- मां पार्वती जैसी मनोकामना होगी पूरी
- धन देने वाला गजकेसरी योग तीन राशियों की खोलेगा किस्मत
- 18 को मनाया जाएगा हरतालिका तीज का पर्व
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सनातन पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस वर्ष 18 सितंबर को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रख देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका व्रत करने से विवहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही पति की आयु लंबी होती है। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार हरतालिका तीज के दिन दुर्लभ इंद्र योग समेत अन्य शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में महादेव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर को प्रात: काल 11 बजकर 8 मिनट से शुरु होकर अगले दिन यानी 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट को समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 18 सितंबर को हरतालिका तीज मनाई जाएगी।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो इंद्र योग शुभ कार्य करने के लिए उत्तम माना जाता है। इस अवधि में पूजा-अर्चना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज के दिन ब्रह्म बेला 4 बजकर 24 मिनट से लेकर अगले दिन 19 सितंबर तक इंद्र योग है। अत: व्रती को हरतालिका तीज व्रत करने का विशेष फल प्राप्त होगा। हरतालिका तीज के दिन इंद्र योग के साथ ही रवि योग का भी निर्माण हो रहा है।
पंचांग के अनुसार 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो पूरे दिन तक रहेगा। साथ ही हरतालिका तीज पर बुधादित्य योग का भी निर्माण हो रहा है। इससे सभी राशि के जातकों को शुभ फल प्राप्त होगा। वहीं शुभ कार्य के लिए हरतालिका तीज के दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक है।
हरतालिका तीज पूजा विधि
सुहागिन महिलाओं को इस दिन सुबह उठकर स्नान के पश्चात नए या साफ वस्त्र धारण करके शुभ मुहूर्त में दीपक जलाते हुए व्रत का संकल्प लेकर पूजा आरंभ करनी चाहिए। माता पार्वती, भगवान शिव और गणपति जी हरतालिका तीज व्रत पर विशेष उपासना की जाती है। इस दौरान पूजा से पूर्व भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
जिसके बाद विधि-विधान से पूजा कर व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। ध्यान रहे अंत में आरती अवश्य करनी चाहिए। इस दौरान माता पार्वती की उपासना के समय ऊं उमायै नम: मंत्र और भगवान शिव की उपासना के समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का निरंतर जाप करते रहना चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत के नियम
जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज के दिन महिलाएं पूजा के पहले सोलह श्रृंगार करती हैं। वहीं इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन चौकी बिछा कर मंडप तैयार कर मां पार्वती, शिवजी और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा बनाने के पश्चात धूप, दीप, सिंदूर, फल, फूल, नारियल और श्रृंगार का सामान चढ़ा कर विधि विधान से पूजा कर कथा सुनने के बाद आरती करनी चाहिए।
- हरतालिका तीज पर रात्रि में सोना वर्जित माना गया है।
- महिलाएं इस दिन रात्रि जागरण कर रात्रि में लोकगीत गाने के अलावा भजन-कीर्तन करती हैं।
- मान्यता के अनुसार हरतालिका तीज के दौरान जो महिला सोती है, उसे अगले जन्म में अजगर या मगरमच्छ की योनि में जन्म मिलता है।
- एक बार हरतालिका व्रत को करने के बाद इसे जीवनभर करना पड़ता है। यहां तक की यदि महिला किसी स्वास्थ्य कारणों से व्रत करने में सक्षम न हो तो पति द्वारा इस व्रत को किया जाना चाहिए।
- हरतालिका व्रत के दिन पूजा में व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए, इस संबंध में मान्यता ये है कि व्रत कथा पढ़े या श्रवण किए बिना हरतालिका तीज व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।