Friday, August 22, 2025
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दो विभागों के बीच अटकी हैं आडिट की फाइलें

  • निस्तारण न होने के कारण ग्राम पंचायत विभाग को लग रहा करोड़ों का फटका

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लेखा परीक्षा विभाग की करीब एक दशक पुरानी आॅडिट रिपोर्ट में अब जाकर कार्यवाही का सिलसिला शुरू हो रहा है। जिसके अंतर्गत अभी तक 26 ग्राम प्रधानों सचिवों को नोटिस जारी करके अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर प्रदान किया गया है। वहीं एक दशक की आॅडिट रिपोर्ट लेखा विभाग और जिला परियोजना अधिकारी कार्यालय के बीच अटक कर रह गई है। जिसके कारण ग्राम पंचायत विभाग को करोड़ों का फटका लग रहा है।

जिला स्तर पर वर्ष भर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और सहकारी समितियां के कार्यों की आॅडिट रिपोर्ट तैयार की जाती है। यहां बात अगर ग्राम पंचायत की आॅडिट रिपोर्ट के बारे में की जाए, तो अभी तक वर्ष 2013-14 का निस्तारण भी पूरी तरह नहीं हो पाया है। यानि जिला लेखा परीक्षा विभाग और जिला परियोजना विभाग के बीच एक दशक पुरानी तक आॅडिट फाइलें अभी तक निस्तारण के इंतजार में हैं।

विधानसभा समिति की बैठक के दौरान उठे सवाल के बाद लेखा विभाग की ओर से वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट जिला परियोजना कार्यालय भेजी गई है। जिसके बारे में बताया गया है कि दो वर्षों की आॅडिट रिपोर्ट में 50 से अधिक ग्राम पंचायतों में करोड़ों रुपये के आय-व्यय के बारे में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। वहीं जिला परियोजना कार्यालय से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक अभी तक वर्ष 2013-14 की फाइलों के निस्तारण की प्रक्रिया ही चल रही है। जिसके अंतर्गत 26 ग्राम पंचायत के प्रधान और सचिवों को रिकवरी के नोटिस जारी किए गए हैं।

आॅडिट रिपोर्ट को लेकर एक दशक पुरानी फाइलों का अभी तक निस्तारण में हो पाना अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस बारे में जिला परियोजना अधिकारी कार्यालय का कहना है कि उन्हें लेखा परीक्षा विभाग की ओर से काफी विलंब से फाइलें भेजी जा रही हैं। लेकिन यह विलंब एक दशक पुराना भी हो सकता है यह अपने आप में दोनों विभागों के बीच तालमेल के अभाव और जिन ग्राम पंचायत का आॅडिट किया गया है उनके साथ किसी प्रकार की सांठगांठ के संकेत दे रहा है।

इस सिलसिले में डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव का कहना है कि लेखा परीक्षा विभाग की ओर से जो आॅडिट रिपोर्ट उनको मिलती हैं उनके बारे में संबंधित ग्राम पंचायत को पत्र लिकर उनसे संबंधित दस्तावेज पूर्ण करने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा रिकवरी की बाबत डीएम स्तर से नोटिस भी जारी किए जाते हैं। उनका कहना है कि अभी तक जिला लेखा परीक्षा कार्यालय से वर्ष 2017-18 तक की आॅडिट रिपोर्ट उनके कार्यालय में हाल ही में दी गई है।

जिसके परीक्षण का कार्य फिलहाल कराया जा रहा है। वहीं इस संबंध में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी राजकुमार तोमर का कहना है कि उनके विभाग की ओर से आॅडिट रिपोर्ट भेजने में कोई विलंब नहीं किया जा रहा है। उनका दावा है कि वर्ष 2021-22 तक की आॅडिट रिपोर्ट तैयार करके जिला परियोजना अधिकारी के कार्यालय में भिजवाई जा चुकी है।

विधवा है नहीं, फिर भी ले रही पेंशन

मेरठ: विधवा के नाम पर पेंशन लेने के कई मामले पकड़ में आये हैं। इसका प्रबोशन अधिकारी ने संज्ञान ले लिया है तथा इसमें रिकवरी करने के लिए तहसील से रिपोर्ट मांग ली हैं। इस मामले में बड़ी तादाद में ऐसी महिलाएं सामने आयी हैं, जो पहले विधवा थी, लेकिन वर्तमान में दूसरी शादी करके अपना जीवन यापन कर रही हैं। ऐसी महिलाओं ने पेंशन लेना बंद नहीं किया और इस तरह से सरकारी धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा हैं।

महानगर में वार्ड-47 में ऐसे कई मामले सामने आये हैं। महिलाएं पहले विधवा थी, लेकिन बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली। ये तथ्य भी जांच पड़ताल में सामने आया हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं, जिनको बराबर पेंशन तो मिल रही हैं, लेकिन शादी करने के बाद पेंशन का कोई अधिकार नहीं बनता। इसलिए इसमें घालमेल हुआ हैं। घालमेल को पकड़ने के लिए कुछ सबूत जुटाये गए। ‘जनवाणी’ने बुसरा नामक महिला व एक अन्य के सबूत भी प्रबोशन अधिकारी को दिये हैं।

इसमें छानबीन की गई तो पाया कि महिला विधवा पेंशन ले रही हैं, लेकिन वर्तमान में उसने दूसरी शादी रचा ली हैं। अब ये पेंशन पानी की हकदार नहीं हैं। इस पूरे मामले में ऐसी महिलाओं की पेंशन रोक दी गई हैं। इसमें एक पत्र बैंक मैनेजर को खाता फ्रीज करने के लिए लिखा गया हैं। अब तहसील से भी रिपोर्ट मांगी हैं। तहसील की रिपोर्ट आने के बाद ली गई पेंशन की रिकवरी हो सकती हैं। क्योंकि ऐसा कर महिलाओं ने सरकार को धोखा दिया हैं।

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