Wednesday, January 8, 2025
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ऑनलाइन गेम्स का फलता फूलता बाजार

Samvad


DR LALIT KUMARआईपीएल-16 का रोमांचक दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है साथ ही साथ आईपीएल मैच में विज्ञापनों का खेल भी जबरदस्त हर साल एक नए फॉर्मेट में बनकर उभर सामने आ रहा है। कोरोना काल में हमने देखा कि जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में आ चुकी थी, तब भी आईपीएल जैसा खेल बंद नहीं किया जा सका, क्योंकि अरबों का मुनाफा देने वाला यह खेल अगर कोराना काल में बंद हो जाता तो उद्योगपतियों के पसीने छूट सकते थे। इसलिए उन्होंने आईपीएल को भारत से बाहर अरब देशों में कराना मुनासिब समझा। कोरोना में क्रिकेट प्रेमियों का समय सबसे ज्यादा आईपीएल देखकर ही कटा। इसी का फायदा उठाकर विज्ञापन कंपनियां ने समय के मुताबिक जनता को विज्ञापनों का कंटेंट तैयार उन्हें परसोना शुरू कर दिया था।

जिसमें ऑनलाइन एजुकेशन से लेकर ऑनलाइन पेमेंट तक के विज्ञापनों को हमने आईपीएल मैच के दौरान बड़ी तेजी से दर्शकों के बीच पैठ बनाते देखा। साथ ही साथ विज्ञापन कंपनियों के ये विज्ञापन देश की जनता के बीच एक ब्रांड के रूप में स्थापित होते चले गए।

कोरोना काल से पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आने वाले विज्ञापनों का बाजार भले ही कुछ खास न रहा हो, लेकिन ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके लिए एक संजीवनी बनकर उभरा, जो आज तक निरंतर जारी है।

ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल ने आईपीएल-2023 पर एक बड़ी रिपोर्ट तैयार करते हुए बताया है कि इस साल का आईपीएल मैच कुछ अनोखा खेला जा रहा है। अनोखा इस रूप में क्योंकि यह आईपीएल सीधे टीवी विज्ञापनों के लिए खतरा पैदा कर रहा है। आईपीएल-2023 के कारण टीवी विज्ञापनदाताओं की संख्या में 42 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

यह आंकड़े टीवी के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार आईपीएल ने कुल 47 विज्ञापनदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है, जबकि यह आंकड़ा पिछले साल 81 था। इस साल आईपीएल पर कुल 37 कैटेगरी ने टीवी पर विज्ञापन दिए, जिस कारण टीवी पर 35 फीसदी की गिरावट देखी गई, जबकि पिछले सीजन में यह 57 कैटेगरी में बांटे गए थे।

टीवी पर विज्ञापन देने वाले ब्रांड्स की संख्या में भी भारी गिरावट देखी गई है। इस साल आईपीएल में 86 ब्रांड ही शामिल किए गए हैं, जबकि 2022 में इनकी संख्या 136 थी, जिसमें लगभग 36 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई है। आईपीएल-2022 में ऑनलाइन क्रेडिट, पेटीएम, स्विगी और ब्य्जू जैसे ब्रांड्स का बोलबाला था, तो वहीं ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां इस बार आईपीएल में पैसा पानी की तरह बहा रहा हैं।

साथ ही साथ ये कंपनिया आम दर्शकों के दिमाग में एक ऐसा कंटेंट भर रही है, जोकि उनकी समझ से एकदम परे है। वायकॉम18 जियो सिनेमा ऐप पर मुफ्त में आईपीएल स्ट्रीमिंग कर रहा है। वायकॉम18 ने ड्रीम एलेवेन को को-प्रजेंटिंग स्पॉन्सर के रूप में अपने साथ जोड़ा है।

ड्रीम एलेवेन ऑनलाइन गेम का विज्ञापन भले ही मोबाइल यूजर्स में एक रोचकता पैदा कर रहा हो लेकिन, मोबाइल यूजर्स धड़ल्ले से इस एप्स को डाउनलोड करके जीतो ‘धन धना धन’ जैसे टैगलाइन भी उनको खूब लुभा रहे हैं। इसी तरह वर्ष 2020-21 में ऑनलाइन पेटीएम विज्ञापन ने जनता को लालच दिखाकर खूब पैसा कमाया। ठीक वैसे ही ये ऑनलाइन गेमिंग विज्ञापन भी लोगों के दिमाग में घर रहे हैं।

यही कारण है कि आईपीएल-16 में ऑनलाइन गेम्स का विज्ञापन पहले नंबर पर बना है, तो वहीं पान मसाला दूसरे नंबर पर बना हुआ है। इस बार के आईपीएल में 14 नई श्रेणियों में 53 नई ब्रांड का विज्ञापन दिखाया जा रहा है, जिनमें विवो17, थम्स अप और सियाराम सूटिंग जैसे तीसरे, चौथे और पांचवें नंबर के विज्ञापन बने हुए हैं।

मार्केट के जानकारों का मानना है कि अभी आने वाले दिनों में आईपीएल मैच में इस तरह के विज्ञापनों की रफ्तार और तेजी से बढ़ने वाली है। टीवी एड रेवेन्यू के बड़े हिस्से पर डिजिटल ने कब्जा कर लिया है।

125 से अधिक विज्ञापनदाताओं ने टीवी की अनेदखी कर, डिजिटल एडवरटाइजिंग के लिए वायकॉम-18 से समझौते कर लिए हैं। उनमें में अमेजन, फोनपे, सैमसंग, जियोमार्ट, यूबी, टीवीएस, कैस्ट्रोल, ईटी मनी, प्यूमा, आजियो जैसी कंपनियां शामिल हैं। टीवी पर एडवरटाइजर कम हो रहे हैं, जाहिर है इसका सीधा असर टीवी ब्रॉडकास्टर के रेवेन्यू पर भी पड़ेगा। आईपीएल के रेवेन्यू के पूरे आंकड़े आने में अभी वक्त है, आईपीएल जैसे जैसे आगे बढ़ेगा तस्वीर और साफ होती जाएगी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ऑनलाइन जुआ खेलते हैं। अगर भारत में आॅनलाइन गेमिंग का बाजार ऐसे ही फलता फूलता रहा तो आने वाले कुछ दिनों में हम इंग्लैंड को पीछे छोड़ देंगे। ऑनलाइन गेमिंग पूरी तरह से वर्चुअल मोड़ पर खेले जाने वाला एक खेल है।

इनमें पोकर गेम, स्पोर्ट्स गेम, कैसीनो गेम और अब ड्रीम एलेवेन जैसा आॅनलाइन गेम इनमें शामिल हो चुका है। देश में ऑनलाइन गेम का कारोबार वर्ष 2016 में 53.3 करोड डॉलर का था। पिछले सात वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर तीन अरब डॉलर से ज्यादा तक जा पहुंचा है।

अब एक बड़ा सवाल यही उठता है कि भारतीय कानून के दायरे में यह गेम कैसे वैध बने हुए है? देश में इस समय ऑनलाइन गेमिंग का धंधा इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि देश में 900 से ज्यादा ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां आईपीएल-16 में विज्ञापन देकर पहले नंबर पर बनी हुई हैं।

सरकार ने कहा है कि ये सारे खेल ऑनलाइन सट्टेबाजी का एक अवैध कारोबार है, जो कंपनियां इस तरह के विज्ञापनों को बढ़ावा देने में लगी है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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