जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आज मंगलवार को शेयर बाजार धोखाधड़ी केस में बॉम्बे हाईकोर्ट(Bombay High Court) ने सेबी (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि, माधबी बुच और पांच अन्य लोगों ने कथित धोखाधड़ी के लिए उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए बॉम्बे उच्चन्यायालय का रूख लिया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि, वह याचिकाओं पर 4 मार्च को सुनवाई करेगा। एसीबी से तब तक विशेष अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं करने को कहा गया था।
बता दें कि, इससे पहले मुंबई की एक विशेष कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के आरोप में पूर्व सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।
जानें विशेष एसीबी अदालत ने क्या कहा था?
विशेष एसीबी अदालत के जज ने शनिवार को पारित आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा था कि वह जांच की निगरानी करेगा। मामले में 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
अदालत ने आदेश में यह भी कहा था कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच जरूरी है। आदेश में कहा गया था कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है।
इन लोगों पर थे एफआईआर के आदेश
माधबी बुच के अलावा जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) सुंदररामन राममूर्ति, इसके तत्कालीन चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल और सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।