Monday, July 8, 2024
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लापरवाह सरकारी सिस्टम और फर्जी जमानत पर मर्डर का आरोपी

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  • फर्जीवाड़ा : हाईकोर्ट के आदेश पर सत्यापन पर उठ रहे सवाल…
  • जमानत शपथ पत्र पर फोटो किसी के और नाम किसी और का
  • हत्यारोपी की जमानत और फर्जी दस्तावेज का ‘जनवाणी‘ ने छानबीन कर किया राजफाश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ये फर्जीवाड़ा न्यायपालिका से जुड़ा हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर हत्या और डकैती के आरोपी की जमानत से पहले जमानतियों के दस्तावेज की जांच पुलिस और तहसील प्रशासन से कराई गयी, जिसमें पुलिस और प्रशासन दोनों ही कठघरे में खड़े हो गए हैं। मर्डर के आरोपी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत तो मिल गई, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर सत्यपान की रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश को भी पुलिस और प्रशासनिक अफसर गंभीरता से नहीं लेते हैं, जिसके चलते इस तरह का फजीर्वाड़ा सामने हैं। यह हैरान कर देने वाला मामला है। ‘जनवाणी’ को दो सप्ताह पहले एक शिकायत मिली थी कि फर्जी दस्तावेज से अदालतों में जमानत कराने वाला गिरोह सक्रिय हैं। हत्या और डकैती जैसे संगीन आरोपों में भी आरोपियों की फर्जी दस्तावेज लगाकर जमानत कराई जा रही है।

‘जनवाणी’ ने इसे गंभीरता से लेते हुए ग्राउंड स्तर पर छानबीन की, जिसमें चौकाने वाले तथ्य मिले। हाईकोर्ट के आदेश पर भी सत्यपान की जांच सही नहीं हुई, जिसके चलते मर्डर जैसे अपराध में आरोपी को जमानत मिल गई। आरोपी फर्जीवाड़ा करने के बाद भी छूट्टा घूम रहा हैं। जांच पड़ताल में कई दिन तो लगे, लेकिन ‘जनवाणी टीम’ सच अपने पाठकों तक पहुंचाने में कामयाब रही।

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गाजियाबाद के मोदीनगर में डा. दादू के घर 2010 में डकैती और डा. दादू की मां लेडी दादू का मर्डर कर दिया गया था। इस सनसनीखेज घटना में रईसुद्दीन पुत्र अब्दुल हबीज निवासी जाकिर कॉलोनी मेरठ को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। आरोपी के कब्जे से पुलिस ने डकैती का माल भी बरामद किया गया था। 19 अपै्रल 2022 को डकैती और हत्या के आरोपी रईसुद्दीन को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।

7 जून 2022 को रईसुद्दीन जेल से बाहर आया था। बड़ा सवाल यह है कि रहीसुद्दीन की जमानत लेने वाले जमानती परतापुर थाना क्षेत्र के भूडबराल गांव निवासी इश्तियाक अली पुत्र जमशेद अली व उनके छोटे भाई सलीम के नाम हैं। उनकी जमीन के दस्तावेज जमानत में लगे हुए हैं।

‘जनवाणी’ की छानबीन में यह तथ्य सामने आया कि इस इश्त्यिाक पुत्र जमशेद अली निवासी भूड बराल और उनके छोटे भाई सलीम ने हत्या और डकैती के आरोपी रईसुद्दीन की जमानत ही नहीं दी। जमानत के लिए जो शपथ पत्र भरा जाता हैं, उस पर चस्पा फोटो भी उनके नहीं हैं। ये फोटो किसी अन्य के हैं। आधार कार्ड की प्रति भी लगी है, जो फर्जी हैं। आधार कार्ड के नंबरों का मिलान किया गया तो आपस में मेल नहीं खाता हैं।

उनकी जमीन के दस्तावेज तो लगे हैं, लेकिन गलत हस्ताक्षर हैं। इश्त्यिाक व सलीम दोनों भाई निरक्षर हैं। अंगूठा ही कागजों पर लगाते हैं, जबकि जमानतियों ने कागजों पर हस्ताक्षर किये हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि परतापुर थाने से जमानतियों की जांच भी हुई, ऐसा सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं, लेकिन वह भी फर्जी हैं। थाने में एसआई केपी सिंह ने जांच की, लेकिन छानबीन से पता चला कि एसआई केपी सिंह उस दौरान परतापुर थाने में तैनात ही नहीं थे।

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किसी फर्जी आदमी ने एसआई केपी सिंह के हस्ताक्षर कर रिपोर्ट बना दी। उसी को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट से मर्डर के आरोपी को जमानत मिल गई। तहसील की टीम अलग से जांच करती हैं, उसमें भी फर्जीवाड़ा हुआ। वहां से भी फर्जी जांच रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई। इस तरह से हाईकोर्ट के आदेश पर सत्यपान की जांच कैसे होती हैं, यह एक बानगी भर हैं।

हाईकोर्ट के आदेश को भी पुलिस और प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता। परिणाम फर्जीवाड़ा सामने हैं। मर्डर का आरोपी फर्जी तरीके से दस्तावेज लगाकर जमानत कराकर जेल से बाहर घूम रहा हैं। यह सरकारी सिस्टम के लिए शर्मसार कर देने वाला मामला हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम अभी भी नींद में हैं। इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन फिर भी किसी स्तर पर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।

आरोपी का नया ठिकाना देहली गेट थाना

डकैती और हत्या के इस आरोपी का ठिकाना वर्तमान में देहली गेट थाना बना हुआ हैं। कोतवाली सीईओ के यहां आना-जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि आरोपी का थाने में आने जाने का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें मर्डर के आरोपी रहीसुद्दीन देहली गेट और सीओ कोतवाली के आॅफिस से निकलते हुए दिखाई दे रहा हैं। यहां एक दिन नहीं, बल्कि अक्सर उनका आवागमन हो रहा है, जो सवालों के घेरे में हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि मर्डर के आरोपी व्यापारी चंचल को दुकान के एक मामले में धमका भी रहा हैं। इंस्पेक्टर देहली गेट ने हत्यारोपी से मिलकर चंचल पर दबाव बनाया कि दुकान खाली करो। इस मामले में भी इंस्पेक्टर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

प्रभाकर चौधरी का था आपराधियों में खौफ

तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी का आपराधियों पर खौफ था। मर्डर के आरोपी रईसुद्दीन की हाईकोर्ट से जमानत 19 अपै्रल में हो गई थी, लेकिन आरोपी की किसी ने फर्जी जमानत भी नहीं दी। जैसे ही प्रभाकर चौधरी का मेरठ एसएसपी पद से तबादला हुआ, ठीक उसके अगले दिन ही गत 7 जून 2022 को जमानत भर दी गई।

हालांकि वर्तमान में जो एसएसपी रोहित सजवाण है, वह भी सख्त हैं। इस मामले में निश्चित रूप से वह कार्रवाई करेंगे। क्योंकि मामला हाईकोर्ट से जुड़ा हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर हुए सत्यपान को लेकर अंगुली उठ रही हैं।

मैंने नहीं दी जमानत: इश्तियाक

मर्डर के आरोपी रईसुद्दीन की जमानत पर जिस इश्तियाक अली का फोटो व जमीन के दस्तावेज लगे हैं उनका का कहना है कि उनके पास परतापुर थाने से कोई जांच करने पुलिस वाला नहीं आया। रईसुद्दीन नामक किसी आरोपी की उन्होंने जमानत ही नहीं ली।

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फर्जी तरीके से उनकी जमीन के कागजात लगाये गए हैं। इसकी सरकारी स्तर पर जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। आरोपी की जमानत खारिज कराने के लिए वह न्यायालय की शरण में जाएंगे, ताकि इस फर्जीवाड़े की जानकारी दी जा सके।

जमानत के नाम पर फर्जीवाड़ा: सलीम

जमानत देने वालों में सलीम भी शामिल हैं। सलीम भी भूड़बराल थाना परतापुर क्षेत्र का रहने वाला हैं। उनका कहना है कि रईसुद्दीन को वह नहीं जानते। उसकी जमानत उन्होंने नहीं दी। उनकी जमीन के दस्तावेज गलत लगाये गए हैं।

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उनका निशाना अंगूठा कहीं पर नहीं लगा हैं। इसकी जांच कराई जानी चाहिए। इसमें पुलिस और प्रशासन आरोपियों के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे। इसकी अधिकारियों से मिलकर बात की जाएगी।

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