Wednesday, April 30, 2025
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लावड़ नगर पंचायत के छोड़े गए ठेके में आई धांधली की ‘बू’

  • अपने ही नियम ताक पर रखकर नगर पंचायत ने छोड़ दिया ठेका

जनवाणी संवाददाता |

लावड़: नगर पंचायत लावड़ में छोड़े गए आउटसोर्सिंग टेंडर में धांधली की बू प्रकाश में आई है। नगर पंचायत द्वारा खुद ही नियमों और मानकों को ताक पर रखकर अनुभवहीन फर्म को टेंडर छोड़ दिया गया है। इस प्रकरण में मानवाधिकार एवं पर्यावरण सुरक्षा संगठन की अध्यक्षा ने सुविधा शुल्क लेकर टेंडर छोड़ने का नगर पंचायत के अधिकारियों पर आरोप लगाया है।

समाज सेवी द्वारा इस प्रकरण की शिकायत शासन से लेकर प्रशासन तक की है। जिसमें बुलंदशहर जिलाधिकारी का एक अनुभव प्रमाण पत्र दोनों फर्मो के प्रयोग से प्रथम दृष्टया में फर्जी होने की बात भी कही गई। समाजसेवी एडवोकट आरती मलिक द्वारा शासन में की गई शिकायत में अवगत कराया कि नगर पंचायत द्वारा आउट सोर्सिंग टेंडर का टेंडर 18 अगस्त को निकाला गया था।

जिसमें कुल 88 फर्म द्वारा आवेदन किया गया था। बताया गया कि नगर पंचायत द्वारा सभी फर्मो के आवेदनों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद दो फर्म को तकनीकी रुप से स्वीकृति प्रदान कर दी। जिसमें मैसर्स एके ट्रेडर्स एवं मैसर्स जेके ट्रेडर्स शामिल है। टेंडर में नगर पंचायत द्वारा तीन वर्ष की रिटर्न और तीन वर्ष का टर्न ओवर सीए द्वारा प्रमाणित मांगा गया था, लेकिन इन दोनों फर्मो के द्वारा कोई भी कागज इस तरह का मुहैय्या नही कराया गया।

उसके बाद भी नगर पंचायत द्वारा जो मानक और नियम बनाए गए थे। उन सभी नियमों को खुद नगर पंचायत द्वारा ताक पर रख दिया गया और एके ट्रेडर्स फर्म को टेंडर छोड़ दिया गया। जबकि एके ट्रेडर्स फर्म का रजिस्ट्रेशन 25 अप्रैल 2022 का है। ऐसी स्थिति में फर्म द्वारा लगाया गया अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी होने का आरोप लगाया है। उधर दूसरी फर्म जे के ट्रेडर्स के द्वारा भी उक्त अनुभव प्रमाण पत्र भी लगाए हैं।

इस फर्म की जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर द्वारा जारी की गई हैसियत प्रमाण पत्र 10 फरवरी 2022 को समाप्त हो चुकी है। इसके बावजूद भी अधिशासी अधिकारी द्वारा किस आधार पर तकनीकी रूप से स्वीकृति प्रदान कर दी। इस पूरे प्रकरण की समाज सेवी ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, अपर सचिव, नगर विकास मंत्री, सीबीआई और कमिश्नर और डीएम से की है।

वहीं इस संबंध में नगर पंचायत के ईओ सुधीर सिंह से वार्ता करने के लिए फोन मिलाया गया तो उनके फोन पर घंटी जाती रही, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उधर, एडवोकेट अध्यक्षा आरती मलिक का कहना है कि नगर पंचायत के अधिकारियों द्वारा खुद के ही नियमों को अनदेखी कर अनुभवी हीन फर्म को रिश्वत लेकर टेंडर छोड़ा गया है। इसकी शिकायत शासन और प्रशासन में कर दी गई है। सोमवार को कोर्ट में भी वाद दायर किया जाएगा।

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