- विजिलेंस की टीम ने की कार्रवाई, आरोपी नरेंद्र कुमार पाल को 77 हजार की घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा
- ठेकेदार का आरोप बिल पास कराने के बदले मांगी थी रिश्वत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी विभागों में जिम्मेदारी वाले पदों पर तैनात अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। आए दिन एंटी करप्शन और विजिलेंस ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को जेल भेज रही है। शनिवार को विजिलेंस की टीम ने एक ठेकेदार की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए परतापुर क्षेत्र में वन निगम के डीएलएम को 77 हजार की घूस लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। विजिलेंस की इस कार्रवाई से वन निगम में हड़कंप मचा हुआ है।
किठौर निवासी जब्बार अहमद वन विभाग में ठेकेदारी करते हैं। जब्बार का कहना है कि वह वन निगम से ठेके लेकर पेड़ों की कटाई का काम करते हैं। जब्बार का आरोप है कि उनका बिल पास करने के बदले में वन निगम में डीएलएम के पद पर तैनात नरेंद्र कुमार पाल उनसे 77 हजार की मांग कर रहे थे। जब्बार ने कुछ दिन पहले विजिलेंस विभाग में अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
विजिलेंस के अधिकारियों ने सीएम आॅफिस से कार्रवाई के लिए अनुमति लेकर शनिवार को डीएलएम को पकड़ने का जाल बिछाया। जिसके बाद जब्बार 77 हजार रुपये लेकर शताब्दी नगर स्थित वन विभाग के आॅफिस पहुंचे। जहां विजिलेंस की एसपी और सीओ दीपक त्यागी की टीम ने डीएलएम नरेंद्र कुमार पाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ धर दबोचा।
जागृति विहार निवासी नरेंद्र कुमार को परतापुर पुलिस के हवाले करते हुए वन निगम की टीम ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, जब्बार ने आरोप लगाया कि डीएलएम नरेंद्र कुमार और अकाउंटेंट अनिल दोनों मिलकर ठेकेदारों के बिल पास करने पर कमीशन मांगते हैं। हर बिल पर 20 प्रतिशत कमीशन तय किया है। कमीशन न दें तो बिल पास नहीं करते। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि उसने गढ़-मेरठ चौड़ीकरण मार्ग पर काम किया था।
काम कराए साढ़े चार महीने लगभग हो चुके हैं, लेकिन बिल पास नहीं हुआ। इस बीच उसने कई बार डीएलएम से बात कर गुहार लगाई कि भुगतान करा दें। अकाउंटेंट अनिल अब भी फरार है। जब्बार ने कहा कि मेरा लगभग तीन लाख 70 हजार के बिल बने हुए हैं।
डीएलएम ने उसे पास करने के लिए 77 हजार रुपये कमीशन बताया है। इसमें 20 हजार रुपये अकाउंटेंट अनिल को देना था। बाकी पैसा डीएलएम को देना था। दोनों लोग बार-बार फोन करके कमीशन की मांग कर रहे थे। डीएलएम ने मांग की 20 प्रतिशत कमीशन एडवांस देना होगा।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी
सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लाख सरकार जीरो टालरेंस की बात करें, लेकिन बिना पैसा दिये काम नहीं हो रहा है। विभिन्न विभागों में बाबू और अधिकारी आए दिन एंटी करप्शन और विजिलेंस के हाथों गिरफ्तार होकर जेल की हवा खा रहे हैं। इस समय जिला कारागार की बैरक नंबर-1ए में भ्रष्ट अधिकारियों की तादाद ज्यादा है।
एंटी करप्शन की टीम ने आबकारी विभाग के बाबू राजकुमार सिंह को पांच की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
अपने ही विभाग के आरक्षी सुरेश कुमार से चिकित्सापूर्ति के कागजात पूरे करने के नाम पर पांच हजार रुपये की रिश्वत ली थी। बताया गया कि बाबू राजकुमार सिंह ने एक हजार रुपये दो दिन पहले लिए थे। बाद में एंटी करप्शन से उसे पकड़वा दिया। हेड कांस्टेबल सुरेश कुमार ने एंटी करप्शन विभाग में मामले की शिकायत की थी। एंटी करप्शन की टीम ने आज छापेमारी की। टीम ने 5000 की रिश्वत लेते हुए नगर निगम के राजस्व इंस्पेक्टर नवल को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
वहीं, अचानक हुई इस कार्रवाई से नगर निगम दफ्तर में हड़कंप मच गया। गिरफ्तार आरोपी को एंटी करप्शन की टीम ने गंगानगर थाने के सुपुर्द कर दिया। आरटीओ के बाबू को रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन की टीम ने पकड़ लिया था। रजिस्ट्रेशन के नाम पर ई-रिक्शा के डिस्ट्रीब्यूटर पर दबाव बना रहा था। लिसाड़ी गेट के अहमदनगर निवासी अफजाल पर बादशाह कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप है।
उन्होंने बताया कि आरटीओ के बाबू मुंशीलाल उन पर दबाव बना रहे थे। गाजियाबाद जिले के मोदीनगर निवासी समीर की पत्नी ने कोर्ट के जरिए दहेज उत्पीड़न, रेप, सहित कई अन्य गंभीर धाराओं में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें दारोगा अमृता यादव ने समीर से एक लाख रुपये की मांग की थी। समीर ने दारोगा की शिकायत एंटी करप्शन में की थी। एंटी करप्शन ने दारोगा को रंगे हाथों पकड़ लिया था। फाइल अटका रखी थी।