Sunday, June 15, 2025
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तुगलकी फरमान से धरे रह गए अरमान, करोड़ों का फटका

  • शादी विवाह के सायों में काम करने वालों के अलावा मेजबान और मेहमानों के अरमानों पर फिरा पानी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विवाह समारोह में सिर्फ 100 लोगों के शामिल होने के सरकारी फरमान से सायों का काम करने वाले करीब दर्जन ज्यादा कारोबारियों को महज 10 दिन में करोड़ों का फटका लगा है। वहीं, दूसरी ओर बेटा-बेटी की शादी में जमकर जश्न का अरमान सभी का होता है। क्योंकि सभी की जिंदगी में ये दिन एक ही बार आता है। इसलिए कोशिश की जाती है कि कोई कोर कसर न रह जाए, लेकिन 100 मेहमानों के फरमान से सारे अरमान धरे के धरे रह गए।

सरकारी तुगलकी फरमान से शादी और सायों में काम करने वालों में जबरदस्त नाराजगी है। उनका कहना है कि एकाएक सरकार ने जिस प्रकार से शादी में मेहमानों के शामिल होने की संख्या तय कर दी है, उससे सभी को भारी नुकसान होगा। उनकी मांग है कि सरकार बगैर किसी देरी के ये फरमान वापस ले।

शादी सायों से जुडे वर व वधु पक्ष के अलावा तमाम लोग महीनों पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं। वर व वधु पक्ष मेहमानों को न्योता भेज चुके हैं। मेहमान भी तैयारियों पर काफी खर्च करते हैं। इन तमाम बातों को मद्देनजर महज 100 लोगों के विवाह समारोह में शामिल होने का तुगलकी फरमान किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। लोगों का साफ कहना है कि विभाग की विफलता का ठीकरा उन पर फोड़ा जा रहा है।

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…और वो तैयारियां कैसे होगा

आज शहर में साये की पहली शादियां हैं। इसके लिए दोनों की ओर से व्यापक तैयारी की गयी हैं। अंसल कोटयार्ड निवासी बैंक के प्रबंधक ने बताया कि पहले 200 मेहमानों की अनुमति थी। उसके अनुसार उन्होंने मेहमानों को न्योता दिया है। बड़ी संख्या में मेहमान आ चुके हैं। उन्हें शहर के महंगे होटलों में ठहराया गया है, लेकिन सरकार के इस फरमान के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आए हुए मेहमानों में से किसको ना करें। ऐसे तमाम शादी वाले घर हैं, जहां बुधवार या गुरुवार को होने वाले विवाह समारोह में शामिल होने के लिए तमाम मेहमान आ चुके हैं।

इनको लगा फटका

सरकार के फरमान से जिनको फटका लगा है। उनमें केवल मंडप या बैंडबाजा ही शामिल नहीं हैं। दरअसल एक विवाह समारोह जब होता है तो उसे दर्जन भर अलग-अलग काम करने वालों जैसे कैटरर्स, फ्लावर्स डेकोरेटर्स, जनरेटर व इलेक्ट्रिशियन, सिक्योरिटी गार्ड, वैलकम गर्ल्स, इवेंट आर्टिस्ट, फल-सब्जी-किराना कारोबारी, बैंड-नपीरी-ढोल-ताशे कलाकार, बराती घरातियों के लिए मिठाइयों के डिब्बे पैकिंग करने वाले तमाम लोग शामिल हैं।

इनका भी भारी नुकसान

इनके अलावा सरकारी फरमान से अपरोक्ष रूप से शादी के सायों से जुडे अन्य कारोबारियों का भी भारी भरकम नुकसान है। आमतौर पर किसी का जूता फटा हो या जैकेट सूट खराब हो गया हो तो वो यही सोचता है कि किसी शादी में जाना है तभी ये चीजें खरीदेंगे। यहां तक कि बेल्ट, टाई व जुर्राब जैसी चीजों के लिए भी शादी में खरीद लेने की बात सामान्य तौर पर की जाती है, लेकिन इस फरमान ने सभी के अरमानों पर पानी फेर दिया।

बाहर से बुलाए कारीगर

शादी समारोह में खाना बनाने से लेकर मंडपों की डेकोरेशन तक करने वालों को बहुत से लोगों ने बाहर से बुलाया हुुआ है। साधन संपन्न कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने जयपुर व दिल्ली तथा देश के अन्य दूरदराज के इलाकों से खाना बनाने या फिर विवाह समारोह में डेकोरेशन करने वालों को बुलाया है। बताया जाता है कि फूलों की डेकोरेशन करने वाले कारीगर बंगाल से बुलाए जाते हैं, लेकिन सरकारी फरमान ने लोगों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

बाजारों में भीड़ तो शादियों पर रोक क्यों

आज से शुरू होने जा रहे सायों का इंतजार देख रहे कारोबारियों से जनवाणी संवाददाता ने बात की। उनका कहना था कि जब फ्लाई और बसों को ठसाठस भरकर चलने की अनुमति दी गयी है तो फिर चंद घंटों की शादी समारोह पर 100 की पाबंदी किस लिए। अभी दीपावली पर्व पर बाजारों में हजारों की भीड़ जुटती थी, तब रोकटोक नहीं तो विवाह समारोह में क्यों।

अनुमति आनलाइन हो तो बेहतर

शासन के निर्देशों के बाद शादी समारोह की अनुमति लेने के लिए लोगो को थाने और अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कोरोना के कारण जो व्यवस्था बनाई जा रही है, उसमें बेहतर होता कि अनुमति आॅनलाइन दी जाती। इससे भीड़ न जुट पाती और लोग शादी के काम को छोड़कर अधिकारियों के यहां चक्कर न लगाना पड़ता। कोरोना के कारण शासन ने शादी में 200 की जगह 100 लोगों की अनुमति दी है।

इस अनुमति को लेने के लिए भी पसीना बहाना पड़ रहा है। पहले संबंधित अपर नगर मजिस्ट्रेट के यहां जाओ फिर, वहां से पत्र लेकर संबंधित थाने जाओ। थाने की रिपोर्ट लगवा कर फिर अपर नगर मजिस्ट्रेट के यहां जाकर अनुमति लो। कोरोना को देखते हुए अगर अनुमति आॅनलाइन दी जाती तो फायदेमंद होता। प्रशासन को चाहिए था कि लोगों की भीड़ कम जुटे और लोग बेवजह परेशान न हो।

डीएम से मिले मंडप स्वामी

मेरठ मंडप एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम के. बालाजी से मिला। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई महामंत्री विपुल सिंघल व मनोज कुमार ने की। वैवाहिक समारोह में प्रशासन द्वारा दी जाने वाली अनुमति में आ रही कठिनाइयों के संबंध में मिला। डीएम ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वैवाहिक समारोह के लिए संशोधन गाइडलाइन जारी की गई है। गाइडलाइन के अनुसार किसी भी बंद हॉल के अंदर अधिकतम 100 लोगों की अनुमति का प्रावधान है, साथ ही खुले मैदान में क्षमता का 40 प्रतिशत अनुमति योग्य है।

शासनादेश आने के बाद भी मेरठ प्रशासन द्वारा 100 अतिथियों से ज्यादा की अनुमति खुले मैदान में नहीं दी जा रही है। मेरठ में 100 से अधिक मंडप/फार्म हाउस खुले मैदान में बने हुए हैं, जिनके अंदर अधिकतम 5000 से 8000 लोग शामिल हो सकते हैं। इन मंडप/फार्म हाउस को भी सिर्फ 100 अतिथियों के कार्यक्रम कराये जाने की अनुमति प्रदान की जा रही है। मजिस्ट्रेट द्वारा मंडप स्वामियों से कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी गई है, जिसको मंडप स्वामियों ने जमा कराने में अपनी असमर्थता जताई। डीएम से मिलने वालों में मंडप एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार, महामंत्री विपुल सिंघल, चेयरमैन सुबोध गुप्ता, कोषाध्यक्ष नवीन अग्रवाल, भावना आदि मौजूद रहे।

करोड़ों रुपये का फटका
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मंडप एसोसिएशन के विपुल सिंहल का कहना है कि मात्र 100 लोगों के शामिल होने का आदेश अव्यवहारिक है। सरकार को एक बार फिर से इस पर विचार करना चाहिए। इस आदेश से शादी के सायों के काम करने वालों को कुल मिलाकर करोड़ों रुपये का फटका 10 दिन में लग जाएगा। तमाम तैयारियां की गयी हैं। इतना भारी भरकम नुकसान नहीं सह सकेंगे।

कारीगरों को दिया एडवांस

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शादी समारोह में कैटरिंग करने वाले मैसर्स खेमा स्वीट्स के आकाश गुप्ता का कहना है कि सायों में काम करने वाले कारीगरों को बाहर से भी बुलाना पड़ता है। ऐसे कारीगर बगैर एडवांस लिए नहीं आते हैं। नए आदेश के बाद कारीगरों की संख्या घटानी पड़ेगी। ऐसे में जो एडवांस गया है वो ब्लाक हो जाएगा।

पैकिंग के आर्डर घटे

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नई सड़क स्थित राम चंद्र सहाय आनंद स्वरूप स्वीट्स बैकर्स के मालिक सचिन गुप्ता ने बताया कि पूर्व में पैकिंग के जो आर्डर मिले थे उनमें कई पार्टियों ने आधे से ज्यादा की कमी कर दी है। दरअसल, मेहमानों को दी जाने वाली मिठाइयां उनके यहां पैक होती हैं। जब मेहमान ही नहीं आएंगे तो फिर पैकिंग कराकर लोग क्या करेंगे। जो मिठाइयों आर्डर पर बनी हैं उनका भारी नुकसान है।

कैसे होगी नुकसान की भरपाई
14 13 e1606278010429शादी विवाह में विदेशी फूलों से डेकोरेशन करने वाले इकराम फ्लावर्स के मालिक सलीम का कहना है कि एकाएक आए आदेश की वजह से अरमानों के फूल मुरझा गए हैं। उनके पास तमाम भारी भरकम आर्डर थे। जिनमें से काफी आर्डर अब घटा दिए गए हैं। सजावट के लिए जो बंगाली कारीगर आए हैं। उनको बुलाने में भी बड़ा खर्च हुआ है।

बैंडबाजा बगैर कैसी बरात
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शहर के नामी राजू बैंड के मालिक संजीव ठाकुर का कहना है कि पिछले नौ माह से खाली बैठे हैं। संक्रमण के चलते कोई आयोजन नहीं हो पा रहा है। शादी के 10 दिन के साये से जो उम्मीद थी, उस पर भी सरकार ने पहरा बैठा दिया है। मेहमानों की संख्या सीमित करने के साथ ही लोगों ने बैंड भी समिति कर दिया है। इससे बड़ा नुकसान है।

बिन डीजे बेरौनक है शादी
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शादी और दूसरे आयोजनों में डीजे और लाइटिंग का काम करने वाले अनिल का कहना है कि शादी समारोह में मेहमानों की संख्या सीमित कर दिए जाने की वजह से सबसे बड़ा झटका डीजे का काम करने वालो का लगा है। जब मेहमान ही नहीं आएंगे तो फिर डीजे ही क्यों लगवाया जाएगा। सरकार को विचार करना चाहिए। क्योंकि ये रोटी रोजगार से जुड़ा मसला है।

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