जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में माता सरस्वती को विद्या की देवी माना गया है। जिनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में बुद्धि और विवेक प्राप्त होती है। बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला की देवी मानी जाने वाली हंसवाहिनी मां सरस्वती की पूजा के लिए वसंत पंचमी का पर्व अत्यंत ही शुभ माना गया है।
जिस बसंत पंचमी पर्व को किसी भी प्रकार की कला या पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत के लिए बेहद ही शुभ और फलदायी माना गया है वो इस साल 26 जनवरी के दिन पड़ने जा रहा है। इस दिन किस विधि से करनी चाहिए मां सरस्वती की साधना, जिससे बच्चों का मन लगे पढ़ाई में तो आइए जानते है उपायों के बारे में…
वसंत पंचमी का दिन छात्रों के लिए बेहद खास
बता दें कि, वसंत पंचमी का दिन छात्रों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन स्कूलों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती की पूजा से छात्रों को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। वहीं जिन छात्रों का मन पढ़ाई में नहीं लगता या वो ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते उन्हें वसंत पंचमी के दिन कुछ विशेष उपाय करने चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन किए गए इन उपायों से मां सरवस्ती प्रसन्न होती हैं और विद्या, ज्ञान, संगीत, और कला का आशीर्वाद देती हैं।
बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है तो…
यदि आपका बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है या पढ़ाई में उसका मन ही नहीं लगता, तो वसंत पंचमी के दिन बच्चे के हाथ से मां सरस्वती को पीले के फल अर्पित करवाएं। ऐसा करने से बच्चे का पढ़ाई में मन लगने लगेगा। इसके अलावा माता सरस्वती का एक चित्र बच्चे के स्टडी रूम में स्टडी टेबल के पास लगाएं।
मन नहीं लगता पढ़ाई में तो जपें ये मंत्र
यदि विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता, तो उन्हें मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः’ का जाप करना चाहिए।
बोलने में है समस्या तो करें ये उपाय
यदि आपके बच्चे की वाणी स्पष्ट नहीं है या उसे बोलने में समस्या होती है, तो वसंत पंचमी के दिन उसकी जिह्वा पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से ‘ऊं ह्रीं श्री सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिख दें। ऐसा करने से आपका बच्चा वाणी दोष से मुक्त हो जाएगा। साथ ही उसकी भाषा भी स्पष्ट हो जाएगी।
वास्तु दोष के कारण भी छात्रों को…
कई बार वास्तु दोष के कारण भी छात्रों को अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते। इसलिए बच्चे के स्टडी रूम की दिशा का खास ख्याल रखें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा ध्यान और शांति की दिशा मानी गई है। ऐसे में ध्यान रहे कि अध्ययन कक्ष इन्हीं दिशाओं में हो और पढ़ते समय बच्चे का चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे।
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