Wednesday, January 1, 2025
- Advertisement -

आलू उत्पादन की उन्नत तकनीक

KHETIBADI


आलू फसल सब्जी के रूप में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। अन्य फसलों जैसे-गेहंू, धान एवं मक्का फसलों की तुलना में आलू में अधिक शुष्क पदार्थ खाद्य प्रोटीन एवं मिनरल (खनिज) पाए जाते हैं यह फसल अल्पावधि वाली होने के कारण मिश्रित खेती के लिए लाभदायक है। अत: इसकी व्यापारिक खेती की जाती है।

जनवरी-फरवरी में जब तापमान कम रहता है तथा दिन छोटे होता है तब आलू की फसल 60 से 120 दिनों की होती है इस क्षेत्र में सामान्य आलू फसल रोगों से मुक्त होती है। पिछेती अंगमारी इस क्षेत्र में नहीं पायी जाती।

बुआई की विधि

आलू को पौध से पौध 20 सेमी तथा पंक्ति से पंक्ति 60 सेमी की दूरी से लगाया जाता है। 25 से 30 ग्राम का कंद लगाया जाता है। बुआई के लिए अच्छी अंकुरण का बीज 30-35 क्वि./हे. के हिसाब से बीज लगता है तथा मिट्टी की ढकाई ट्रैक्टर से की जाती है बहुत से किसानों के यहां मिट्टी ढकाई डोरा से की जाती है।

आलू की बुआई का समय

आलू की बुआई सितम्बर से नवम्बर में की जाती है। इस फसल को अगेती फसल के रूप में इसे मुख्य फसल के रूप में लगाकर पूर्ण परिवक्ता में खुदाई करके इसका परिवहन तथा शीत भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) किया जा सकता है। तथा अगेती फसल की तुलना में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है।

उर्वरक

उर्वरक की मात्रा मृदा की उर्वरकता पर निर्भर करती है। आलू की फसल के लिए उर्वरक 100,100,100 एनपीके. कि./हे. एवं 20 टन/हे. अच्छी तरह से सड़ी गोबर खाद (एफवायएम) आलू लगाने के पहले खेत में डालें। बुआई के 25-30 दिन बाद मिट्टी चढ़ाते समय 20 किग्रा नत्रजन/हे. टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करने से आलू की उपज 15-18त्न तक वृद्धि होती है।

सिंचाई

सिंचाई की संख्या मृदा के प्रकार पर निर्भर करती है यदि बुआई के पहले सिंचाई नहीं गई है तो बुआई के तुरंत बाद पानी देना आवश्यक है। पहली सिंचाई हल्की होनी चाहिए तथा दूसरी सिंचाई के एक हफ्ते के अंतराल में करें तथा इसके बाद 7-10 दिनों के अंतराल पर आवश्यकता के आधार पर सिंचाई करें। आलू की खुदाई के 10 से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। समान्यत: 7-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

खरपतवार नियंत्रण

आलू के 5 प्रतिशत अंकुरण होने पर पैराक्वाट (प्रेमेजोन) 2.5 लीटर पानी हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें एवं जब फसल 30 दिन की अवस्था की हो तब 20 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से डालकर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें तत्पश्चात सिंचाई करें।

पौध संरक्षण

आलू फसल बोते समय थिमेट 10 जी दानेदार दवा 15 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में मिलायें। जिससे फसल को भूमिगत कीटों एवं रस सूसक कीटों से 30-35 दिनों तक बचाया जा सकता है। खड़ी फसल अवस्था में अगेती, पिछेती, अंगमारी एवं रस चूसक की रोकथाम हेतु डायथेन एम 45 दवा 2.5 ग्राम एवं मेटासिस्टॉक्स या रोगोर दवा 1.25 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिनों के अतराल में छिड़काव करें।


janwani address 6

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Rule Changed: नए साल पर होंगे ये बदलाव,यहां जानें किन चीजों पर पड़ेगा असर और कहां मिलेगी राहत?

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

प्रेमचंद की गाय

उन दिनों प्रसिद्ध उपन्यास-लेखक मुंशी प्रेमचंद गोरखपुर में अध्यापक...

नए साल में और बढ़ेगा तकनीक का दायरा

वर्ष 2025 के बारे में चाहे किसी ने आशावादी...

केन बेतवा नदी जोड़ का गणित

लगभग 44 साल लगे नदियों को जोड़ने की संकल्पना...

हिंडन का जल स्तर बढ़ने से हजार बीघा फसल जल मग्न

जनवाणी संवाददाता | जानी खुर्द: हिंडन नदी का अचानक जल...
spot_imgspot_img