Sunday, July 6, 2025
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अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले ‘बेडेन पावेल’

सईद आलम


स्काउटिंग या गाइडिंग बच्चों को अच्छा नागरिक बनने के लिए एक प्रकार की अनौपचारिक शिक्षण योजना है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य बालक या बालिका को शारीरिक रूप से मजबूत, मानसिक रूप से जागरूक तथा नैतिक रूप से सुशिष्ट बनाना है।

बालक या बालिका का सवार्गीण विकास ही इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य है। स्काउट व गाइड आंदोलन के जन्मदाता एक अंग्रेजी सैनिक अधिकारी लार्ड राबर्ट स्टीफेंसन स्मिथ पावेल थे। इनका जन्म 22 फरवरी, 1857 को स्टेनपोल टेरेस लंदन में हुआ था।

राबर्ट के पिता की मृत्यु उसके बचपन में ही हो गई थी। राबर्ट बचपन से ही बाहरी जीवन, नौका चालन, भ्रमण कैंपिंग एवं साहसिक कार्यो में रूचि लेते थे। खाली समय में वह गृह कार्य में अपनी माता की सहायता करते थे। 1876 में वीपी सैनिक परीक्षा में सफल हुए और उन्हें सैनिक अधिकारी बनाकर भारत स्थित 13 वीं हुसार्स रेजिमेंट लखनऊ में भेजा गया। 1884 में उन्हें अफ्रीका में ‘जूलू’ लोगों का सामना करना पड़ा। पावेल की निशानेबाजी और स्काउट कला के कारण जूलू इनकी धाक मानने लगे। 1883 में अफ्रीका में अशांत प्रदेश में ब्रिटिश सरकार ने इन्हें युद्ध संचालन हेतु भेजा। अपनी जासूसी कला में निपुणता के कारण इन्हें विजय मिली। अफ्रीका वासियों ने इनका नाम ‘इम्पासी’ अर्थात कभी न सोने वाला भेडिया रखा।

बेडेन पावेल को पदोन्नत कर कर्नल बनाकर फिर भारत भेजा गया। यहां उन्होंने सैनिक प्रशिक्षण में नये तरीके अपनाये जो बाद में स्काउटिंग में सम्मिलित किए गए। इन अभ्यासों, सफलता पर उन्होंने सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए ‘एड्स टू स्काउटिंग’ नामक पुस्तक लिखी।

इसी बीच बेडेन पावेल को बीअर युद्ध में अफ्रीका जाने का आदेश हुआ। इस युद्ध में मेफकिंग नामक नगर में ये सैनिक अधिकारी थे। जब इस नगर को विशाल शत्रु सेनाओं ने घेर लिया तो बेडेन पावेल ने अपने योग्य नेतृत्व में 217 दिनों तक इस नगर की रक्षा की। यहीं बेडेन पावेल ने युवा लड़कों को एकत्र कर समाचार वाहक, गार्ड ड्यूटी, प्राथमिक उपचार आदि कामों में लगाया। इस प्रकार अधिक सैनिक नगर की रक्षा में लगे रह सके।

अपनी इस कुशल एवं समयानुकूल सूझ-बूझ के कारण बेडेन पावेल शीघ्र ही विश्व में प्रसिद्ध हो गए। उन्हें अफ्रीका में सैनिक संगठन का कार्य सौंपा गया। वहां उन्होंने देखा कि उनकी पुस्तक ‘एड्स टू स्काउटिंग’ के सहारे लडके स्काउटिंग के अभ्यास कर रहे थे।

इससे उत्साहित होकर बेडेन पावेल ने बालकों के प्रशिक्षण की एक योजना बनाई और प्रयोग के रूप में उन्होंने 1907 में ब्राउसी नामक द्वीप पर समाज के सभी वर्गों से चुने हुए 20 बालकों का एक शिविर आयोजित किया और कैम्प फायर के समय कहानी के रूप में योजनाबद्ध प्रशिक्षण दिया।

बाद में ‘स्काउटिंग फॉर बॉइज’ को पाक्षिक-पत्र के रूप में प्रकाशित किया गया। यह पद्धति बालकों को बहुत अच्छी लगी और शीघ्र ही स्काउटिंग के अभ्यास करने वाले बालकों की बहुत बढ़ गई। तब सुसंगठित और योजनाबद्ध कार्यक्र मों की आवश्यकता हुई।

लार्ड बेडेन पावेल ने सेना से अवकाश लिया और वे इस आंदोलन को संगठित करने लग गए। इस प्रकार स्काउटिंग का जन्म हुआ। अपने अंतिम दिनों में लार्ड पावेल अफ्रीका के कीनिया प्रदेश में रहते थे। वहीं 7 जनवरी 1914 को उनका देहावसान हो गया।

स्काउट का कर्तव्य एवं ध्येय

स्काउट का ध्येय होता है-बी ‘प्रिपेयर्ड’ अथवा ‘तैयार’। इसका तात्पर्य यह है कि वह अपने आपको सेवा-कार्यों में इस प्रकार प्रवीण कर लेता है कि अवसर आने पर वह पूरे रूप से उपयुक्त होता है तथा मैदान में उतर आता है।
-फर्स्ट एड ( प्राथमिक चिकित्सा ) में स्काउट को खूब प्रवीण होना चाहिए। अनेक बार उसको इसका अभ्यास करना चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह पूर्ण सहायक सिद्ध हो सके।
-स्काउट को मानसिक रूप से तैयार इस प्रकार होना चाहिए कि वह प्रत्येक आज्ञा का पालन करे, पहले से आने वाली परिस्थिति अथवा दुर्घटना को भांप ले तथा उचित समय पर जो कुछ करना ठीक है उसको जाने तथा करने को उद्यत हो।
-स्काउट को शारीरिक रूप से तैयार इस प्रकार होना चाहिए कि वह सशक्त और चुस्त हो तथा उचित कार्य ठीक समय पर करने के लिए उद्यत हो तथा करे।

 

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