- घुटनों की चोट भी नहीं डिगा सकी अन्नू के हौसले
- कॅरियर के शुरुआत में ही अन्नू के घुटनों में हो गई थी इंजरी
- चिकित्सकों ने दी थी खेल छोड़ने की सलाह
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक देश को दिलाने वाली भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी कामयाबी के शिखर तक इतनी आसानी से नहीं पहुंची है। तमाम चुनौतियों और कठिनाइयों को हराकर अन्नू ने कामयाबी की ऊंचाइयों पर पहुंच कर इतिहास में अपना नाम लिखा है।
करियर के शुरूआत में ही घुटनों की इंजरी ने सबसे पहली चुनौती अन्नू के सामने खड़ी की थी। जब चिकित्सकों ने भी अन्नू को खेल छोड़ने की सलाह दी थी। एक बार को अन्नू भी हिम्मत हार गई थी। मगर गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद ने अन्नू का उज्जवल भविष्य होने की बात कहते हुए खेलने के लिए कहा।
स्वामी से अन्नू का परिवार दशकों से जुड़ा हुआ है। स्वामी जी का आशीर्वाद और अन्नू के साहस के आगे कोई इंजरी या चुनौती नहीं टिक सही। जिसका परिणाम आज यह है कि अन्नू कॉमनवेल्थ गेम्स से कांस्य पदक लेकर लौटी।
सरधना में बहादरपुर गांव निवासी अमरपाल सिंह किसान परिवार है। पूरे परिवार की जीवकी खेती है। यह परिवार कई पीड़ियों से गुरुकुल प्रभात आश्रम से जुड़ा हुआ है। अमरपाल सिंह की बेटी अन्नू रानी को बचपन से खेल पसंद थे। अन्नू रानी ने वर्ष 2009 में जैवलिन थ्रो को अपना कॅरियर चुना था।
अन्नू का शुरू से ही सपना रहा कि वह देश के लिए खेले। इसके लिए अन्नू ने दिन-रात मेहनत की। अन्नू के पिता अमरपाल सिंह बताते हैं कि कॅरियर के शुरुआती समय में अन्नू के घुटनों में इंजरी हो गई थी। डॉक्टरों ने अन्नू के घुटनों का आॅपरेशन कराने और खेल को छोड़ने की सलाह दी थी। तब कुछ समय के लिए हिम्मत कम हो गई थी। मगर स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अन्नू का भविष्य उज्जवल है। वह खेल में नाम कमाएगी। स्वामी जी का आशीर्वाद और अन्नू के जुनून के आगे कुछ नहीं टिका।
अन्नू ने खेल नहीं छोड़ा, बल्कि अभ्यास तेज कर दिया। तमाम चुनौतियों के बीच अन्नू ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। जिनमें आॅलंपिक जाने वाली पहली भारतीय भाला फेंक महिला खिलाड़ी, वर्ल्ड चैंपियनशिप में फाइनल तक जाने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट, एशियाई गेम्स में तीन-तीन मेडल, आठ बार नेशनल रिकॉर्ड होल्डर समेत तमाम रिकॉर्ड अन्नू के नाम हैं। तपस्या का फल यह है कि आज अन्नू कॉमनवेल्थ गेम्स से कांस्य पदक लेकर लौटी है। अन्नू की कामयाबी पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है।
सबसे पहले स्वामी जी का लिया आशीर्वाद
अन्नू रानी वतन वापस करने के बाद मंगलवार की रात में ही गुरुकुल प्रभात आश्रम स्वामी विवेकानंद का आशीर्वाद लेने पहुंची। अन्नू का मानना है कि उनके आशीर्वाद से ही आज वह इस मुकाम पर है। यहां तक आने में आश्रम से उन्हें बहुत मदद मिली है।