Thursday, January 9, 2025
- Advertisement -

छह सीटों पर होगा उपचुनाव, जानिए- खाली सीटों का नया समीकरण

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने पांच राज्यों की पांच विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव की तिथियों का भी ऐलान कर दिया। इन सीटों पर पांच दिसंबर को मतदान होगा, जबकि आठ दिसंबर को हिमाचल और गुजरात चुनाव के साथ इन सीटों के भी नतीजे आएंगे।

जिन पांच राज्यों की विधानसभा सीटों पर चुनाव का ऐलान किया गया है, उनमें ओडिशा की पदमपुर सीट, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार की कुरहनी, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर, उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट शामिल हैं। इसके अलावा जिस संसदीय सीट पर उपचुनाव होने हैं, वह हैं यूपी की मैनपुरी सीट, जो मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है।

ये है उपचुनाव के घोषित कार्यक्रम

चुनाव आयोग के मुताबिक, उपचुनाव के लिए अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर को है। नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 21 नवंबर है। पांच दिसंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। इसी दिन हिमाचल और गुजरात चुनाव के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।

मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा की प्रतिष्ठा

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह मैनपुरी लोकसभा सीट से 2019 में सांसद चुने गए थे। पिछले महीने 10 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई है। अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर भाजपा और सपा दोनों ने कमर कस ली है। सपा किसी भी हालत में ये सीट अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है, जबकि भाजपा ने रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा की तरह यहां भी जीत हासिल करने की कोशिश करेगी।

पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य ने चुनाव लड़ा था। मुलायम को 5.24 लाख वोट मिले थे, जबकि शाक्य के खाते में 4.30 लाख वोट गए थे। चर्चा है कि भाजपा यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव या फिर उनके समधी हरिओम यादव को टिकट दे सकती है। मैनपुरी में शाक्य, लोधी वोटर्स की संख्या भी काफी अधिक है। ऐसे में भाजपा अपने पुराने प्रत्याशी पर भी दांव लगा सकती है।

वहीं, सपा की तरफ से अखिलेश यादव परिवार के ही किसी सदस्य को मौका मिल सकता है। धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव या परिवार के किसी अन्य सदस्य को मौका दिए जाने की अटकलें हैं। सपा सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह के निधन के बाद अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में भी नरमी देखी गई है। ऐसे में ये भी संभव है कि मैनपुरी सीट से अखिलेश यादव अपने चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव को चुनाव लड़वा सकते हैं। दोनों के बीच, राजनीतिक दायरे का भी बंटवारा हो सकता है। अखिलेश यूपी और शिवपाल केंद्र की जिम्मेदारी संभाल सकते। ऐसा होने से परिवार का विवाद खत्म हो जाएगा।

शिवपाल सिंह यादव इस ओर इशारा भी कर चुके हैं। सपा में वापसी के सवाल पर उन्होंने हाल ही में मीडिया के सामने बयान दिया था। शिवपाल यादव ने कहा था कि अभी वह सही रोल का इंतजार कर रहे हैं। शिवपाल ने कहा, ‘अभी मैं सही रोल का इंतजार कर रहा हूं। वर्तमान में नेताजी के जाने से हम सभी दुखी हैं।’

रामपुर विधानसभा सीट पर कैसे बचेगी आजम खां प्रतिष्ठा

रामपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है।आजम खान को तीन साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई। इस वजह से यहां चुनाव हो रहे हैं। इसी साल मार्च में हुए चुनाव में आजम खान ने रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। आजम को 1.31 लाख वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना हनी को 76 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को महज चार-चार हजार वोट मिले थे।

अब आजम को सजा मिलने के बाद उनकी सीट से उनकी पत्नी तंजीन फातिमा चुनाव लड़ सकती हैं। आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम भी रामपुर की स्वार सीट से विधायक हैं। वहीं, भाजपा फिर से आकाश सक्सेना पर दांव लगा सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लड़ने वाले नवाब काजिम अली को भी भाजपा से मौका मिल सकता है। नवाब कााजिम अली कई बार भाजपा सरकार की तारीफ कर चुके हैं और रामपुर में आजम खान परिवार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं।

जानिए, बाकी अन्य सीटों का हाल

  1. ओडिशा की पदमपुर: इस सीट से 2019 विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल (बीजद) के बिजय रंजन सिंह बरिहा विधायक चुने गए थे। बिजय रंजन को कुल 83,299 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के प्रदीप पुरोहित ने 77,565 वोट हासिल किए थे। इस बार भाजपा फिर से प्रदीप पर दांव लगा सकती है। वहीं, बीजद की तरफ से बिजय रंजन के परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिल सकता है। बिजय रंजन के परिवार का सदस्य अगर चुनाव लड़ता है तो उसे जनता की संवेदना भी मिलेगी।
  2. राजस्थान की सरदारशहर: इस सीट से कांग्रेस के विधायक रहे भंवरलाल शर्मा का पिछले महीने नौ अक्तूबर को निधन हो गया था। इसके बाद से ये सीट खाली है। अब यहां उपचुनाव होना है। कांग्रेस यहां से भंवरलाल शर्मा के परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है। वहीं, भाजपा अपने पुराने प्रत्याशी अशोक कुमार पर दांव लगा सकती है। 2018 चुनाव में अशोक ने 78 हजार वोट हासिल किए थे। भंवरलाल को 95 हजार वोट मिले थे।
  3. बिहार की कुरहनी: इस सीट से 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल कुमार साहनी चुनाव लड़े थे। साहनी भी अयोग्य घोषित हो चुके हैं। अवकाश एवं यात्रा भत्ता (एलटीसी) घोटाला मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने अनिल कुमार साहनी को तीन के खिलाफ सजा सुनाई है। उनके अयोग्य घोषित होने के बाद से ये सीट खाली है।
  4. छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर: 2018 में इस सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के मनोज सिंह मांडवी ने चुनाव जीता था। मांडवी छत्तीसगढ़ विधानसभा में उपाध्यक्ष भी थे। पिछले महीने 16 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। मांडवी के निधन से खाली हुई इस सीट पर अब कांग्रेस उनके परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ा सकती है। वहीं, भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार देवलाल दुग्गा पर दांव लगा सकती है। 2018 चुनाव में दुग्गा दूसरे नंबर पर थे।
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

नववर्ष पर IRCTC लेकर आया है पुरी के साथ कोणार्क घूमने का सुनहरा मौका

जनवाणी ब्यूरो | लखनऊ: इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन...

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ प्रयागराज के लिये किया प्रस्थान

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल...

Sakat Chauth 2025: सकट पर करें ये उपाय, संतान की उम्र होगी लंबी

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर खुलेगी इन राशियों की किस्मत, रुके हुए काम होंगे पूरे

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img