Friday, January 24, 2025
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कृषि बिल का विरोध: भाकियू आज सड़क पर

लंबे समय बाद भाकियू फिर से पूरे तेवर में नजर आ रही है। भाकियू की दो वर्ष पहले क्रांति पदयात्रा निकाली गयी थी। क्रांतियात्रा हरिद्वार से आरंभ होकर दिल्ली तक पहुंची थी। बाद में भाकियू के आंदोलन को दिल्ली स्थित यूपी गेट पर पुलिस ने रोक दिया था,तब भाकियू के आंदोलन में किसानों की भीड़ जुटी थी। यहां पर किसानों को दिल्ली पुलिस ने राजघाट जाने से रोक दिया था। पुलिस ने किसानों पर फायरिंग कर दी थी,जिसमें करीब सैकड़ों किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ट्रैक्टरों में भी आग लगा दी गई थी, मगर किसान फिर भी पुलिस से मोर्चा लेते रहे थे। इस आंदोलन के बाद फिर से भाकियू आक्रोशित और मुखर है। इस बार मुद्दा कृषि बिल के विरोध का है। किसानों के लिए भी करो या मरो की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि कृषि बिल को लेकर जिस तरह से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैट ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है,वह सीधे-सीधे केन्द्र व यूपी सरकार से टकराव बनता है। अब देखना यह है कि कृषि बिल के खिलाफ भाकियू का यह आंदोलन कितना कामयाब होता है। क्योंकि पूरी यूपी ही नहीं,बल्कि देश भर में कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन का बिगूल फूंक दिया गया है।

 

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कृषि बिल के खिलाफ भाकियू आक्रामक है। भाकियू शुक्रवार को तमाम हाइवे जाम करेगी, ऐसी रणनीति भाकियू नेताओं ने तैयार की है। भाकियू ने इस बार कृषि बिल को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। भाकियू के आंदोलन को लेकर प्रशासन को पसीने छूट रहे हैं। कौन-कहां पर भाकियू नेता रहेगा, इसके लिए भी अलग-अलग कमान सौंपी गई है। चक्का-जाम के ऐलान से पुलिस-प्रशासन की भी नींद उड़ी हुई है। ऐसी स्थिति में पुलिस के साथ किसानों का टकराव भी बन सकता है।

हालांकि हाइवे जाम नहीं हो, इसकी तैयारी पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने भी की है। चक्का जाम से सड़क पर दौड़ने वालों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि भाकियू नेताओं ने ऐलान किया है कि चक्का जाम का मतलब है एक भी वाहन को नहीं निकलने दिया जाएगा। सिर्फ एम्बुलेंस और मरीज, सैनिकों की गाड़ी, परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रा, अंतिम शवयात्रा वाहन, बरात की गाड़ियों को लाने-ले जाने में छूट रहेगी, बाकी वाहनों को नहीं निकलने दिया जाएगा।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी नरेश टिकैत ने कृषि बिल के खिलाफ 25 को यूपी में कर्फ्यू का ऐलान किया था। उनके इस ऐलान को लेकर भाकियू नेताओं ने गुरुवार को भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी के आवास पर एक मीटिंग की, जिसमें भाकियू नेताओं को चक्का जाम की रूपरेखा के बारे में बताया गया। इसमें किसान हाइवे जाम करेंगे। ऐसा निर्णय लिया गया है। मेरठ-करनाल हाइवे पर नानू गंगनहर पुल पर जाम लगाया जाएगा।

इसके अलावा छुर, करनावल, दबथुवा, दौराला अलग-अलग पंचायत की, जिसमें लोगों से हाइवे पर जाम के अभियान में शामिल हो। दौराला एनएच-58 हाइवे, जिटौली, परतापुर, मवाना, जानी, परीक्षितगढ़ रोड पर स्थित यादनागर पुलिस चौकी के पास जाम लगाया जाएगा। दौराला में रविन्द्र दौरालिया, संजय दौरालिया समेत उनकी पूरी टीम आंदोलन की कमान संभालेगी।

नानू गंगनहर पर भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी, राजकुमार करनावल समेत तमाम भाकियू नेता आंदोलन की अगुवाई करेंगे। मवाना समेत कई कस्बों में भी चक्का जाम किया जाएगा। भाकियू का यह आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक होगा। इसमें कहीं भी किसी भी भाकियू कार्यकर्ता लाठी-डंडे लेकर भी आंदोलन में नहीं जाएंगे।

ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़कों पर खड़ी कर जाम लगाया जाएगा। इस तरह से आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा। आंदोलन सुबह 11 बजे आरंभ होगा तथा दोपहर तीन बजे तक चलेगा। इसके बाद चक्का जाम खोल दिया जाएगा। चार घंटे तक जनपद मुख्यालय को जोड़ने वाले तमाम हाइवे बंद रहेंगे।

कृषि बिल किसान हित में विपक्ष कर रहा गुमराह

कृषि अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कृषि सुधार विधेयक किसान हित में लिया गया मोदी सरकार का क्रांतिकारी कदम है। कांग्रेस ने देश के किसानों को कानून के बन्धनों में जकड़ कर रखा था। आज किसान हित में निर्णय लिया गया है तो कांग्रेस किसानों को गुमराह कर रही है।

वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कृषि मंत्री ने कहा कि सत्ता से दूर होते ही कांग्रेस ने सदैव देश को गुमराह करने का काम किया है। 2013 में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस शासित 12 राज्यों में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर करेंगे, आज कांग्रेस एपीएमसी ऐक्ट में बदलाव का विरोध कर दोहरा चरित्र दिखा रही है। उन्होंने कहा 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने एपीएमसी ऐक्ट को हटाने की बात कही थी।

कांग्रेस और अन्य विरोधी दल देश के किसानों को गुमराह कर भड़काने की कोशिश कर रहे हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी की व्यवस्था खत्म करने की बात कर रहे हैं। शाही ने कहा कि 55 साल के शासन में कांग्रेस ने किसानों का एक बार कर्ज माफ किया, उसमें भी भारी घोटाला किया और किसानों तक लाभ नहीं पहुंचा।

जबकि मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि द्वारा किसानों को 92000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि द्वारा लाभ पहुंचाया पूरा पैसा किसानों के खाते में पहुंचा। शाही ने कहा कृषि सुधार विधेयक से किसान का मुनाफा बढ़ेगा, अन्नदाता सशक्त होंगे। किसानों के पास अपनी उपज को देश में कहीं भी बेचने के लिए नए अवसर मिलेंगे, उनका मुनाफा बढ़ेगा। कृषि क्षेत्र को आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद की व्यवस्था यथावत जारी रहेगी इस विधेयक के द्वारा किसानों को अपनी फसल के भंडारण और बिक्री की आजादी भी रहेगी बिचौलियों के चंगुल से किसान मुक्त हो जाएगा। प्रेसवार्ता का संचालन भाजपा पश्चिम क्षेत्र मीडिया प्रभारी गजेंद्र शर्मा ने किया। मेरठ महानगर के जिला अध्यक्ष मुकेश सिंघल महानगर के आईटी संयोजक प्रवीण अरोड़ा मौजूद थे।

विपक्षी दल बोले, किसानों के आंदोलन को पूर्ण समर्थन

कृषि बिल के खिलाफ भले ही भाकियू सड़क पर उतर रही है,मगर उसका समर्थन विपक्षी दल भी कर रहे हैं। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन किसानों के पक्ष में किया जा रहा है। इस आंदोलन के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगा। कृषि बिल किसानों के लिए उसे कुएं के समान है, जिसमें गिरने के बाद अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है। किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, इसलिए प्रत्येक दल के नेता ने इस आंदोलन का पूर्ण समर्थन किया है।

Shahid Manjur
पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर ने कहा कि समाजवादी पार्टी किसानों के साथ है। किसानों का बंद सफल होगा। क्योंकि प्रत्येक किसान की आस्था इस आंदोलन से जुड़ी हुई है।
भाकियू के इस आंदोलन का समाजवादी पार्टी पूर्ण समर्थन करती है। इस आंदोलन में उनके स्तर से किसानों का जो सहयोग होगा वो किया जाएगा। समाजवादी पार्टी किसानों व मजदूरों की पार्टी है। हमेशा से किसान की लड़ाई सपा लड़ती रही है और आगे भी लडेगी। इस आंदोलन से मैं पूरी तरह से सहमत हूं।

Munkad Ali
बसपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य बाबू मुनकाद अली ने कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी है। इसके बारे में बसपा सुप्रीमो बहन मायावती ट्यूट कर चुकी हैं। किसानों के इस आंदोलन से वो पूरी तरह सहमत है तथा बसपा किसानों के साथ है। फिलहाल बसपा का कोई आंदोलन तो नहीं है, मगर बसपा सुप्रीमो मायावती के दिशा निर्देश के बाद आंदोलन होगा या फिर नहीं, उसकी भी रणनीति बनाई जाएगी। बाबू मुनकाद अली ने कहा कि कृषि बिल किसान के लिए काला दिन है।

Rahul Dev
रालोद जिलाध्यक्ष राहुल देव ने कहा कि कृषि बिल के खिलाफ किसानों के इस आंदोलन को रालोद पूरा समर्थन करेगा। किसानों के इस कदम से कदम मिलाकर चलेगा। रालोद ने भी आंदोलन का प्लान बनाया है, जिसके बाद किसानों की इस कृषि बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। कृषि बिल किसानों को खत्म करने वाला है। भाकियू के इस आंदोलन में रालोद भी सहयोग करेगा। किसानों की बात उठाने वाला संसद में नहीं रहा है।

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