Saturday, April 20, 2024
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भ्रष्टाचार के 600 ट्रांसफार्मर फुंकते हैं प्रत्येक माह

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  • ऊर्जा निगम के आला अफसरों की भूमिका पर सवाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ऊर्जा निगम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति पर कैसा काम चल रहा है, यह देखने लायक हैं। यह हाल उस विभाग का है, जिसका सीधे जनता से संवाद होता है। बिजली लोगों की जिंदगी से जूड़ी हैं। इसमें जरा सी चूक से सरकार की किरकिरी हो सकती है, इसको अफसर भली-भांति जानते हैं, फिर भी फूंकने वाले ट्रासंफार्मर के नाम पर बड़ा घालमेल चल रहा हैं।

आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? 600 ट्रांसफार्मर प्रत्येक माह किसकी लापरवाही से फूंक रहे हैं। करोड़ों का सरकारी दस्तावेज में प्रत्येक माह घाटा दर्ज कर दिया जाता हैं। क्या इस घाटे से बचने की कभी ऊर्जा निगम के आला अफसरों ने कवायद की हैं, नहीं। क्योंकि इसमें कमीशनखोरी का घालमेल चल रहा हैं। जो नीचे से लेकर ऊपर तक बट रहा हैं। चोट सरकारी खजाने पर लग रही है, इससे आला अफसरों पर क्या फर्क पड़ेगा?

ऊर्जा निगम एक ऐसा डिपार्टमेंट है जिससे छवि बिगड़ी तो फिर पटरी पर नहीं आ पाती हैं। वर्तमान में हालात ऊर्जा निगम के छवि को खराब करने में अफसर ज्यादा रुचि ले रहे हैं। ऊर्जा निगम से ‘जनवाणी’ को जो आंकड़े उपलब्ध हुए हैं, वो आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं। प्रत्येक माह मेरठ जनपद में 600 बिजली के ट्रांसफार्मर फूंक रहे हैं। इस तरह से बिजली के ट्रांसफार्मरों पर करोड़ों का घालमेल चल रहा हैं और सरकार को घाटा पहुंचाया जा रहा है।

इसके आंकड़े को भी ऊर्जा निगम के अफसर छुपा रहे हैं। 25 केवी से लेकर 100 और 200 केवी केवी के ट्रांसफार्मर प्रत्येक माह 600 से ज्यादा फूंक रहे हैं। इन आंकड़ों से भी लगता है ऊर्जा निगम के अफसरों की नींद नहीं टूट रही है। अफसर कमीशनखोरी में मस्त हैं, फिर ट्रांसफार्मर फूंक रहे है तो सरकारी खजाने पर ही तो चोट हो रही हैं, अफसरों की जेब भी भर रही हैं। इतना बड़ा नुकसान हो रहा हैं, जिसे सरकार से भी छुपाया जा रहा है।

इसकी तरफ से आंखें आखिर क्यों बंद कर रखी है? जिस कंपनी से ट्रांसफार्मर खरीदने का एग्रीमेंट है, उसमें तो कोई बड़ा खेल नहीं चल रहा हैं। फिर अकेले मेरठ जनपद में 600 ट्रांसफार्मर का प्रत्येक माह फूंकना ऊर्जा निगम के अफसरों को कठघरे में खड़ा कर रहा है। यह हाल तो सिर्फ मेरठ जनपद का है। इसी तरह से बागपत में 250 ट्रांसफॉर्मर प्रत्येक माह फूंक रहे हैं। शामली में 150 और मुजफ्फरनगर में 300 ट्रांसफार्मर प्रत्येक माह फूंक रहे हैं।

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इस तरह से यूपी सरकार को करोड़ों का घाटा प्रत्येक माह हो रहा है। आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी है? ऊर्जा निगम के आला अफसरों ने व्यापक स्तर पर फूंके ट्रांसफार्मर की वजह जानने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही है? शहर और ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर बिजली ट्रांसफार्मर ओवरलोड पर चल रहे हैं। इसी वजह से ट्रांसफार्मर फूक रहे हैं। यदि यह वजह है तो फिर ऊर्जा निगम के अफसर जो ट्रांसफार्मर ओवरलोड चल रहे हैं, उनकी क्षमता वृद्धि क्यों नहीं की जा रही है?

इस लापरवाही के चलते ऊर्जा निगम को करोड़ों का जो प्रत्येक माह घाटा हो रहा है, उससे तो बचाया जा सकता हैं, लेकिन इसमें जो कमीशन खोरी हो रही है यदि क्षमता वृद्धि होने के बाद ट्रांसफार्मर फूकने बंद हो गए तो करोड़ों का खेल जो अफसरों के द्वारा किया जा रहा है, वो बंद हो जाएगा। अफसरों की अतिरिक्त आमदनी का स्रोत ये ट्रांसफार्मर ही तो है। ऊर्जा निगम के भंडारण केंद्र में मेरठ में प्रत्येक माह 600 ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं।

इसके सबूत ‘जनवाणी’ के पास मौजूद हैं। इनका मेटीरियल मैनेजमेंट खरीदा जा रहा है, जिसमें ‘महाखेल’ हो रहा हैं। ये भ्रष्टाचार तो वहां हो रहा है, जहां पर प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री डा. सोमेन्द्र तोमर का गृह जनपद हैं। ऊर्जा राज्यमंत्री को भी अफसर गुमराह करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कैबिनेट मंत्री एके शर्मा बेहद ईमानदार हैं, उनके संज्ञान में मामला आता है तो ऊर्जा निगम के अफसरों पर गाज गिर सकती हैं।

एमडी घोटालों पर मौन, निरीक्षण में व्यस्त

मेरठ: पश्चिमांचल वितरण निगम लि. के एमडी अरविन्द मल्लप्पा बंगारी हो रहे घोटालों पर मौन हैं। घोटालों से विद्युत वितरण निगम की खासी किरकिरी हो रही हैं। विपक्षी नेताओं ने भी इसको मुद्दा बना दिया हैं, लेकिन एमडी का मौन नहीं टूट रहा हैं। निरीक्षण कर रहे हैं, इससे क्या हासिल होगा? ये तो वहीं जाने, लेकिन 50 करोड़ बकाया की वसूली नहीं हो पा रही हैं।

रसूखदारों के बिजली कनेक्शन भी नहीं कट रहे हैं और जनपद में बकाया भी करोड़ों में हैं। राजस्व संग्रह के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा हैं। बिजली घरों पर कैंप नहीं लग रहे हैं। जहां कैंप लग रहे हैं, वहां पर कर्मचारी नहीं बैठ रहे हैं। बिल जमा कराने जो लोग बिजली घर पर पहुंचते हैं, उनके साथ अभद्रता की जा रही हैं। तकादा कालिंग के सिर्फ दावे किये जा रहे हैं, इसमें भी सेटिंग का खेल चल रहा हैं। उपभोक्ताओं को आसानी से बिजली बिल जमा कराने की सुविधा नहीं दी जा रही हैं।

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