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स्पेशलिस्ट्स के मुताबिक बॉडी की जरूरतों के खिलाफ जाना बेहद घातक
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पब्लिक टॉयलेट्स का यूज करते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: व्यक्ति की दिनचर्या में जिस प्रकार खाना, पीना और सोना एक प्रमुख क्रिया है, उसी प्रकार शरीर की शुद्धि के लिये शौच जाना भी एक नित्यकर्म है जिसे हम अमूमन नेचुरल कॉल कहकर भी सम्बोधित करते हैं। यह शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है। जो हमारे शरीर के भीतर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है। शौच की आवश्यकता और महत्व को समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा हुआ है।
दैनिक जनवाणी चला रहा मुहिम
पिछले एक सप्ताह से जनवाणी द्वारा चलाई जा रही मुहिम के अंतर्गत बाजारों में शौचालयों के अभाव से जूझ रहे सदर, लालकुर्ती, बेगमपुल, सराफा, वैली बाजार व घंटाघर बाजार में आने वाले हजारों ग्राहकों और दुकानदारों से इस समस्या पर खुलकर बात की गई। इस मुहिम को धरातल पर न केवल लोगों ने सराहा बल्कि इस समस्या को शहर की प्रमुख समस्या भी बताया। लोगों ने कहा कि यह समस्या महिला व पुरुष दोनों की ही है। कई क्षेत्रों में शौचालय की कमी और स्वच्छता की समस्याएं बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। खुले में शौच करना न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अपितु यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। आज हम जनता की परेशानी को देखते हुए बाजार के सार्वजानिक शौचालय या इधर-उधर शौच जाने पर शौच से संबंधित स्वच्छता को बनाए रखने के लिये व बीमारियों से लड़ने के लिये महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे हैं।

40 फीसदी लोग यूरिनरी प्रॉब्लम्स से परेशान
डॉ. शालीन शर्मा बताते हैं कि उनके पास प्रतिदिन 40 में से 15 से 20 मरीजों की बीमारी का मुख्य कारण एक लम्बे समय तक पेशाब रोकना है। इनमें सबसे अधिक वह लोग शामिल है जो या तो फील्ड वर्क से जुड़े होते हैं या फैक्ट्री, दुकानों आदि में काम करते हैं। दरअसल, ब्लैडर की क्षमता 300 से 400 मिली लीटर होती है। जिसके ऊपर अगर पेशाब रोका जाता है तो समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। कई बार बहुत देर तक पेशाब रोकने से वह ब्लैडर से किडनी में रिवर्स भी चला जाता है। जिससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके साथ ही सार्वजानिक शौचालय का इस्तेमाल करने से मरीजों में अमूमन यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) मूत्रशय में दर्द होना, किडनी स्टोन, किडनी की बीमारियां, ब्लैडर की कमजोरी, ब्लैडर डिसफंक्शन, यूरिन लीकेज, पथरी, ओवर एक्टिव ब्लैडर, हार्ट फेलियर तक शामिल हैं।
सही तरीके से करें शौचालय का इस्तेमाल
शौच एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन हमें इसे स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से करना चाहिए। यह हमारे शरीर के अच्छे स्वास्थ्य और समाज के समग्र कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। हर व्यक्ति को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वह शौचालय का सही तरीके से इस्तेमाल करें और दूसरों को भी इसकी महत्ता समझाएं। -डॉ. शालीन शर्मा, वरिष्ठ कंसलटेंट यूरोलॉजिस्ट, न्यूटिमा हॉस्पिटल।
कैसे रखें ख्याल?
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सैनिटाइजर का उपयोग करें।
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डिस्पोसिबल सीट कवर का इस्तेमाल करें।
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टॉयलेट पेपर का उपयोग करें।
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अपने पास पेपर सोप रखें, सार्वजनिक साबुन इस्तेमाल करने से बचें।
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हाथों को अच्छे से धोएं।
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सही मात्रा में पानी पीएं।
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पेशाब को जायदा देर तक न रोकें।
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