जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: यूपी में आजम खां की जिद के आगे सपा नेतृत्व मुरादाबाद में झुक गया। लेकिन, पार्टी के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यह फैसला महंगा न पड़ जाए। मौजूदा सांसद का टिकट काटा जाना कई सीटों के समीकरण प्रभावित कर सकता है।
यही वजह है कि संगठन के हमदर्द नेतृत्व के इस फैसले को उचित नहीं मान रहे हैं। उनका तर्क है कि आजम के खुले विरोध के बावजूद रामपुर में जब सपा प्रत्याशी जयाप्रदा जीत सकती हैं, तो फिर उनके इतने दबाव में आने का क्या तुक था?
इसे पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां का दबाव ही कहेंगे कि नामांकन के अंतिम दिन ही सपा नेतृत्व मुरादाबाद और रामपुर में टिकट फाइनल कर पाया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल है को एक कानूनी सलाहकार के साथ सिंबल लेकर चार्टर प्लेन से बुधवार सुबह मुरादाबाद जाना पड़ा।
मुरादाबाद में रुचि वीरा के नामांकन की प्रक्रिया को कानूनी सलाहकार ने पूरा कराया और नरेश उत्तम पटेल तत्काल मुरादाबाद के लिए रवाना हो गए।
नरेश उत्तम ने पार्टी के स्थानीय अध्यक्ष को बिना कुछ बताए मोहिबुल्लाह नदवी के नामांकन की तैयारी पूरी करवाई। शायद एक दिन पहले तक नदवी को भी अपना टिकट फाइनल होने की उम्मीद नहीं थी।
डॉ. एसटी हसन ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव 97 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीता था। ऐसे में उनका टिकट काटने का निर्णय सपा के नेताओं के ही गले नहीं उतर रहा है। सपा के एक पूर्व एमएलसी नाम न छापने के आग्रह के साथ कहते हैं कि सपा नेतृत्व ने 24 मार्च को डॉ. हसन को टिकट देने का निर्णय लिया था।
अब एक नेता के दबाव में टिकट बदलने से आम मतदाताओं में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। पार्टी के लिए भी यह हितकर नहीं कि सामूहिक नेतृत्व के बजाय व्यक्ति विशेष के निर्णय को तरजीह दी जाए। यही वजह है कि सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान भी फैसले को उचित नहीं मानते। हालांकि यह बात उन्होंने इशारों में कही।
सपा के ही नेताओं का मानना है कि आजम खां का प्रभाव रामपुर में तभी दिखता है, जब वह खुद मैदान में हों। वर्ष 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव रामपुर से सपा प्रत्याशी के तौर पर जयाप्रदा जीती थीं।
तब आजम खां ने तत्कालीन महासचिव अमर सिंह से 36 का आंकड़ा होने के चलते जयापदा का विरोध किया था। टिकट कटने से आसपास की मुस्लिम बहुल सीटों-अमरोहा, रामपुर, बदायूं, नगीना, आंवला और मेरठ पर खराब असर पड़ सकत है।