- 7 को मनेगा जन्मोत्सव, आज अष्टमी तिथि में व्रत करना उत्तम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसबार भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में ही पड़ रही है। इस तरह यह दुर्लभ संयोग है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जन्माष्टमी का पर्व दो दिन ही मनाया जाएगा। परंपरा अनुसार इस व्रत के संबंध में दो मत प्रचलित हैं। स्मार्त लोग यानि सामान्य गृहस्थी अर्द्धरात्रि का स्पर्श होने पर सप्तमीयुता अष्टमी में उपवास करते हैं।
जबकि वैष्णव मतालंबी अर्द्धरात्रि अष्टमी की उपेक्षा करके नवमी विदा अष्टमी में व्रतादि करने में विश्वास रखते हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य अमित गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष बुधवार 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से अष्टमी तिथि शुरु हो रही है, जो कि 7 सितंबर गुरुवार को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर बुधवार को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से 7 सितंबर गुरुवार सुबह 10 बजे तक है।
तिथि के अनुसार पूजा का सबसे सही समय 6 सितंबर को रात 12 बजकर 13 मिनट से 1 बजे तक है। यह 46 मिनट पूजा के लिए सबसे शुभ है। ऐसे में व्रत का अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी, भरणी नक्षत्र कालीन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प, जपानुष्ठान व जन्म अभिषेक का माहात्म्य होगा।
स्मार्त भक्त (सामान्य गृहस्थी) इसी दिन व्रत का आरंभ करके आगामी दिवस गुरुवार 7 सितंबर को व्रत का पारण एवं जन्मोत्सव मनाएंगे जो कि श्रेष्ठ एवं उत्तम रहेगा। जन्माष्टमी और कृष्ण जन्मोत्सव में एक चीज सर्वमान्य होती है और वह है रोहिणी नक्षत्र। क्योंकि रोहिणी नक्षत्र में ही भगवान का जन्म हुआ था। रोहिणी नक्षत्र में उत्सव मनाने की परंपरा है, जो कि 6 को पड़ रहा है।
दो दिन क्यों मनाई जाएगी जन्माष्टमी?
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के सात मुहूर्त निकल जाने के बाद आठवें मुहूर्त में हुआ था। उस दौरान आधी रात थी। अगर आठवें मुहूर्त की बात करें तो वह 7 सितंबर को रहेगा और आधी रात की बात करें तो वह 36 सितंबर को होग।
6 को अर्द्ध रात्रि में इस प्रकार करे पूजा
अर्द्धरात्रि अष्टमी को ही बाल गोपाल का पूजन, श्रृंगार, भोग लगाना, झूला झूलाना व जन्म के समय अभिषेक की पुष्टि की है। श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण, वायु पुराण, भविष्य पुराण आदि में भी तो अर्द्धरात्रि युक्ता अष्टमी में ही श्री भगवान के जन्म की पुष्टि करते हैं।
औघड़नाथ मंदिर पर राधा-गोविंद की झांकी और नौका विहार बना आकर्षण का केंद्र
जन्माष्टमी को लेकर शहर के सभी मंदिर रंगीन लाइटों से सजकर तैयार हो गए है। वहीं औघड़नाथ मंदिर पर राधा-कृष्ण का फूल बंगला सजाया गया हैं, जिसको वृंदावन के कलाकारो द्वारा सजाया गया है। मंदिर में 6 व 7 दोनों दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। 6 सितंबर को जन्माष्टमी पर्व व 7 को नंद उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस वर्ष श्रीराधा-कृष्ण का फूल बंगला कोलकाता व विदेशी फूलों से सजाया गया है।
वहीं मंदिर में बनाई गई राधा-गोविंद की झांकी और नौका विहार लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है। मंदिर अध्यक्ष सतीश सिंघल ने बताया कि श्री राधा-गोविंद में फूल बंगले की सजावट वृंदावन के कुशल कारीगरों द्वारा की गई है जिसमें फूल, लकड़ी के फ्रेमों पर बेला व रजनीगंधा के देशी-विदेशी फूल लगभग 21 कुंतल फूलों से फूल बंगले को सजाया गया है। जिस प्रकार वृंदावन में (बांके बिहारी जी के मंदिर में सजाया जाता है
सड़क के बाहर दोनों ओर भगवान श्री कृष्ण जी के विभिन्न रूपों को रंग-बिरंगी चलित लाइटों को लगाया गया है जो कलकत्ता से मंगवाई गई है बिजली पर निर्भर न रहते हुए मंदिर समिति द्वारा 8 बड़े जनरेटरों की व्यवस्था की गई है। जिससे बिजली लगातार बनी रहे। अध्यक्ष ने बताया कि 6 सितंबर की रात्रि 10:57 पर श्री राधा-गोविंद का अभिषेक, आरती, 108 तुलसीदल व कमलदल से किया जायेगा।
उसके पश्चात सेव, पेड़ा व चरणामृत का प्रसाद वितरण होगा। बाहर साइकिल स्टैंड के पास नि:शुल्क जूता घर बनाया गया है भक्तो की सुविधा के लिए मंदिर के बाहर बैरिकेटिंग की व्यवस्था की गई है जिसमें भक्तो का प्रवेश गरुड़ द्वार से होगा तथा निकासी प्राचीन नंदी द्वार से होगी।
यह रहेगा विशेष
- श्री राधा-गोविंद की अद्भुत पौशाक जो वृंदावन से मंगवाई गई है।
- श्री राधा-गोविंद की झांकी नौका विहार जो आकर्षण का केंद्र है।
- भगवान श्रीकृष्ण जी की रंग-बिरंगी लाइट स्वरूप जो कलकता से आई है।
- मंदिर में एक ईडी की बड़ी स्क्रीन लगाई गई है जिसके द्वारा श्री राधा-गोविंद के दर्शन होते रहेंगे।