जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में किसी प्रकार का चूक नहीं करना चाहती। यही कारण है कि जिला स्तर से लेकर मंडल स्तर तक पार्टी ने चुनावी रोडमैप को तैयार कर लिया है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव के लिए जमीन मजबूत करने के मकसद से पार्टी ने फुलप्रुफ प्लान तैयार कर लिया है।
मैनपुरी लोकसभा व खतौली विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है और पार्टी के रणनीतिकार इस उत्साह को 2024 तक बनाए रखना चाहते हैं। यही कारण है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक सपा एक्टिव मोड में रहने वाली है।
अखिलेश यादव समेत, पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनकी छवि को ड्राइंग रूम और सोशल मीडिया वाले नेता से बदलकर जमीनी नेता के रूप में दिखाने में लगे हैं।
पार्टी ने तय किया है कि
पार्टी ने तय किया है कि अब अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनाव तक हर जिले का दौरा करेंगे। पार्टी द्वारा बनाई गई कमेटी इस दौरान उन मुद्दों को तय करेगी जिन पर पार्टी के नेता सड़क पर उतरकर बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोलेंगे।
समाजवादी पार्टी के नेता के मुताबिक
समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता आशुतोष वर्मा के मुताबिक उनकी पार्टी हमेशा से जनता के मुद्दों को उठाती रही है, लेकिन बीजेपी उनके मुद्दे की राजनीति को डिगाने के लिए उन्हें सांप्रदायिक मुद्दों की ओर मोड़ देती है, ताकि लोग वास्तविक मुद्दों पर बात न कर सकें।
यही कारण है कि समाजवादी पार्टी अब जिले ही नहीं बल्कि मंडल स्तर तक पहुंचकर जनता के मुद्दों को उठाने का काम करेगी। सपा अब सड़क, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर सड़क पर उतरेगी।
इन मुद्दों को तहसील स्तर पर उठाने का प्लान तैयार किया गया है। जिला अध्यक्ष पूरे कार्यक्रम की देखरेख करेंगे। इसके लिए पार्टी ने जिला के वरिष्ठ नेताओं की एक कमेटी भी बनाई है।
मुखिया को ये समझ आ गया है कि
समाजवादी पार्टी के मुखिया को ये समझ आ गया है कि बंद कमरे की राजनीति से सत्ताधारी पार्टी को हराया नहीं जा सकता। इससे कार्यकर्ताओं में भी गलत मैसेज जाता है। यही कारण है कि पार्टी ने नई नीति तैयार की है। इसी नीति का हिस्सा था कि अखिलेश मैनपुरी चुनाव के दौरान सभी जिलों तक पहुंच बनाने में लगे थे।
अखिलेश पर ये आरोप लगते रहे हैं कि
अखिलेश पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ अपने पिता मुलायम सिंह की तरह खड़े नहीं होते। इस छवि को तोड़ने के लिए भी अखिलेश यादव लगातार अपने कार्यकर्ताओं के मसलों को उठा रहे हैं।
वो समय-समय पर उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में वो अपने सोशल मीडिया मैनेजर की गिरफ्तारी के बाद डीजीपी दफ्तर पहुंच गए थे। इसके बाद वो जेल भी पहुंचे थे जहां उन्होंने यूपी पुलिस द्वारा पेश की गई चाय को पीने से इनकार कर दिया था और कहा था कि क्या पता इसमें जहर हो।
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