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अमृतवाणी
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सहिष्णुता की वजह
चीन के सम्राट का प्रधानमंत्री वृद्ध होने के बाद सेवानिवृत्त हो गया। उसका परिवार बहुत बड़ा था। सम्राट ने सोचा, प्रधानमंत्री ने दीर्घकाल तक राज्य को सेवाएं दी हैं। आज भी वे अपने विशाल परिवार को एकसूत्र में बांधे हैं। ऐसे अनुभवी आदमी से मिलना चाहिए। वे स्वयं चलकर प्रधानमंत्री के निवास पर पहुंचे। सम्राट को प्रधानमंत्री के भवन के विशाल प्रांगण को देखकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने उसकी उपयोगिता पूछी, तो प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राजन, परिवार बड़ा है। एक हजार सदस्य हैं। यह प्रांगण उनके एक साथ बैठकर भोजन करने के लिए है।’ राजा ने पूरे भवन का अवलोकन किया। बहुत बड़ी रसोई, उसी के अनुपात में बर्तन भंडार, सब सदस्यों के शयनकक्ष। सम्राट प्रधानमंत्री के परिवार की व्यवस्था को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। सम्राट ने कहा, ‘प्रधानमंत्रीजी! आपके इतने बड़े परिवार की एकता का राज क्या है? मैं कारण जानना चाहता हूं।’ वृद्ध प्रधानमंत्री सम्राट की बात सुनकर कुछ क्षण मौन रहा। फिर उसने अपने एक पुत्र को कागज और पेंसिल लाने का संकेत किया। कागज आ गया, तो उसने लिखना शुरू किया। पन्ना पूरा लिख डालने के बाद उसे सम्राट के हाथ में दे दिया। सम्राट ने उसे पढ़ा। पूरे पन्ने में एक शब्द ‘सहिष्णुता’ को सौ बार दोहराया गया था। दूसरा कोई अक्षर नहीं था। प्रधानमंत्री ने धीरे से कहा, ‘सम्राट! हमारे परिवार के शांतिपूर्ण सहवास का कारण है सहिष्णुता। मेरे परिवार का हर सदस्य एक-दूसरे को सहन करना जानता है।’ उस व्यक्ति का संवास सुखद होता है, जो दूसरे को सहन करना जानता है।
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