Tuesday, January 21, 2025
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कृषि बिल का विरोध, भाकियू का बवाल

कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट पर बोला हल्ला, किया हंगामा-प्रदर्शन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कृषि बिल के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कलक्ट्रेट पर हल्ला बोल दिया। किसान ट्रैक्टर लेकर कलक्ट्रेट में घूसने लगे,जिन्हें पुलिस ने रोक दिया। इस दौरान पुलिस व किसानों के बीच खूब नोकझोंक हो गई। आक्रोशित किसान कलक्ट्रेट के गेट पर ही धरना देकर बैठ गए।

पुलिस ने पहले ही गेट पर अपना ताला लगा रखा था। इसके बाद ही किसानों ने धमकी दे दी कि कचहरी के चारों गेटों पर किसान ताल लगा देंगे, अन्यथा ये ताला भी खोल दो। इस तरह से पुलिस व किसानों के बीच गहमा-गहमी चलती रही। यहां भारी पुलिस बल लगाया गया था।

किसानों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने गेट खोल दिया, जिसके बाद किसानों की भीड़ कलक्ट्रेट में पहुंची तथा यहां पर धरना देकर बैठ गए। किसानों ने कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी है,जिसे वापस लिया जाए। किसान कृषि बिल को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। किसानों ने केन्द्र व यूपी सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की। कहा कि केन्द्र सरकार ने कोरोना कॉल में ही गुपचुप तरीके से कृषि बिल लेकर आयी है।

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इस बिल की कोई किसान संगठन मांग भी नहीं कर रहा था। फिर गुपचुप तरीके से बिल क्यों लाया गया? बिल लाने से पहले किसानों से इसको लेकर चर्चा क्यों नहीं की गई? भाजपा किसान विरोधी सरकार है। इसलिए गुपचुप तरीके से बिल लाया गया। इसके खिलाफ भाकियू सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगी।

भाकियू कार्यकर्ताओं ने पानी नहीं मिलने पर भी धरना स्थल पर हंगामा खड़ा कर दिया। इसके बाद ही सिटी मजिस्ट्रेट ने पानी पिलाने की व्यवस्था की। भाकियू का यह धरना एक दिवसीय था,जिसमें जिले भर के किसान आये थे।

भाकियू के इस आंदोलन की अगुवाई जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसान एकजुट है तथा सड़कों पर उतरकर अपनी ताकत का अहसास भाजपा को करा देगा। कृषि बिल यदि किसानों के पक्ष में लाया गया था तो गुपचुप तरीके से क्यों, बल्कि ढोल-नगाड़ों के साथ लाया जाना चाहिए था।

केन्द्र सरकार में शामिल केन्द्रीय मंत्री ने त्यागपत्र क्यों दिया? बिल में कोई संशोधन भी नहीं किया। भाजपा की यह हठधर्मिता नहीं चलने दी जाएगी। धरने पर मौजूद किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसानों के साथ झूठ बोल रही है। कृषि अध्यादेश का किसान पूर्ण रूप से विरोध करते हैं।

इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू किया जाए। इसमें फसल खरीदने का कानून मंडियों को समाप्त नहीं किया जाए। अक्टूबर में शुगर मिले चलाई जाए। गन्ने का रेट 500 रुपये प्रति कुंतल किया जाए। किसानों के बिल माफ किए जाए।
धरने में ये रहे मौजूद

इस धरने का संचालन राजकुमार करनावल व अध्यक्षता भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी ईकड़ी ने की। बबलू, प्रमोद त्यागी, गजेंद्र सिंह, नितिन बालियान, सो सिंह प्रधान, विलियन प्रधान, अशफाक प्रधान जैनपुर, सतवीर सिंह, जगबीर सिंह, इलम सिंह,वीरेंद्र सिंह, विनोद कुमार, नवाब सिंह अहलावत आदि मौजूद रहे।

किसानों के सामने फेल हुआ प्रशासन

किसानों के सामने एक तरह से प्रशासन फेल हो गया। क्योंकि प्रशासन की रणनीति थी कि किसानों के ट्रैक्टरों को गेट पर ही रोक दिया जाए,लेकिन किसानों ने बवाल करदिया,जिसके बाद पुलिस-प्रशासन बैकफुट पर आ गया।

भाजपा की नीतियां किसान विरोधी, सपाइयों ने किया धरना-प्रदर्शन

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सदर तहसील में धरना प्रदर्शन किया। तहसील में भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध में खूब नारेबाजी की।

पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर की अध्यक्षता में चले धरने पर भाजपा की किसान विरोधी नीतियां रही हो या फिर कानून व्यवस्था, एक-एक बिंदुओं को लेकर निशाने साधे गए। तहसील में फोर्स काफी लगा दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद सपा कार्यकर्ता तहसील में प्रदर्शन करने पहुंचे।

पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर ने कहा कि भाजपा की नीतियां जनहित में नहीं, बल्कि दमनकारी है। भाजपा सरकार तानाशाही रवैया अपनाते हुए जनता की आवाज को दबा रही है, जिसका उदहारण कृषि अध्यादेश देखने को मिला। किसानों के विरोध के बावजूद किसान विरोधी कृषि बिल सरकार ने पारित कर दिया।

भाजपा का यह कदम किसानों के उत्पीड़न का काम किया है। समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर किसानों का उत्पीड़न नहीं होने देगी। इसीलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के आह्वान पर जनता के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया है। वहीं, इसी क्रम में सपा नेता सम्राट मलिक ने कहा कि कृषि अध्यादेश किसान विरोधी है।

इस अध्यादेश के खिलपफ जल्द ही रुपरेखा बनाकर सपा बड़ा आंदोलन करेगी। प्रदर्शन में बड़े स्तर पर छात्र नेताओं ने भी भाग लिया। प्रदीप कसाना ने कहा कि वर्तमान सरकार न तो छात्रों के हितों की सोच रही है और न ही छात्रों के हितों की। जल्द सरकार को आंदोलन कर चेताया जाएगा। शहर विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, ठीक उसी तरह से कृषि को भी कोरपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है।

इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन में आदिल चौधरी, शहर विधायक रफीक अंसारी, विपिन मनोठिया, विजयपाल कश्यप, देवेश राणा, पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद, पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह, पूर्व मंत्री अय्यूब अंसारी, पूर्व मंत्री मोहम्मद अब्बास, मोहम्मद चांद, शाहिद पहलवान, बिलाल कुरैशी आदि मौजूद रहे। सपा नेताओं ने कहा कि क्राइम बढ़ रहा है। लूट व हत्या तो आम बात हो गई है।

एकाएक क्राइम का ग्राफ बढ़ा है। कारोबार सभी के ठप पड़े हैं, प्रत्येक वर्ग का आदमी आहत और परेशान है। उधर, समाजवादी पार्टी का तहसील स्तर पर प्रदर्शन में सपा नेता पवन गुर्जर दक्षिण विधानसभा के कई गांवों से कार्यकर्ताओं को लेकर धरने में शामिल हुए।

किसानों ने एमडीए में की तालाबंदी, पल्लवपुरम की जमीन पर जताया अधिकार

एमडीए में भी किसानों ने सोमवार को धावा बोल दिया। किसानों का शाम तक एमडीए में डेरा लगा रहा। किसानों की मांग थी कि पल्लवपुरम में किसानों की जमीन की एमडीए ने कैसे नीलामी कर दी? इसको लेकर पूरा दिन बवाल रहा।

किसानों को एमडीए सचिव प्रवीणा अग्रवाल ने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को लेकर डीएम से बात करेंगे, जिसके बाद ही किसानों को बताया जाएगा।

फिलहाल इसमें कोई भी निर्णय नहीं किया जा सकता। किसानों ने यहां कढ़ाई भी चढ़ा दी थी। किसान लंबी लड़ाई के मूड़ में आये थे, लेकिन एमडीए के अधिकारियों ने किसानों की मान-मनोव्वल की, जिसके बाद किसान धरना खत्म करने को तैयार हो गए।

भाकियू नेता संजय दौरालिया व अन्य किसान टैÑक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर एमडीए में पहुंची। किसानों ने एमडीए में एंट्री करतेही मुख्य गेट पर तालाबंदी कर दी। किसानों के तालाबंदी करने से एमडीए में हड़कंप मच गया।

किसानों ने एमडीए के खिलाफ नारेबाजी आरंभ कर दी। किसानों का कहना था कि पल्लवपुरम की जिस जमीन की नीलामी एमडीए ने की है, वो किसानों की है।

किसानों की जमीन को एमडीए ने कैसे नीलामी कर दिया? इस मुददे को लेकर किसान आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में एमडीए में पहुंचे थे।

किसान इतने आक्रोश में थे कि किसानों ने एमडीए में तालाबंदी तक कर दी। किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को बाहर नहीं निकलने दिया।

किसानों से सचिव प्रवीणा अग्रवाल व चीफ इंजीनियर दुर्गेश श्रीवास्तव, पीपी सिंह ने बातचीत की। बार-बार किसानों को समझाया कि इसके बारे में डीएम से बात की जाएगी, जिसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

किसान अंधेरा होने केबाद भी एमडीए आफिस में ही जमे हुए थे। शाम सात बजे जाकर किसानों ने धरना खत्म किया, तब जाकर एमडीए अधिकारियों की जान में जान आई।

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