पंचायत के मुखिया से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा ने इस बार के चुनाव में मिनी चित्तौड़गढ़ के नाम से मशहूर औरंगाबाद लोकसभा सीट पर राजपूतों के गढ़ को ढ़हा कर देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में भी पहली बार पहुंच गये।
औरंगाबाद संसदीय सीट को बिहार का ‘चित्तौड़गढ़’ कहा जाता है। वर्ष 1957 से अबतक यहां हुये सभी चुनाव में सभी सांसद राजपूत समाज के ही रहे। इसमें भी करीब चार दशक तक दो राजपूत परिवारों का ही दबदबा रहा। वर्ष 1989 से बिहार के पहले पूर्व उप मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण के पुत्र और छोटे साहब कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा और पूर्व सांसद रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह के परिवार के बीच मुकाबला होता रहा। सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने औरंगाबाद के सियासी किले पर पांच बार 1957, 1971, 1977, 1980 एवं 1984 में विजयी पताका लहराया। एक बार उनके बेटे निखिल कुमार वर्ष 2004 और बहू शयामा सिंह वर्ष 1999 में जीतीं। वहीं, रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह दो बार 1989 और 1991 और उनके बेटे सुशील सिंह चार बार 1998, 2009, 2014 और 2019 में औरंगाबाद से सांसद रहे।
वर्ष 2019 तक यहां जितने भी चुनाव हुए हैं सब में एक बात समान रही। यहां से जीतने वाला सभी राजपूत जाति से ही थे, भले ही यहां विभिन्न पार्टियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन जातियों के मामले में समानता बनी रही थी। इस बार के चुनाव में औरगाबाद संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सुशील सिंह आठवीं बार किस्मत आजमा रहे थे, वहीं उनके सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उम्मीदवार पूर्व विधायक अभय कुमार सिन्हा चुनौती बनकर खड़े थे। सुशील सिंह के पास इस चुनाव में पांचवीं बार औरंगाबाद से सांसद बनने का मौका था, लेकिन उन्हें अभय सिन्हा ने पराजित कर दिया। इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन में सीटों में तालमेल के तहत औरंगाबाद संसदीय सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मिली।
इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस औरंगाबाद सीट अपने लिये चाहती थी और यहां निखिल कुमार को प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन बात नहीं बनीं। राजद ने यहां गैर राजपूत समाज से आने वाले पूर्व विधायक अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुश्वाहा को उम्मीदवार बना दिया। यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार सिंह और राजद के अभय कुमार सिन्हा की सीधी टक्कर रही है। अभय कुमार सिन्हा चुनाव से पूर्व जनता दल यूनाईटेड (जदयू) छोड़ राजद में शामिल हुये थे। वह राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव की कसौटी पर खरे उतरे। राजद प्रत्याशी अभय कुमार सिन्हा ने भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह को 79 हजार 111 मतों के अंतर से शिकस्त दी। औरंगाबाद लोकसभा सीट पर चुनावी इतिहास में पहली बार राजपूत जाति से हटकर कोई कुशवाहा सांसद बना है। औरंगाबाद में राजपूतों का वर्चस्व रहा है।
बिहार के चितौड़गढ़ राजपूतों के गढ़ औरंगाबाद को अभय कुश्वाहा ने ध्वस्त कर पहली बार राजद की ‘लालटेन’ रौशन कर दी।
अभय कुमार सिन्हा का जन्म 05 जून 1972 को गया जिले के चंदौती थाना के कुजापी गांव में हुआ। उनके पिता रामवृक्ष प्रसाद हैं। अभय कुमार सिन्हा व्यवसाय में भी सक्रिय हैं। उनके पास प्लाई और ब्रिक्स प्लांट है। उनका विवाह कुमारी अंजली भारती से हुआ है और वह दो बच्चों के पिता हैं। अभय कुशवाहा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत पंचायत की राजनीति से की थी। श्री अभय कुमार सिन्हा वर्ष 2007 में गया के कुजापी पंचायत के मुखिया बने थे। इस समय उन्हें राष्ट्रीय जनता दल ने युवा प्रदेश महासचिव बनाया गया था। वर्ष 2010 में श्री कुश्वाहा ने राजद को छोड़कर जनता दल यूनाईटेड (जदयू) का दामन थामा था।
वर्ष 2012 में उन्हें गया का युवा जदयू जिलाध्यक्ष बनाया गया। जदयू जिलाध्यक्ष बनने के कुछ दिन बाद वर्ष 2012 में ही उन्होंने कुजापी पंचायत से एक बार फिर मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वर्ष 2015 में जदयू के टिकट पर श्री कुशवाहा ने टिकारी विधानसभा सीट से जीत हासिल की और पहली बार विधायक बनें। वर्ष 2018 में श्री कुशवाहा को युवा जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2020 में श्री कुश्वाहा ने बेलागंज विधानसभा से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें राजद के दिग्गज नेता सुरेन्द्र प्रसाद याादव ने पराजित कर दिया।
अभय कुशवाहा को वर्ष 2022 में गया जिला जदयू का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया। बिहार विधान सभा चुनाव में हारने के बावजूद, वह अपने कार्यक्षेत्र, मुख्य रूप से गया क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की विकासात्मक पहल लाने में सक्रिय रहे। वर्ष 2023 में, उन्होंने इलाके के घरों में संपीड़ति बायो गैस आपूर्ति प्रदान करने के लिए गोबर धन योजना के तहत गया में एक बायो गैस संयंत्र शुरू किया। इस बार के चुनाव से पूर्व श्री कुश्वाहा जदयू से नाता तोड़ राजद में शामिल हो गये थे।श्री कुश्वाहा ने औरंगाबाद से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार ही सांसद बनने में सफल हो गये।
अभय कुमार सिन्हा ने अपनी जीत का श्रेय औरंगाबाद लोकसभा की जनता को दिया है। उन्होंने कहा है कि पिछड़ा के बेटे को लोकसभा में भेजकर लोगों ने कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने कहा है कि यह औरंगाबाद के महान मतदाताओं महागठबंधन के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं की जीत है। बहुत दिनों के बाद इस सीट से एक पिछड़ा का बेटा सांसद बना है। मैं अपने क्षेत्र का ईमानदारी से विकास करूंगा इसका विश्वास दिलाता हूं।