- स्वच्छता की सूची में प्रदेश में दूसरे और देश में 15वां स्थान हासिल करने वाले शहर की सड़कें और साफ-सफाई बदतर स्थिति में
- नागरिकों की मूलभूत समस्याओं पर भी हो निगाहे-करम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मन की बात में कबाड़ से जुगाड़ के हवाले से पीएम नरेन्द्र मोदी की शाबासी और अब स्वच्छता के लिए तयशुदा मानक के अनुसार प्रदेश में दूसरा और देश में 15वां स्थान हासिल करने से नगर निगम अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर दोहरी खुशी नसीब हुई है। यह अलग बात है कि नगर क्षेत्र की अनेक समस्याएं आज भी नगर निगम के अधिकारियों की नजरे-इनायत का इंतजार कर रही हैं।
अभी बीते रविवार को पीएम नरेन्द्र मोदी ने नगर निगम के कबाड़ से जुगाड़ अभियान की चर्चा मन की बात के दौरान देश के सामने रखते हुए इससे प्रेरणा लेने का संदेश दिया था। इसी दौरान शनिवार को स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 के परिणाम में मेरठ नगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। देशभर की जारी रैंकिंग में 10 लाख से अधिक आबादी वाले 45 शहरों की सूची में मेरठ नगर निगम को 15वीं रैंक मिली है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जिन मानकों को आधार बनाकर स्वच्छ सर्वेक्षण किया जाता है, उसमें मेरठ नगर निगम ने बहुत तेजी के साथ छलांग लगाई है। जहां वर्ष 2019 में केन्द्र से 286 और राज्य से 219 वीं रैंक मिली, वहीं अगले साल यानी 2020 में यह रैंक केन्द्र में 41 और प्रदेश में सात रही। पिछले साल 2021 में केन्द्र से 21 और प्रदेश से छठा स्थान मिला।
इस बार 2022 की रैंकिंग सूची में मेरठ ने देश में 15वां और प्रदेश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले सात शहरों में दूसरा स्थान हासिल किया है। जबकि प्रदेश में पहला स्थान गाजियाबाद को मिला है। इसी के साथ मेरठ नगर निगम को जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) वन स्टार और ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) प्लस प्लस प्रमाणपत्र भी हासिल हुआ।
नगर निगम से महापौर सुनीता वर्मा और नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा ने फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी का पुरस्कार प्राप्त किया। नागरिक इस उपलब्धि के लिए नगर निगम परिवार को बधाई देते हुए अपनी मूलभूत समस्याएं याद दिलाने की कोशिश भी जारी रखे हुए हैं। इसी कड़ी में इन दिनों कमेला पुल के निर्माण से बाधित हुई जलनिकासी से कई वार्डों के लोग बुरी तरह प्रभावित हैं।
जगह जगह टूटी सड़कें और खुले हुए सीवर के गड्ढों से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जैसा कि कमेला रोड के टूटे हुए गड्ढों से लोग काफी चोटिल हो चुके है कुछ समय पहले कमेला रोड का कार्य समाप्त हुआ था लेकिन सीवर के गड्ढे सड़क से ऊंचे होकर बनाए गए थे जिसकी वजह से आए दिन हादसा होता रहता है सीवर के गड्ढे के ढक्कन न होने की वजह से ई-रिक्शा व अन्य वाहन गड्ढे की चपेट में आकर लुढ़क जाते हैं।
जाकिर कॉलोनी चौकी के पास पुल का निर्माण काफी समय से चल रहा है। जिसकी वजह से लोग भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। लोगों को आने जाने में दुश्वारी हो रही है। श्याम नगर की टूटी सड़कें समर गार्डन इस्लामाबाद में जलभराव क्षेत्रीय लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया है। बुनकरनगर, कांच का पुल समेत कई मोहल्ले स्थायी रूप से गंदे पानी और डेयरियों से निकलने वाले गोबर को नालियों में बहा दिए जाने के कारण परेशानी झेलने के लिए विवश हैं।
इन क्षेत्रों की समस्याओं को लेकर पार्षद अहसान अंसारी नगर आयुक्त की गाड़ी के सामने लेट चुके हैं। जबकि पार्षदों की ओर से नगर निगम कार्यालय में धरना-प्रदर्शन भी किया जा चुका है। पार्षद कय्यूम अंसारी और राशिद अंसारी बताते हैं कि इन समस्याओं को लेकर मौखिक और लिखित रूप से नगर निगम के अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।
लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्षेत्रवासी मोहम्मद जुनैद, शफीक अहमद, मोहम्मद हफीज आदि का कहना है कि इस क्षेत्र में जलभराव और गोबरयुक्त कीचड़ में गिरकर आए दिन दुपहिया वाहन चालक चोटिल होते रहते हैं। जिन्हें उठाकर उनका उपचार कराने का काम मोहल्ले के लोगों की दिनचर्या में शामिल हो चुका है।
समस्या का मुख्य कारण बना कमेला पुल का निर्माण
मेरठ: नेशनल हाइवे पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से मेरठ हापुड़ हाइवे 334 पर जनवरी में कमेला पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। 64 मीटर लंबे इस पुल के निर्माण के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया। बताया गया है कि निर्माण के लिए खुदाई के दौरान निर्माण इकाई ने ढवाईनगर नाले के पानी को डायवर्ट करने के लिए ह्यूमपाइप लगाए, लेकिन इसी दौरान नगर निगम के पम्पों की जलापूर्ति के लिए बिछाई गई लाइन सामने आ गई।
जिसकी वैकल्पिक व्यवस्था कराने तक काम को रोक देना पड़ा। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जल निगम ने इस काम को पूरा करने में करीब ढाई महीने का समय लगा दिया। इस बीच थोड़ा-थोड़ा करके निर्माण कार्य कराया जाता रहा, और कभी कांवड़ यात्रा तो कभी बरसात के बीच सितंबर माह आते-आते 64 में से करीब आधे पुल का निर्माण कर लिया गया।
मौजूदा स्थिति यह है कि ह्यूमपाइप फंचा करके लगाने के कारण नाले का पूरा पानी ढवाईनगर की ओर नहीं जा पा रहा है। जिससे कांच का पुल, अहमदनगर और श्यामनगर क्षेत्र के विभिन्न मोहल्लों में पानी भर जाना बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है।
कमेला पुल के शेष आधे भाग में इन दिनों तेजी से काम किया जा रहा है। आने वाले 15 दिनों में स्लैब डालने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सामान्य दिनों में स्लैब को सूखने के लिए 28 दिन का समय लिया जा सकता है। क्योंकि स्लैब की मोटाई 80 सेंटीमीटर रखी जाएगी। इस पुल का निर्माण और पैराफिट वॉल बनाने का कार्य नवम्बर के अंत अथवा दिसंबर के आरंभ तक पूर्ण कर लिया जाएगा। जिसके बाद इस क्षेत्र से लोगों की आवाजाही में होने वाली परेशानी का स्थायी रूप से समाधान हो सकेगा। वहीं ऊंचा करके डायवर्जन के लिए लगाए गए ह्यूमपाइप के स्थान पर पुल के नीचे से नाले के पानी की निकासी हो सकेगी, जिससे निचले इलाकों में होने वाली जलभराव की समस्या भी दूर हो सकेगी।
-तेज प्रताप सिंह, अवर अभियंता, एनएच पीडब्ल्यूडी गाजियाबाद खंडस्वच्छता अभियान के मानकों में नगर निगम ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसका परिणाम प्रदेश में दूसरी और देश में 15वीं रैंक के रूप में सामने है। अभी लोहियानगर में एक डंपिंग ग्राउंड है, जबकि जल्दी ही गावड़ी में दूसरा ग्राउंड शुरू किया जाने वाला है। नगर निगम ने सूखा कूड़ा बेचकर 15 लाख रुपये प्रतिमाह का आय का स्रोत बनाया है। इसके अलावा नौचंदी मैदान में तिरंगा द्वार के पास से कूड़ा डालने की व्यवस्था में परिवर्तन किया जा रहा है। आने वाले समय में महानगर के नागरिकों को सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा डाले जाने और कुछ इलाकों में जलभराव जैसे हालात से राहत मिलने की पूरी संभावना है।
-डा. हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम मेरठ