- नगर निगम में अवैध नियुक्ति में वेतन रिकवरी का है मामला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्त के मामले में आखिरकार नगर निगम को चुप्पी तोड़नी पड़ी। गत तीन मार्च 2023 को नगर निगम निगम में हुई फर्जी नियुक्ति प्रकरण में शासन से एक पत्र मेरठ मंडल मेरठ के कार्यालय पहुंचा और अपर आयुक्त ने उस पर संज्ञान लेते हुए नगर निगम से तत्काल रिपोर्ट देने और शासन से प्राप्त पत्र पर कार्रवाई की जानकारी मांगी और तत्काल प्रभाव से सभी 23 कर्मचारियों की नियुक्ति को निरस्त कर वेतन वसूली की कार्रवाई के लिये नगरायुक्त को पत्र लिया।
नगर निगम के इस फर्जी नियुक्ति का मामले का खुलासा हुआ तो निगम के अधिकारी चुप्पी साध गये। जनवाणी संवाददाता ने निगम के इस भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया। आखिरकार बृहस्पतिवार को निगम की चुप्पी इस मामले में टूट गई। अपर नगरायुक्त ममता मालवीय ने बताया कि मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई है। जब तक सीबीसीआईडी की जांच पूरी नहीं होती है, तब तक नगर निगम इस प्रकरण में कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं करेगी।
नगर निगम में की गई कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में धांधली की शिकायत गत चार अक्टूबर 2019 को शिकायती पत्र देते हुए मामले में नगर निगम के अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की गई। जिस पर नगर निगम के अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया तो मामला डीएम व कमिश्नर के साथ शासन तक जा पहुंचा। शासन के द्वारा इस मामले में अनेकों बार नगर निगम को जांच कर मामले में आख्या देने को सख्ती से लिखा गया, लेकिन नगर निगम से मामले में संज्ञान नहीं लिया। जिसको लेकर मुख्यमंत्री संदर्भ/ अनुस्मारक/ तत्काल कार्रवाई के लिए शासन से मेरठ मंडल मेरठ के कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. को लिखा गया।
जिस पर संज्ञान लेते हुये अपर आयुक्त महेंद्र प्रसाद ने तीन मार्च को नगर निगम को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने तमाम पूर्व के शिकायती एवं जांच पत्रों का संदर्भ देते हुए तत्काल प्रभाव से 23 कर्मचारियों की नियुक्ति को निरस्त करते हुए वेतन की रिकवरी कर तत्काल रिपोर्ट मांगी गई। इस मामले में शासन के द्वारा लिये गये इस संज्ञान को जनवाणी संवाददाता ने नगर निगम में नियुक्ति के नाम पर हुए इस बडेÞ मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन नगरायुक्त एवं अपर आयुक्त तमाम अधिकारी मौन बन गये और चुप्पी साध गये।
यह मामला सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ तो बृहस्पतिवार के अंक में भी यह मामला प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। इस मामले में बृहस्पतिवार को अपर आयुक्त ममता मालवीय से बात की गई कि जो 23 कर्मचारी हैं। उनकी वर्तमान स्थिति क्या है, वह कार्य पर हैं या हटा दिये गये और वेतन वापसी में क्या प्रक्रिया चल रही है। जिस पर उन्हे अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी और बताया कि मामला सीबीसीआईडी को चला गया है।
जिसकी जांच अब सीबीसीआईडी को सौंपी गई हैं। अब मामले की जांच सीबीसीआईडी करेगी। जब तक सीबीसीआईडी की जांच पूरी नहीं हो जाती है, तब तक नगर निगम न तो कर्मचारियों को हटा सकती है और न ही वेतन वापसी की कार्रवाई शुरू कर सकती है, यही रिपोर्ट तैयार का उच्चाधिकारियों को भेजी गई है।
कान्हा उपवन गोशाला में घोटाले का आरोप, मुख्यमंत्री से शिकायत
परतापुर स्थित कान्हा उपवन गोशाला में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। पशु एवं कल्याण अधिकारी पर तमाम आरोप लगाते हुए जांच कराकर कार्रवाई की मांग को लेकर डीएम, कमिश्नर के साथ मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजे गये हैं। पंकज चिडालिया ने खुद को समाज सेवी बताते हुए शिकायती पत्र भेजे और बताया कि गोशाला का यदि औचक निरीक्षण कोई बड़ा अधिकारी कर ले तो गोशाला में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खुल जायेगी। जो आरोप शिकायती पत्र में लगाये गये हैं, उनमें मुख्य रूप से गोवंश को मानक के अनुसार चारा नहीं देना जिस कारण गोवंश की हालत भरपेट चारा नहीं मिलने की हालत में दयनीय हो गई है।
1180 गोवंश गोशाला में मौजूद हैं। जिसमें से 380 गोवंश दुधारू है। जिसमें गोवंश से जो दूध प्राप्त होता है। उसे निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी गोशाला में काम करने वाले लोगों के साथ मिलकर बेच देते हैं और उसका खुद मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं महानगर से कोई व्यक्ति गोशाला में गोवंश भिजवाा है तो उससे 10 हजार रुपये तक वसूल लिये जाते हैं और पर्ची मात्र 500 से 1000 रुपये तक की ही काटी जाती है।
इस मामले में पशु एवं कल्याण अधिकारी पर तमाम और भी आरोप लगाये और शिकायती पत्र पर जांच कर कार्रवाई की मांग की। वहीं पशु एवं कल्याण अधिकारी पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। वहीं वाल्मीकि समाज की सफाई कर्मचारी महिलाओं के साथ र्दुव्यवहार करने, वहीं एक लिपिक का स्थनान्तरण होने के बाद भी अपने पास रखना समेत तमाम आरोप लगाये। इस संबंध में डा. हरपाल सिंह पशुपालन एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि पंकज चिडालिया के द्वारा मनगढंत आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र दिया गया है।
उसके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। उससे बृहस्पतिवार को मेरी बात हुई थी, वह अपनी शिकायत वापस लेने को तैयार है। वहीं तमाम अधिकारियों व मुख्यमंत्री को शिकायत भेजने के बाद डा. हरपाल सिंह से अपनी शिकायत को वापस लेने के मामले में शिकायतकर्ता पंकज चिडालिया उसका पक्ष जानने को उनके मोबाइल पर संपर्क किया तो उनका मोबाइल स्विच आॅफ मिला।