- जांच के नाम पर उलझा दिये जाते हैं चर्चित प्रकरण
- केरोसिन घोटाले में 13 माह से जांच फाइलों में दबी पड़ी
- एनसीईआरटी घोटाले में पुलिस को मामला दबने का इंतजार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अगर किसी चर्चित मामले की हवा निकालनी हो तो उसे जांच कमेटी के हवाले कर दो। गत वर्ष हुए चर्चित केरोसिन घोटाले और पेट्रोल में मिलावट के प्रकरण अभी जांच के दायरे से बाहर नहीं निकल पाए हैं। वहीं साठ करोड़ का एनसीईआरटी घोटाला भी 45 दिनों में दम तोड़ता दिख रहा है।
इस प्रकरण में भाजपा के नेताओं पर आंच आई हुई है। अभी तक पुलिस मुख्य आरोपियों तक को नहीं पकड़ पाई है। वहीं, केरोसिन घोटाले में प्रशासन ने पूठा स्थित तेल डिपो को सील करके मजिस्ट्रेटों की तैनाती कर रखी है। 13 माह से मजिस्ट्रेट और होमगार्ड दिन रात धूल फांक रहे हैं, लेकिन एडीएम सिटी की जांच आगे बढ़ने को तैयार नहीं हो रही है।
समय पर न्याय न मिले तो वो न्याय नहीं कहलाता है। गत वर्ष अगस्त में रतिराम खूब चंद के डिपो में 70 हजार लीटर केरोसिन के फर्जीवाड़े की मजिस्ट्रेटी जांच चल रही है। पुलिस ने पूठा स्थित डिपो को सील भी कर दिया है। चार कार्यपालक मजिस्ट्रेट और दो होमगार्ड तेरह महीने से दिन रात ड्यूटी दे रहे हैं लेकिन मजिस्ट्रेटी जांच अभी तक अधूरी है।
यह हाल तब है जब पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी और आपूर्ति विभाग केरोसिन का लाइसेंस निरस्त कर चुका है। गत वर्ष जुलाई और अगस्त के महीने में पेट्रोल पंपों में मिलावटी तेल और नकली केरोसिन का मामला उठा था। रतिराम खूब चंद डिपो के मालिक संजय गुप्ता समेत दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस मामले की मजिस्ट्रेटी जांच एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी को सौंपी गई थी। 13 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है। वहीं पूठा स्थित डिपो में अंडर ग्राउंड टैंकरों की सुरक्षा के लिये रोज चार कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं पुलिस विभाग की तरफ से दो होमगार्ड तैनात किये जाते है। इन मजिस्ट्रेटों को तीन तीन दिन की ड्यूटी लगाई जाती है।
सूत्रों ने बताया कि मजिस्ट्रेटी जांच में सबसे बड़ी परेशानी यह आ रही है कि इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन के अधिकारी बयान के लिये नहीं आ रहे है। कोरोना के कारण भी सात महीने से जांच पर ब्रेक लग गया था। अभी भी जांच फाइलों में बंद पड़ी है। वहीं पूठा स्थित गोदाम जंगल में तब्दील हो रहा है।
झाड़ियों और ऊंची ऊंची घास के कारण आए दिन जहरीले जानवर निकल रहे है। प्रशासन ने आईटीआई, सिंचाई विभाग, जल निगम, विकास विभाग आदि में कार्यरत अधिकारियों की ड्यूटी तीन तीन दिन के लिये लगाई जाती है जो पूरी रात वहां रुकते हैं। इन कार्यपाल मजिस्ट्रेटों का कहना है कि जांच कब पूरी होगी पता नहीं, लेकिन ड्यूटी से ज्यादा जान की चिंता लगी हुई है। कई बार रात में जहरीले जानवरों से सामना हो जाता है।
सरकार लाखों रुपये इन अधिकारियों को वेतन हर माह दे रही है। इनसे विभागों में काम लेने के बजाय खाली बैठने का वेतन दिया जा रहा है। कछुआ गति से चल रही मजिस्ट्रेटी जांच से तेज आपूर्ति विभाग ने कार्रवाई करते हुए रतिराम खूबचंद के केरोसिन के लाइसेंस को निरस्त कर दिया है और परतापुर पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।