- सुप्रीम कोर्ट के बिक्री पर रोक के आदेश को लेकर गंभीर नहीं पुलिस प्रशासन
- शहर में गली-गली 20-20 रुपये में ठेलों पर बेची जाता है मौत का सामान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: उसकी उम्र बामुश्किल 16 या 17 साल की रही होगी। परिवार में वो सबकी लाडली थी। उसके विवाह को लेकर परिजनों ने कितने हसीन सपने देखे थे, लेकिन पल भर में ताश के पत्तों की मानिंद सब कुछ बिखर गया। उसकी एक ना यानि की इंकार ने उसकी जिसके सारी जिंदगी को जलाकर रख दिया। जो शोहदा उसके पीछे पड़ा उसको इंकार इतना नागवार गुजरा की उसके जिस्म पर तेजाब की बोतल दे मारी।
उस मासूम पर तब क्या गुजरी यह कहने के लिए अल्फाज नहीं, लेकिन तेजाब हमले ने उसको जिंदा लाश में जरूर तब्दील कर दिया। ये कहानी फिल्मी बिल्कुल नहीं है, जमीनी हकीकत है। मेरठ में पूर्व में तेजाबी हमलोें की कई वारदात हो चुकी हैं। सवाल ये नहीं कि तेजाबी हमलों की वारदात मेरठ में कब हुई थीं। सवाल ये है कि जो जिस्म से लेकर रुह तक को फूंक देता है
उसकी खुली बिक्री पर पुलिस प्रशासन के उच्च पदस्थ अफसर आंखें मूूंदे क्यों बैठे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के तेजाब की खुली बिक्री पर रोक के लिए बेहद सख्त आदेश हैं। दो पूर्व गंगानगर थाना क्षेत्र में एक परचून की दुकान पर दिव्यांग बच्चे ने कोल्डडिंÑक समझकर तेजाब पी लिया। जिससे बच्चे की हालत बिगड़ गई और उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अभी बच्चे की हालत स्थिर बनी हुई है।
इसलिए करनी पड़ी थी सुप्रीम कोर्ट को सख्ती
देश व दुनिया को हिला देने वाले बहुचर्चित लक्ष्मी एसीड अटैक कांड के बाद एक सीनियर महिला एडवोकेट अनुजा कपूर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2013 और 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद खुलेआम एसिड बेचा जा रहा है और इसलिए एसिड अटैक की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। याचिका में कहा गया है कि एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा और इलाज एवं पुनर्वास के आदेशों का भी ढंग से पालन नहीं हो रहा है।
पीठ को जानकारी दी गई कि वर्ष 2010 से 2016 के बीच एसिड अटैक की 1189 घटनाएं हुई हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) डेटा के अनुसार, देश भर में तेजाब से हमले के 2021 में 176, 2020 में 182 और 2019 में 249 मामले दर्ज किए गए। वहीं, अगर सिर्फ दिल्ली की बात करें तो 2021 में तेजाब से हमले के नौ मामले सामने आये। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने देश भर के केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों की सरकारों को नोटिस भेजकर तेजाब की खुली बिक्री पर रोक लगाए जाने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी थी कि एसिड अटैक कल घटनाओं के बावजूद खुले में तेजाब की बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगायी जा रही है। दरअसल, लक्ष्मी एसिड अटैक केस एक वानिगी भर था। यह भी कड़वी सच्चाई है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था के आदेश के बाद भी पुलिस प्रशासन के आला अफसरों इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आए, वर्ना कोई वजह नहीं कि खुले में तेजाब की बिक्री पर रोक न लगायी जा सकती।
कब-कब दिए गए रोक के आदेश
तेजाब की खुली बिक्री पर रोक के आदेशों की बात की जाए तो 11 मई साल 2015, 13 जून साल 2016 और 5 अप्रैल साल 2017 को जनपदों के जिलाधिकारियों व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को खुले में तेजाब की बिक्री रोकने के लिए कठोर उपाय करने को कहा गया, लेकिन इसके बाद भी खुले में तेजाब बेचने का सिलसिला खुलेआम जारी रहा। वहीं, गृह मंत्रालय ने सदन में एक सवाल के जवाब में कहा था कि 2018 से 2022 के बीच देश में 386 मामले दर्ज हुए।
एनसीआरबी के मुताबिक, जिन मामलों में न्यायिक कार्रवाई की जाती है, परिणाम निराशाजनक निकलते हैं। तेजाब हमलों के लिए दोष साबित होने की दर में कई कमी देखी गई है। 2021 में यह दर 71.4 प्रतिशत से गिरकर 20 प्रतिशत हो गई. इसके अलावा, 2017 से 2021 के बीच सिर्फ 175 लोगों को सजा हुई है। 2021 में तेजाब से हमले के प्रयास के तहत 79 और 2020 में 60 मामले दर्ज किए गए।
परचून की दुकान से लेकर ठेलों तक
खुले तेजाब की यदि बात की जाए तो बाथरूम क्लीनर के नाम पर परचून की दुकानों से लेकर गली मोहल्लों में ठेलों तक पर यह तेजाब बेचा जा रहा है। घर में काम करने वाली बाई व नौकरों से तमाम परिवारों में टॉयलेट साफ करने के नाम पर ज्यादातर परिवारों में परचून की दुकान से मंगवाकर तेजाब यूज किया जाता है। इसकी बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तेजाब की गंध के साथ हवा में उड़ा दिए गए लगते हैं।
अब तो कुछ लोग तेजाब का यूज बर्तनों की कालिख साफ करने में भी करने लगे हैं। ठेलों पर बिकने वाला तेजाब कई रंग में आता है। टायलेट साफ करने के लिए सफेद रंग का दूधिया से मिलता जुलता तेजाब बेचा जा रहा है। इसके अलावा ब्लू व कुछ लाइट येलो रंग का तेजाब भी बेचा जाता है। सब के अलग अलग यूज बताए जाते हैं।
ये थे आदेश
एसिड अटैक की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद खुले में तेजाब बेचने पर रोक के नाम पर जो कुछ करने के आदेश दिए गए थे, उसमे केवल प्रशासन की अनुमति या कहें पंजीकृत कारोबारी ही तेजाब बेच सकता है। इसके अलावा जो तेजाब खरीदने के लिए आया है
उस ग्राहक की मंशा मसलन किस कार्य में वह तेजाब को यूज करेगा यह भी जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा जो तेजाब खरीद रहा है उसका पूरा ब्योरा मसलन आधार कार्ड आदि दुकानदार के पास होना अनिवार्य है। ये तमाम अहतियाती उपाय किए जाने के आदेश दिए गए थे।
लगातार की जा रही मॉनिटरिंग
एडीएम सिटी ब्रिजेश सिंह ने बताया कि उन्होंने थाना व चौकी स्तर पर तेजाब की बिक्री रोकने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने लगातार मॉनिटरिंग भी की है। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजाब की बिक्री के विरुद्ध एक बार फिर संगठित अभियान चलाया जाएगा।
समय-समय पर चलाया जाता है अभियान
एसपी सिटी पीयूष कुमार से जब शहर में तेजाब की खुली बिक्री को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि इसके संबंध में अभियान चलाया जाता रहता है। विस्तार से जानकारी एडीएम सिटी दे सकते हैं।