- 72 घंटे की हड़ताल 66 घंटे बाद समाप्त, वापस काम पर लौटे विद्युत कर्मी
- लाइनों में आए फाल्टों और बिजलीघरों के फाल्ट ठीक करने की प्रक्रिया शुरू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी सिस्टम ऊर्जा कर्मियों की हड़ताल के सामने इतना कमजोर साबित होगा, यह कल्पना भी नहीं की थी। दरअसल, परेशानी के 66 घंटों ने जनता को रूला दिया। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में ब्लैक आउट की स्थिति बनी रही। 100 से ज्यादा बिजली घर ब्रेकडाउन रहे। इस सत्यता से प्रशासन भी रूबरू हुआ, लेकिन जो मजिस्ट्रेट व्यवस्था संभालने में लगाये गए थे, वो भी हाथ खड़े कर गए। मजिस्ट्रेट के फोन घनघनाते रहे, लेकिन मजिस्टेÑट भी इतने परेशान हो गए कि फोन ही उठाने बंद कर दिये।
जिधर देखों, उधर से ये ही खबर आ रही थी बिजली घर का ब्रेकडाउन हो गया हैं, ठीक करा दो। आखिर कमान डीएम दीपक मीणा और एसएसपी रोहित सजवाण ने संभाली तो उसके बाद जो फीडर ब्रेकडाउन में थे, उनको फाल्ट दूर कराकर चलवाया भी गया, लेकिन कितने बिजली घर ठीक कराते, ज्यादातर खराब ही पड़े थे। हालात विकट थी। इस तरह की समस्या पहले कभी पैदा नहीं हुई। एमडी पावर भी 66 घंटे तक टेंशन में रही। क्योंकि उनके आदेश का पालन संविदा कर्मी भी नहीं कर रहे थे। स्थिति भयावह थी।
बिजली सुबह खराब हुई तो पूरी रात नहीं आयी। अगला दिन भी ऐसे ही गुजर गया। औद्योगिम फीडर बागपत रोड स्थित विश्वकर्मा के हालात विकट थे। यहां पर पन्द्रह घंटे तक विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर हालात बिगड़ गए। लोगों का गुस्सा फूट गया तथा लोगों की भीड़ रविवार को बिजलीघर पर पहुंच गई और हंगामा खड़ा कर दिया। बात मारपीट तक हो सकती थी, लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसी तरह से स्थिति को संभाला। प्रदर्शन करने वाले पांचली के लोग थे, उनका फीडर ब्रेकडाउन था। इस पर पांच गांव जुड़े हुए थे।
औद्योगिक क्षेत्र के फीडर की इस दशा से देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर कैसे हालात रहे होंगे। ये अकेले ऐसे हालात विश्वकर्मा बिजली घर के ही नहीं थे, बल्कि शताब्दीनगर, लोहिया नगर, मोदीपुरम, कैंट के ईएमईएस बिजली घर पर तो हालात और भी विकट थे। वहां भी कैंट क्षेत्र का एक फीडर ब्रेकडाउन में दो दिन तक रहा। रात-दिन लोगों के कैसे बीते होंगे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं। गुरुवार रात 10 बजे से पूरे प्रदेश में विद्युतकर्मी अपनी मांगों को लेकर 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर चले गए थे।
इसका असर मेरठ समेत पूरे प्रदेश में नजर आया। शनिवार को आई जबरदस्त बरसात ने हालात और बिगाड़ दिए। इससे मेरठ के देहात व शहरी इलाकों में बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी। रविवार को लखनऊ में संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक व ऊर्जा मंत्री के बीच हुई वार्ता के बाद हड़ताल 66 घंटे बाद वापस ले ली गई। रविवार को संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दूबे व ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के बीच लखनऊ में तीसरे चरण की वार्ता हुई।
जिसमें ऊर्जा मंत्री ने विद्युत कर्मियों के संगठन संयुक्त संघर्ष समिति व उसके अन्य घटक दलों की सभी मांगों को मानने का आश्वासन दिया। जिसके बाद प्रदेश में चल रही 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल वापस ले ली गई। सभी विद्युतकर्मी पहले की तरह अपने काम पर लौट आए। सबसे पहले उन इलाकों के फाल्ट ठीक किए गए। जिनमें बिजली न आने की वजह से जनता पानी को भी तरस गई थी।
विद्युत आपूर्ति ठप होने से चारों ओर मचा हाहाकार
सरधना: विद्युतकर्मियों की हड़ताल से बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। बिजली नहीं आने के कारण लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। लोग पीने के पानी के लिए भी तरस गए हैं। सबसे बड़ा संकट डेयरी संचालकों के सामने खड़ा हो गया है। सैकड़ों डेयरी में बंधे पशु प्यास से कर्राह रहे हैं। तीसरे दिन भी क्षेत्र के लोगों को बिजली नहीं मिल सकी। विद्युतकर्मियों की हड़ताल क्षेत्र की जनता पर भारी पड़ रही है। हड़ताल के चलते विद्युत आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है।
हालत यह है कि लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग तो जैसे तैसे अपने लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। मगर पशुओं के लिए सबसे बड़ा संकट खड़ा है। क्योंकि सरधना क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में बड़ी डेयरी बनी हुई हैं। जिनमें एक लाख से अधिक पशु बंधे हुए हैं। क्योंकि पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था सबमर्सिबल से होती है।
बिजली नहीं आने के कारण सबमर्सिबल किसी काम के नहीं हैं। यहां तक की किराए पर जनरेटर तक नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में डेयरी संचालकों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। पशु पानी के लिए कर्राह रहे हैं। यही हाल रहा तो डेयरियों में मवेशी प्यासे मरने शुरू हो जाएंगे। तीसरे दिन रविवार को भी लोगों को बिजली नसीब नहीं हो सकी।
बिजली, पानी को तरसे लोग, जनरेटर का लिया सहारा
खरखौदा: प्रदेश में विद्युत कर्मियों की हड़ताल के चलते क्षेत्र के लोग बिजली के साथ पानी को भी तरस गए। लोगों के मोबाइल फोन भी डाउन हो गए और इधर-उधर चार्ज के लिए भटकते नजर आए। वहीं लोहिया नगर स्थित इलेक्ट्रिक बसों डिपो पर लगे ट्रांसफार्मर में फाल्ट होने से बसों का संचालन भी ठप हो गया। कस्बे में 36 घंटे से बिजली न आने तथा नगर वासियों के लिए पेयजल के लिए नगर स्थित ट्यूबवेल की मोटर फूंकने से यहां के लोग बिजली के साथ दो दिनों से पानी को भी तरस गए।
वहीं बिजली न आने से लोगों ने जनरेटर का सहारा लेना पड़ा। करीब 20 इलेक्ट्रिक बसों के पहिए भी थम गए। लोहिया नगर से विभिन्न मार्गों के लिए संचालित 20 इलेक्ट्रिक बसें भी विद्युत लाइन में फाल्ट आने के कारण डिपो में खड़ी हैं। जिससे डिपो को लाखों रुपये का नुकसान हो गया। वहीं, डिपो पर तैनात सुंदर सिंह ने बताया कि लाइन में फाल्ट आने से विद्युत आपूर्ति बंद हो गई और बसों की बैट्री चार्ज नहीं हो सकी। जिससे बसों का संचालन बंद हो गया।