नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार शाम अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य है मध्य क्षेत्रीय परिषद की महत्वपूर्ण बैठक, जिसकी मंगलवार 24 जून को होटल ताज गंगेज में अध्यक्षता करेंगे। इस उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सहित करीब 100 वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। यह पहली बार है जब यह बैठक वाराणसी में आयोजित हो रही है।
बाबा कालभैरव के किए दर्शन
वाराणसी को काशी कहा जाता है और यहां के अधिष्ठाता देव बाबा कालभैरव को ‘काशी के कोतवाल’ कहा जाता है। मान्यता है कि बिना बाबा कालभैरव की अनुमति के कोई भी काम पूर्ण नहीं होता। इसी धार्मिक परंपरा को निभाते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दौरे की शुरुआत बाबा कालभैरव के दर्शन और विशेष पूजन से की।
एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वागत के बाद गृह मंत्री का काफिला सीधे कालभैरव मंदिर पहुंचा, जहां उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की। मंदिर के प्रधान पुजारी के अनुसार अमित शाह ने संकट नाशक बाबा कालभैरव से देश की रक्षा, उन्नति और शांति के लिए प्रार्थना की।
क्यो होती है बाबा कालभैरव की पूजा में तेल की आरती
बाबा कालभैरव की पूजा में तेल की आरती और ज्योत प्रज्वलन विशेष महत्व रखती है। माना जाता है कि बाबा को तेल चढ़ाने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं। गृह मंत्री से भी पारंपरिक रीति से तेल चढ़वाया गया और दीप जलाया गया। यह कर्म देश की समृद्धि और नागरिकों की रक्षा की कामना करते हुए किया गया।
काशी की एक विशेष परंपरा
पूजन में मंगला अर्चना, पुष्प अर्पण, तेल आरती और कपूर आरती जैसी विधियों को पूरी श्रद्धा के साथ संपन्न कराया गया। अंत में पुजारियों द्वारा गृह मंत्री को बाबा का अंग वस्त्र, रुद्राक्ष की माला और प्रसाद भेंट किया गया। साथ ही उनके हाथों में रक्षा के प्रतीक स्वरूप काला कलावा बांधा गया। इसके बाद बाबा के दंड से उनकी नजर उतारी गई। बाबा के दंड से झाड़कर नजर उतारना काशी की एक विशेष परंपरा मानी जाती है। मान्यता है कि यह दुष्ट ग्रहों व ऊर्जाओं से रक्षा करती है।
काल और संकट दोनों के नियंत्रक है बाबा कालभैरव
बाबा कालभैरव को काल और संकट दोनों के नियंत्रक माना जाता है। उनके दर्शन मात्र से ही जीवन की विपत्तियां दूर हो जाती हैं। भगवान काल भैरव को भूत संघ नायक के रूप में वर्णित किया गया है। पंच भूतों के स्वामी-जो पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश हैं। वह जीवन में सभी प्रकार की वांछित उत्कृष्टता और ज्ञान प्रदान करने वाले हैं। भगवान काल भैरव का प्राकट्य यह संदेश देता है कि अहंकार, अधर्म और अन्याय का अंत अवश्य होता है।