- जीएलआर में बंगला एरिया के तौर पर दर्ज तमाम बंगलों में काट दी गयीं कालोनियां, बना दिए गए अवैध कॉम्प्लेक्स
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट के आबूलेन स्थित राजमहल व समेत तमाम होटल व शोरूम तथा गणपति व आबूप्लाजा समेत तमाम कॉम्प्लेक्स पूरी तरह से अवैध हैं। ये तमाम होटल, शोरूम व कॉम्प्लेक्स पुराने बंगलों में बनाए गए हैं। ये इन बंगलों का मैनेजमेंट कैंट बोर्ड के आधीन है। जीएलआर में आबूलेन के तमाम बंगले रिहायशी में दर्ज हैं। आबूलेन के कुल 17 ऐसे बंगले हैं, जिनमें चेज आॅफ परपज, सब डिविजन आॅफ साइट व अवैध निर्माण कर लिए गए हैं। कैंट एक्ट का इतने बडेÞ स्तर पर उल्लंघन करने वाले इन तमाम बंगलों के स्वामियों को कैंट बोर्ड प्रशासन की ओर से वक्त-वक्त पर नोटिस भी दिए गए, कुछ पर कार्रवाई भी की गई, लेकिन उसके बावजूद आबूलेन के इन रिहायशी बंगलों में सब डिविजन आॅफ साइट, चेंज आॅफ परपज व अवैध निर्माणों का सिलसिला बादस्तूर जारी है।
यहां तक कि कुछ बंगलों में पूरी कालोनियां बसा दीं गर्इं। कुछ में आबू प्लाजा व गणपति प्लाजा सरीखे कॉम्प्लेक्स खडेÞ कर दिए गए। आबूलेन पर राजमहल होटल तो वानगी भर है, इससे इतर भी इस इलाके के तमाम पुराने बंगलों के हिस्सों को होटल व मार्केट में तब्दील कर दिया गया। बंगलों में बनायी गयी ये इमारतें साबित कर रही है कि सब कुछ बिकता है, बस दाम लगाने वाला होना चाहिए। याद रहे कि 1945 तक आबूलेन बंगला एरिया कहलाता था, लेकिन उसके बाद इसको सिविल एरिया में तब्दील कर दिया गया। आबूलेन के कुछ बंगलों का यहां जिक्र कर रहे हैं, जिनमें सब डिविजन आॅफ साइट, चेंज आॅफ परपज व अवैध निर्माण किए गए।
ये होना चाहिए था
जहां भी सब डिविजन आॅफ साइट व तथा चेंज आॅफ परपज होत है एक्ट में बाकायदा प्रावधान दिया गया है कि ऐसे बंगलों को रक्षा मंत्रालय से रिज्यूम की सिफारिश की जा सकती है। ऐसा नहीं कि इनमें किए गए अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई भी की गई और तोड़फोड़ भी, लेकिन अवैध निर्माण करने वालों के रसूख के आगे तमाम कायदे कानून दम तोड़ गए।
किसानों ने किया मेडा कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन
मेरठ: बढ़े हुए प्रतिकर की मांग करते हुए लोहिया नगर से आए सैकड़ों किसानों ने मेडा आफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने मेडा अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने आरोप लगाया कि लोहिया नगर, वेदव्यासपुरी और गंगानगर के किसानों का अभी तक जमीनों का मुआवजा नहीं मिला है। मेडा ने उनकी जमीन हड़प कर लोगों को बेच दी। उन्होंने मांग है कि उनको जमीनों के बढ़े हुए प्रतिकर की धनराशि दी जाए। लोहिया नगर से आए पोपिन प्रधान ने कहा कि पूर्व में सवा करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा चुका है, अब फिर से प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके बाद गुस्साए किसान प्राधिकरण की पार्किंग में बने पार्क में दरी और गद्दे बिछाकर धरने पर बैठ गए और भीतर ट्रैक्टर भी खड़े कर दिए हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि इससे पहले दो दिसंबर को किसानों को वार्ता के लिए बुलाया गया था। जिसमें प्लॉट अथवा बढ़े हुए प्रतिकर की धनराशि के दो विकल्प दिए गए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।