Wednesday, January 15, 2025
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बजट 50 लाख, फिर भी उजडे जीवों के रहवास

  • प्रतिवर्ष जंगली जीवों के रहवास पर लगता है कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेला
  • जानकारी के बाद भी विभागीय अधिकारी साधे हुए हैं मौन

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: मखदूमपुर गंगा घाट पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले गंगा मेले का बजट बेशक लाखों में हो, लेकिन आस्था के इस मेले में रक्षक ही भक्षक का काम करते हैं। जिसके चलते टाटा टाइफा घास के कटान से हजारों बेजुबान जानवर बेघर हो जाते हैं।

बिजनौर बैराज से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक 2073 वर्ग किलोमीटर में फैलने वाले वन आरक्षित जंगल में दुर्लभ प्रजाति के राष्ट्रीय पक्षी मोर, सांभर, पहाड़ा, बारहसिंघा, हिरन, नीलगाय, तेंदुए, खरगोश, जंगली सुकर आदि के आवास है। जिसके कारण वन क्षेत्र में घास और वृक्षों का कटान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है, लेकिन प्रतिवर्ष कुछ वन माफिया वन कर्मचारियों से मिलीभगत कर वन क्षेत्र में होने वाली

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प्रतिबंधित टाटा टाइफा घास का कटान कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले गंगा मेले के दौरान प्रतिवर्ष वन जंगल से करते आ रहे हैं। जिसकी शिकायत आसपास के ग्रामीणों सहित वन प्रेमी आला अधिकारियों से सैकड़ों बार कर चुके हैं, लेकिन माफियाओं की वन कर्मियों पर पकड़ होने के चलते वन कर्मचारी लगातार टाटा टाइफा घास का कटान खुलेआम किया जाता है।

जंगली जीवों के साथ आए दिन होते हैं हादसे

वन जंगलों के हो रहे अंधाधुंध कटान के कारण कई बार जंगली जानवर रास्ता भटक कर वन से निकलकर आसपास के गांवों में आ जाते हैं। जिसके बाद जंगली जीव या तो ग्रामीणों का शिकार हो जाते हैं या फिर शिकारी कुत्ते का निवाला बन जाते हैं। यह हाल तब है, जब हाल ही में सड़क दुर्घटना में दो तेंदुए की मौत हो चुकी है।

टाटा घास से तैयारी की जा रही सड़क

वन आरक्षित क्षेत्र से होने वाली टाटा टाइफा घास जंगली सुकर, बाहरसिंगा आदि सहित कई दर्जनों जंगली जीवों के सहवास व चारागाह है, लेकिन वन विभाग की मिलीभगत के चलते शिकारी इन दुर्लभ प्रजातियों के जीवों को नष्ट करने में लगे हुए हैं।

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गंगा पर करोड़ों रुपये खर्च कर सरकार भी नमामि गंगे योजना के तहत घड़ियाल पुर्नवास योजना व कछुआ संरक्षण योजना विश्व प्राकृतिक निधि व वन विभाग को देखरेख में चल रही है।

पेपर मिलों में भी होती है टाटा घास की सप्लाई

इस संबंध में रेंजर रवि राणा का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान बनाई जा रही सड़कों में प्रयोग होने वाली घास का कटान जानकारी उन्हे नहीं है। जल्द ही जांच कर कटान करने और टाटा घास का प्रयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

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