भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उनके सन्यास के बारे मे लंबे समय से ही अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन कल इन अटकलों पर हमेशा के लिए विराम लगाते हुए धोनी ने खुद इंस्टाग्राम पर कहा अब तक आपके प्यार और सहयोग के लिए धन्यवाद। शाम 7 बजकर 29 मिनट से मुझे रिटायर समझिए। अब वह क्रिकेट से खुद दूर होने जा रहे हैं। धोनी ने बीते बरस ही अपना आखिरी मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा था। इस मैच में उन्होने अर्धशतक मारा लेकिन रन आउट हो गए। इसके बाद से ही धोनी अपनी जगह टीम में बना पाने मे कामयाब नहीं हो पाए थे। पिछले कुछ समय से उनके प्रदर्शन पर न केवल पूर्व भारतीय कप्तानों की एक बड़ी जमात सवाल उठा रही थी वरन उनको टीम से बाहर करने का ताना-बाना बुन रही थी जिसमें चयनकर्ताओं के आसरे उन पर मजबूरन संन्यास का दबाव बनाया जा रहा था और शायद यही कारण था धोनी ने किसी के दबाव के आगे न झुकते हुए अपने अंतर्मन की आवाज को सुना और खुद को अब टेस्ट क्रिकेट की तरह वन डे क्रिकेट से हमेशा के लिए दूर करने का फैसला कर लिया।
राहुल द्रविड़ के द्वारा कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी के सिर जब कप्तानी का ताज बंधा तो किसी को ये उम्मीद नहीं थी, टीम इंडिया दुनिया में बहुत शक्तिशाली टीम बनेगी। 2007 में युवा खिलाड़ियों से सजी धोनी की टीम इंडिया ने जब टी -20 वर्ल्ड कप अपने नाम किया था तो क्रिकेट के करोड़ों भारतीय प्रशंसकों को उम्मीद थी कि आने वाले दिनों में टीम इंडिया जीत की गौरव गाथा इतिहास के पन्नों में लिखेगी, लेकिन उन प्रशंसकों को धोनी और उनकी टीम ने निराश नहीं किया। टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद धोनी की अगुवाई में 2011 में भारत की सरजमीं पर वन डे विश्व कप अपने नाम कर 1983 के विश्व कप की यादों को ताजा कर दिया। 2010 का एशिया कप भी भारत ने धोनी की कप्तानी मे ही जीता। धोनी टीम इंडिया के अब तक के सबसे सफल कप्तान रहे। उनकी अगुवाई मे टीम इंडिया की जीत का ग्राफ सातवें आसमान पर न केवल गया बल्कि युवा खिलाड़ियों को टीम में आने के पर्याप्त मौके भी मिले। युवा जोश से भरी टीम इंडिया में धोनी की अगुवाई में नए जोश का एक तरह से संचार कर दिया और शायद यही वजह एक दौर मे धोनी इन्हीं खिलाडियों के बूते नई टेस्ट टीम भी बनाना चाहते थे। पिछले कुछ समय से टीम इंडिया में धोनी को लेकर सवाल उठने लगे थे। यकीन जान लें अगर आप अच्छा करते हैं तो सभी आपकी पुरानी कमियां छिप जाती हैं। असल में भारतीय क्रिकेट के सुपर कप्तान धोनी के साथ भी यही हो रहा था। पिछले कुछ समय से वह अपनी घरेलू पिचों पर बेअसर साबित हो रहे थे। बढ़ती उम्र जहां इस दौर में धोनी की सबसे बढ़ी मुश्किल बन गई थी, वहीं युवा खिलाड़ी अपने को टीम में इस दौर में साबित कर दे रहे थे, जिसके चलते सीनियर खिलाड़ियों के लिए टीम में जगह बनाना इतना आसान नहीं था।
2012 धोनी के लिए सबसे अपशकुनी रहा। बीते दौर में जहां कई सीनियर खिलाडियों ने क्रिकेट को अलविदा कहा वहीं चार महत्वपूर्ण सीरीज टीम इंडिया ने गंवाई। पाकिस्तान के साथ सीरीज में हार से पहले इंग्लैंड के हाथों हम बुरी तरह पिट चुके थे तो टी 20 वर्ल्ड कप में करारी हार से लेकर एशिया कप और सीबी सीरीज में हर जगह धोनी की इस टीम की भदद ही पिटी, जबकि 2011 में पहले विश्व चैम्पियन हम बने थे। इसके बाद 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्राफी का खिताब भी भारतीय टीम ने अपने नाम किया तो धोनी की कप्तानी की अहम भूमिका रही। 2016 के एशिया कप को फिर से एक बार जीतकर धोनी ने अपनी कप्तानी मे चार चांद लगाए। अपनी कप्तानी मे धोनी ने तीन बार चेन्नई सुपर किंग को आईपीएल जिताया। यही नहीं धोनी अब तक के भारत के सबसे सफलतम विकेट कीपर बल्लेबाज भी रहे हैं। टेस्ट मैचों मे 294 , वन डे में 434, टी 20 में 87 खिलाड़ियों को उन्होनें विकेट के पीछे निशाना बनाया है। आस्ट्रेलिया जैसी दुनिया की शक्तिशाली टीम को 2016 में धोनी ने उसी के घर तीन टी 20 सीरीज मे पराजित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया।धोनी का ट्रैक रिकॉर्ड भी बेहद शानदार रहा है। उन्होने भारत के लिए 350 एक दिवसीय मैच , 90 टेस्ट और 98 टी 20 मैच खेले। एकदिवसीय मुकाबले में खुद को एक बेहतर खिलाड़ी के तौर पर हमेशा साबित किया। अपनी कप्तानी में 332 में से 178 एकदिवसीय, टेस्ट और टी 20 मुकाबले भारत को जिताए। धोनी ने 200 एकदिवसीय मैचों मे से 110 और 60 टेस्ट मैचों मे से 27 टेस्टों मे जीत का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया है। 72 टी 20 मे से 41 में जीत का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम दर्ज है। मिस्टर कूल कप्तान कहे जाने वाले धोनी का हेलीकाप्टर शॉट सबसे मशहूर रहा है। बतौर कप्तान उन्होंने अब तक 211 छक्कों का कीर्तिमान अपने नाम किया है।
मध्यम क्रम मे बल्लेबाजी करते हुए उन्होने 10773 रन पचास की औसत से बनाए। टेस्ट क्रिकेट मे भी उनकी औसत 38 के आस पास रही और 4876 रन बनाए और भारत को 27 टेस्टों मे भी विजय दिलाई। धोनी ने पाक के खिलाफ वन डे और टेस्ट मे अपना पहला शतक 2006 में जमाया। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में सबसे अधिक रन बनाए। धोनी को टीम इंडिया का बेहतरीन फिनिशर भी कहा जाता है। छह से सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने जब भी वो आए अगर अंत तक विकेट पर टिक गए तो मैच जीत ही जाती थी।